Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 93

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
5- राजस्थान के अवदिासी-डा0 एस. के. सैनी, पृ0-58 6- ईिर प्रदेि की जनजावतयााँ, िहीं, पृ0-101 7- िही, पृ0-103 8- मुण्डा लोककथाएाँ-जगदीि वत्रगुणायत, पृ0-81 9- थारू जनजावत और थारूइ बोली-डा0 जगदेि वसंह, पृ0-159 अलोक प्रकािन, 32-जानकी नगर कालोनी, गोण्डा-271001 10- िहीं, पृ0-158 11- कथाक्र( अवदिासी समाज और सावहत्य वििेषांक) ऄंक- 50 िषण-14, ऄक्टूबर-वदसम्बर 2011, पृ0-103 12- कु डुख लोक कथाएाँ-ऄहलाद वतकी, पृ0- 92
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
साहहत्य के हबना समाज और समाज और साहहत्य भी बहुत सारी आकाआयों से हमल का ऄपना सात-अठ सौ वषों का आहतहास है. हवधाओं का ऄब तक जन्म हो चुका है औ प्रहतरोध के साहहत्य ने वैसे ऄनेक मुकाम हाह समुहचत हवकास नहीं हो पाया. पर आन सात-अ प्रजाताहन्त्रक नहीं हो पायी जहााँ ईसे समाज के हक ईसमें सब वगों की भागीदारी होती. पर ऐस है जो ईसके पेड़ में प्रकट होता रहता है? ऄपन
अलोचना की दुहनया हवचारों की दुहनया है. समुदाय, ईनके बीच बातचीत और शास्त्राथथ ज
ऄगली पीढ़ी को देने होते हैं. पर यह बात-चीत हस्थहत है.
साहहत्य समाज का दपथण है पर वह ह रूपी समाज की पहचान करने लगते हैं साहहत् अने लगता है. साहहत्य में जो प्रहतहबंहबत होत
समाज का ऄंतहवथरोध साहहत्य में है वह समाज ऄलग है. हजसकी हचंताएं अवश्यकतायें हबल समरूपता खोजेंगे तो नजर नहीं अयेगी. अप मानवमात्र के कल्याण का दावा करता हो परन् प्रभाव से मुक्त नहीं है. यहााँ तक कला और संस् का वचथश्व है तो कु छ जाहतयां हाहसये पर धके ल नख-दन्त हमें चारो तरफ हदखाइ देते हैं. आहतह भारत में बहुत क्षीण रहा. कइ हजार सालों त देखा. आसहलए साहहत्य समाज में ईनकी भाग भाषा में बहुत ऄंतर रहा. शारीररक श्रम को यह जमा रहा.
ऄंग्रेजी कहावत है हक जब अपके क डॉ. ऄम्बेकर हजन प्रश्नों से लगातार जूझते रह आस बात की अवश्यकता ऄहधक है की हम ई से कर लेता है पर सामाहजक भागीदारी की
Vol. 2, issue 14, April 2016.