शोर्ण किया कि वह आज भी समपूण्य दलित वर्ग के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं , पर उनके अधिकार आज भी पूरी तरह उनहें नहीं मिल सके हैं ।
जिन्ा ने देश बांटने के लिए किया दलितों का इस्ेमाल
भारत में मुकसलम देश या राषट्र का पहला बीज मुकसलम नेता सैयद अहमद खां ने बोया था । सर सैयद अहमद ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि इसलाम और उसके समर्थक भी एक राषट्र हैं । उसने उच् वर्ग के मुसलमानों को ( जो अशरफ कहलाते थे ) प्रोतसालहत करके उनमें सांप्रदायिकता और अलगाव की प्रवृलत्यों को
बढ़ावा दिया जिससे वह मुखयधारा से दूर होते गए । बाद में मुकसलम हितों की रक्ा के लिए कट्टरपंथी मुकसलम नेताओं ने मुकसलम लीग नामक अपना राजनीतिक दल बनाया और फिर देश में धार्मिक आधार पर बंटवारे के लिए संगठित होकर पाकिसतान के निर्माण की भूमिका तैयार करते चले गए । कांग्रेस और मुकसलम लीग के बीच 1916 में हुए लखनऊ समझौते में पृथक् निर्वाचक मंडल पहले ही सवीकार कर लिए गए थे । इस समझौते के तहत पृथक निर्वाचक मंडल में जितने भारतीय सदसय निर्वाचित होने थे , उनमें से एक-तिहाई संखया मुकसलम सदसयों के लिए आिलक्त कर दी गयी । प्रांतों में मुसलमानों के लिए आिक्ण किया गया था । 15 नवमबि
1939 को चक्रवती राजगोपालाचारी ने वयसक मताधिकार के आधार पर निर्वाचित संविधान सभा की मांग प्रसतुत की । कांग्रेस ने 23 नवमबि , 1930 को संकलप पारित करके वयसक मताधिकार के आधार पर संविधान सभा की मांग की । साथ ही यह सवीकार किया कि अलपसंखयकों के लिए संविधान में ऐसे कदम उठाये जाएंगे जो उनके लिए समाधानकारी हों । लेकिन संविधान सभा की मांग का मोहममद अली जिन्ा ने विरोध किया । लंदन से प्रकाशित टाइम एड टाइड में 19 जनवरी 1940 को प्रकाशित एक लेख में उनहोंने यह आरोप लगाया कि कांग्रेस संविधान सभा के माधयम से अपने उद्ेशय पूरा करना चाहती है । अभी तक जिन्ा मुसलमानों को धार्मिक अलपसंखयक बताते आए थे । लेकिन 22 मार्च 1940 को लाहौर में उनहोंने अपने एक भार्ण में पाकिसतान की मांग की और फिर आनन-फानन में 24 मार्च 1940 को मुकसलम लीग ने पाकिसतान का संकलप पारित कर दिया गया । मुकसलम लीग का उद्ेशय विभाजन और सवतंत्ता थी । मुकसलम लीग चाहती थी कि यदि युद्ध के समय राषट्रीय सरकार का गठन किया जाता है तो उसे कांग्रेस के समान दर्जा दिया जाए । गांधी ने इस मसले पर विचार करने के लिए जिन्ा को एक पत् लिखा पर जिन्ा ने इस पत् पर धयान नहीं दिया ।
जिन्ा का कांग्रेस से मतभेद उसी समय शुरु हो गये थे जब 1918 में भारतीय राजनीति में गानधीजी का उदय हुआ । गांधी ने राजनीति में अहिंसातमक सविनय अवज्ा और हिनदू मूलयों को बढ़ावा दिया । जबकि जिन्ा का मानना था कि सिर्फ संवैधानिक संघर््य से ही आजादी पाई जा सकती है । मुकसलम लीग का अधयक् बनते ही जिन्ा ने कांग्रेस और ब्रिटिश समर्थकों के बीच विभाजन रेखा खींच दी थी । कांग्रेस के साथ खराब होते संबंधों के बीच जिन्ा को भी यह विचार आया कि मुसलमानों को अपने अधिकारों की रक्ा के लिए एक अलग देश मिलना ही चाहिये बिना इसके काम नहीं बनेगा । उसका यही विचार बाद में जाकर जिन्ा के लद्िाषट्रवाद का सिद्धानत कहलाया । पाकिसतान
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