की जनसंखया बढ़ी है ।
रिपोर्ट में दलक्ण एशियाई क्ेत्ीय सहयोग संगठन ( सार्क ) में शामिल अफगानिसतान , बांगलादेश , भूटान , भारत , मालदीव , नेपाल , पाकिसतान , श्ीलंका के साथ ही मयांमार के लवर्य में बताया गया है कि सार्क से जुड़े चार देशों में बहुसंखयक धार्मिक संप्रदाय की
हिससेदारी में कमी हुई है , जबकि पांच अनय देशों में इसकी हिससेदारी बढ़ी है । रिपोर्ट बताती है कि सभी मुकसलम बहुसंखयक देशों में बहुसंखयक धार्मिक वर्ग की अर्थात मुकसलम जनसंखया में वृद्धि दर्ज की गई है । मालदीव को छोड़कर पांच गैर-मुकसलम बहुसंखयक देशों क्रमशः मयांमार , भारत और नेपाल में बहुसंखयक धार्मिक वर्ग की जनसंखया में गिरावट आई है , जबकि श्ीलंका और भूटान में उनकी हिससेदारी में वृद्धि हुई है ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 1950 में ततकालीन पूवजी और पकशचमी अर्थात पाकिसतान और वर्तमान बांगलादेश में मुकसलमों की जनसंखया 76 प्रतिशत ,
हिंदुओं की जनसंखया में 23 प्रतिशत और बौद्ध एवं ईसाई क्रमशः 0.66 प्रतिशत और 0.17 प्रतिशत थे । 2015 में बांगलादेश में हिंदू जनसंखया घटकर 8 प्रतिशत रह गई । बांगलादेश में हिंदू जनसंखया को 65 वर््य से अधिक समय से उतपीड़न का सामना करना पड़ा है । उतपीड़न और जबरन धर्मपरिवर्तन का ही परिणाम ही कहा जाएगा कि बांगलादेश में बहुसंखयक धार्मिक समूह अर्थात मुकसलम जनसंखया में 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गईI इसी तरह पाकिसतान में बहुसंखयक धार्मिक संप्रदाय ( हनफ़ी मुकसलम ) का हिससा 77 प्रतिशत से बढ़कर 80 प्रतिशत हो गया है , जबकि हिंदू जनसंखया में 13 प्रतिशत की गिरावट हुई है , जो 2015 में घटकर मात् दो प्रतिशत रह गई । अफगानिसतान में जो मुकसलम जनसंखया 1950 में 99.4 प्रतिशत थी , वह 2015 में 99.7 प्रतिशत हो गई , जिससे किसी सार्थक विश्लेषण के लिए कोई जगह नहीं बची । यहां सुन्ी मुकसलम जनसंखया 88.7 प्रतिशत से बढ़कर 89 प्रतिशत हुई , जबकि शिया मुकसलम 10.7 प्रतिशत पर कसथि रहे । रिपोर्ट में मालदीव को एकमात् ऐसा मुकसलम-बहुल देश बताया गया है , जहां बहुसंखयक समूह ( शफ़ीई सुन्ी ) की जनसंखया 1950 में 99.8 प्रतिशत से घटकर 2015 में 98.4 प्रतिशत रह गई । इस बीच यहां बौद्ध , ईसाई और हिंदू जनसंखया में मामूली वृद्धि ही हुई ।
रिपोर्ट में नेपाल की चर्चा करते हुए बताया गया है कि नेपाल में बहुसंखयक हिनदू जनसंखया जो 1950 में 84 प्रतिशत थी , 2015 में कम होकर 81 प्रतिशत हो गई । इसी तरफ बौद्ध , जो 1950 में भी जनसंखया का 11 प्रतिशत थे , उनकी जनसंखया में 25 प्रतिशत की कमी हुई और हिससेदारी घटकर 8 प्रतिशत रह गई । इसके विपरीत नेपाल में मुकसलम जनसंखया 2015 में बढ़कर 4.6 प्रतिशत हो गई , जिसमें 75 प्रतिशत की अप्रतयालशत वृद्धि देखी गई । 1950 में नेपाल में ईसाई जनसंखया लगभग शूनय थी , जो 2015 में कुल जनसंखया का दो प्रतिशत हो चुकी है ।
रिपोर्ट के अनुसार भूटान में बहुसंखयक जनसंखया तिबबती बौद्धों की है , जिसमें 1950
और 2015 के मधय लगभग 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई । भूटान की कुल जनसंखया में दूसरा सबसे बड़ा हिससा 23 प्रतिशत हिंदुओं का था , लेकिन 2015 में हिंदू जनसंखया घटकर मात् 11 प्रतिशत रह गई । श्ीलंका दूसरा ऐसा पड़ोसी देश है जहां बहुसंखयक बौद्ध हैं । 1950 में यहां बौद्धों की जनसंखया 64 प्रतिशत थी , जिनमें से लगभग सभी बौद्ध थे । जनसंखया का दूसरा सबसे बड़ा हिससा 20 प्रतिशत हिनदू जनसंखया का था । 2015 तक बौद्ध जनसंखया बढ़कर 67 प्रतिशत हो गई , जबकि हिंदू जनसंखया घटकर लगभग 15 प्रतिशत रह गई । श्ीलंका में दो सबसे बड़े समूह ईसाई और मुकसलम वर्ग हैं , जिसमें क्रमशः लगभग 9 प्रतिशत और 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है । यहां धयान देने लायक बिंदु यह भी है कि यहां मुकसलम जनसंखया कुल जनसंखया के आधार पर दूसरे सथान पर पहुंच चुकी है और ईसाई जनसंखया तीसरे सथान पर आ गई है । मयांमार में भी बौद्ध जनसंखया में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है , जो 1950 में 84 प्रतिशत से घटकर 2015 में 75 प्रतिशत हो चुकी है । इसी अवधि में ईसाई जनसंखया का हिससा 4 प्रतिशत से बढ़कर 8 प्रतिशत तक पहुंच गया और सवदेशी धमषों को मानने वालों में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई ।
रिपोर्ट में वैकशवक परिदृशय की चर्चा करते हुए बताया गया है कि विशव के 123 देशों में धार्मिक रूप से बहुसंखयक जनसंखया में कमी हुई , जबकि 44 देशों में धार्मिक रूप से बहुसंखयक जनसंखया में बढ़ोत्िी हुई है । भारत उन कुछ देशों में से एक है , जहां अलपसंखयकों को संवैधानिक-क़ानूनी अधिकार प्रदान किए गए हैं । इसीलिए भारत में अलपसंखयक जनसंखया तेजी से बढ़ रही है । देश की बहुसंखयक हिनदू धर्मावलकमबयों की घटती हुई जनसंखया गहन चिंता का लवर्य है । विकसित भारत के सवप्न को पूरा करने के लिए कार्य कर रहे नीति निर्धारकों को भारत में हो रहे जनसांकखयकी परिवर्तन के कारण सामने मंडरा रहे संकट पर भी विचार करना होगा । �
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