July 2024_DA | Page 23

सिर्फ देश के समग्र विकास के लिए काम करने में जुट गयी । चुनाव में मिली पराजय और मोदी सरकार के जनहित एवं देशहित के कामकाज को देखकर सकते में आयी कांग्रेस और वामपंथियों के लिए यह एक बहुत बड़ा झटका भी कहा जा सकता है । परिणामसवरूप कांग्रेस एवं वामपंथियों के सहयोग से अपनी दुकान चलाने वाली भारत विरोधी शक्तयां एवं अराजक ततव बड़ी तीव्र गति से सक्रिय हो गए ।
रणनीति के तहत मोदी सरकार को दलित- पिछड़ा-गरीब विरोधी बताकर देश-विदेश में कथित मानवाधिकार हनन , जातीय और धार्मिक हिंसा के नाम पर छवि बिगाड़ने का काम किया गया । प्रधानमंत्ी मोदी के नेतृतव में सरकार बनने के बाद दलित-मुकसलम एकता का नारा कुछ जयादा जोर-शोर से लगाया जाने लगा । जवाहरलाल नेहरू लवकशवद्ालय में " भारत तेरे टुकड़े होंगे हजार " जैसे नारे लगने के बाद दलित-मुकसलम गठजोड़ को लेकर पूरी मुहिम
चलाई जाने लगी । जनता ने यह भी देखा है कि किस प्रकार से लवलभन् विशवलवद्ालयों में अफजल गुरु और याकूब मेनन के ‘ शहादत दिवस ’ मनाए गए और कशमीि में अलगाववाद के समर्थन में नारे लगाने से भी पीछे नहीं रहे । इस घटनाओं की निंदा करने की बजाय भाजपा विरोध के लिए एकजुट हुए ततव , ऐसी घटनाओं को दलित-विमर्श के नाम पर वैधता देने का प्रयास किया गया । दलित-मुकसलम गठजोड़ के नारे पर जोर देने वाले कथित नेता हर दूसरे वा्य में दलित-मुकसलम मुद्े एक साथ रख रहे हैं , वहीं कुछ विचारक लेख लिखकर यह साबित कर रहे कि किस प्रकार दलित-मुकसलम एकता सवाभाविक है । इसके लिए कांग्रेस , वामपंथी और उनके सहयोगी संघठन पूरे देश में मोदी सरकार के खिलाफ दुषप्रचार करने में लगे हैं । मोदी सरकार बनने के बाद पकशचम बंगाल , उत्ि प्रदेश , बिहार सहित कई राजयों में दलित-मुकसलम गठजोड़ के लिए जो माहौल बनाया गया , उसका
परिणाम 2024 के चुनाव में भाजपा की कम हुई सीटों के रूप में देखा जा सकता है ।
देश-समाज के लिए घातक है दलित-मुस्लिम गठजोड़
वर्तमान दौर में अधिकतर विपक्ी नेता दलित-मुकसलम राजनीतिक गठबंधन के नाम पर " जय भीम-जय मीम " के नारे लगाते हुए दिखाई देखे जा सकते हैं । 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार का गठन होने के बाद से लगातार देश में दलित-मुकसलम राजनीतिक गठजोड़ के लिए प्रयास हो रहे है । दलित-मुकसलम राजनीतिक गठजोड़ के इस राग को हवा देने का काम वह वामपंथी संगठन और वामपंथी बुलद्जीवी कर रहे हैं , जिनके लिए भारत की एकता और अखंडता कोई अर्थ ही नहीं है । दलित-मुकसलम गठजोड़ के नाम पर इन अभी का एकमात् लक्य केंद्र की मोदी सरकार को गिराकर येन-केन प्रकारेण अपने गिरोह की सत्ा कायम करना है । भाजपा को मिल रहे दलित समाज के समर्थन को खतम करने के लिए वामपंथी संगठन , कथित वामपंथी-मुकसलम-दलित बुद्धिजीवी और ईसाई मिशनरियां भी तेजी से सक्रिय हैं । यह सभी दलित समाज को बहला-फुसलाकर उनहें मुकसलम समुदाय के साथ मिल कर या ईसाई धर्म अपनाकर अपने भविषय सुधारने का भ्रमित प्रचार कर रहे हैं । यही कारण है कि देश के अलग-अलग हिससों से दलितों के धर्मपरिवर्तन की खबरें भी प्रायः सुनाई देती है । यह भारत के भविषय लिए अचछा नहीं कहा जा सकता है । इसलिए देश के दलित समाज को यह समझना ही होगा कि मुकसलम या ईसाई समाज के साथ जाने पर न तो उनका वासतलवक कलयाण होगा और न ही उनहें कोई विशेर् लाभ मिलने वाला । दलित-मुकसलम या दलित-ईसाई गठबंधन सिर्फ एक धोखे से जयादा कुछ नहीं है और इसका नकारातम परिणाम केवल दलितों को ही नहीं , बकलक पूरे देश को उठाना पड़ेगा । राषट्रीय एकता को सुदृंढ रखने के लिए दलित- मुकसलम गठजोड़ गठबंधन भविषय में एक बड़ी भूल सिद्ध हो सकता है , इस खतरे को समझना ही होगा । �
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