July 2024_DA | Page 28

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घटते हिन्दू-बढ़ते मुस्लिम जनसांख्यिकीय परिवर्तन है भारत के लिए गंभीर मुद्ा

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रत में 1950 से 2015 के मधय मुकसलम जनसंखया में 43.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई , जबकि इसी अवधि के दौरान हिनदुओं की जनसंखया में 7.8 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है । देश में रहने वाले बहुसंखयक हिनदुओं सहित अनय मतावलकमबयों की जनसंखया पर ( 65 वर््य की समयावधि के ) यह आकंड़े प्रधानमंत्ी की आर्थिक सलाहकार परिर्द द्ािा तैयार की गई “ शेयर ऑफ़ रिलीजियस माइनलॉरिटीज : ए क्रलॉस-कंट्री एनालिसिस ( 1950-2015 )” नामक रिपोर्ट से सामने आए हैं । 67 पृषठों की यह रिपोर्ट अर्थशासत्ी शमिका रवि , अब्राहम जोस और अपूर्व कुमार मिश्ा ने तैयार की हैI यह सभी प्रधानमंत्ी की आर्थिक सलाहकार परिर्द के सदसय हैं ।
वर्तमान में वैकशवक अर्थवयवसथा मंथन के दौर से गुजर रही है । कोविड महामारी के बाद विशव के लगभग सभी देशों में अर्थशाकसत्यों और नीति निर्माताओं द्ािा सामाजिक-आर्थिक कसथलतयों का विश्लेषण किया जा रहा है । कई दशकों से वैकशवक सति पर जारी लवलभन् परिवर्तनों के बीच जनसांकखयकीय परिवर्तन भी तेजी से हो रहा है , जिससे दुनिया भर के देशों में जनसंखया बदल रही है । 1950 और 2015 के बीच 65 वर्षों के दौरान 167 देशों में हुए
जनसंखया परिवर्तन को रिलीजियस माइनलॉरिटीज : ए क्रलॉस-कंट्री एनालिसिस ( 1950-2015 ) रिपोर्ट के माधयम से सामने लाया गया है । रिपोर्ट बताती है कि विशव में समग्र समूह के रूप में अलपसंखयकों की हिससेदारी में उललेखनीय वृद्धि हुई है । विशेर् रूप से , भारत में मुकसलमों की संखया तेजी से बढ़ी है ।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में बहुसंखयक हिंदू जनसंखया 1950 में 84.68 प्रतिशत थी , वह 2015 में घटकर 78.06 प्रतिशत रह गई है , जबकि 1950 में मुकसलम जनसंखया का जो हिससा 9.84 प्रतिशत था , जो 2015 में बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गया है ।
इसी तरह देश में ईसाई जनसंखया का हिससा 2.24 प्रतिशत से बढ़कर 2.36 प्रतिशत , सिख जनसंखया का हिससा 1.74 प्रतिशत से बढ़कर 1.85 प्रतिशत , बौद्ध जनसंखया का हिससा 0.05 प्रतिशत से बढ़कर 0.81 प्रतिशत हो चुका है । इसी तरह भारत में जैन मतावलकमबयों की जनसंखया में हिससेदारी 0.45 प्रतिशत से घटकर 0.36 प्रतिशत रह गई है । आकंड़े बताते हैं कि देश में पारसी जनसंखया में 85 प्रतिशत की भारी गिरावट हुई है , जो 1950 में 0.03 प्रतिशत थी , 2015 में घटकर 0.004 प्रतिशत रह गई । रिपोर्ट के अनुसार भारतीय उपमहाद्ीप में , मालदीव को छोड़कर सभी बहुसंखयक देशों में मुसलमानों
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