जनकृ ति ऄंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव ऄम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि ऄंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति ऄंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव ऄ
होता है । वह जनता जो मुख्यधारा से कटी हुई है । जो सुंख्या में कम और अपनी अतममता-सुंमकृ तत के तलए सजग और तचुंततत है । तजसे तवकास के नाम पर जुंगलों और पहाड़ों का तवनाश नहीं करवाना है । तजसके प्राण नतदयों, पेड़ों और पहाड़ों में बसते हैं । मुख्यधारा के कतथत राष्ट्रवादी लोग, जो सुतवधाभोगी जीवन सुरतक्षत मकानों में सुंगीन-सेना के साये में जी रहे हैं उन्द्हें आतदवातसयों की क्यों तचुंता होगी! वे तो उन्द्हें तपछड़ा हुआ और तवकास में बाधक मानते हैं । महानगरीय, अँग्रेजी तशक्षाप्राप्त, उपभोिावादी मध्यवगष आज भी आतदवातसयों को तक्रतमनल राइब या नक्सली समझता है । ये वही लोग हैं तजन्द्हें ततनक भी असुतवधा होने पर मीतडया में सुतखषयाुं बनने लगती हैं । जो अपने तलए तुरुंत सड़क पर उतर आते हैं । रणेन्द्र अपने पाि‘ तवक्टर ततग्गा’ के माध्यम से प्रश्न उठाते हैं-“ थोड़ी देर के तलए सोतचए बुच्चू! अगर लुतटयन तदल्ली के नीचे कोयला तनकल आए, इलाहाबाद तसतवल लाइुंस के नीचे बॉक्साइट, यूरेतनयम, चुंडीगढ़ के नीचे, आयरन और लखनऊ, चेन्द्नई, बुंगलुरू के नीचे तो क्या उजाड़ेगा लोग उसे? होगा वहाँ तवमथापन? नहीं, कभी नहीं । ऐसा कभी नहीं होगा । क्योंतक वहाँ रहने वाले एलीट सम्मानीय नागररक हैं । भारत माता के अपने खास बेटे । तिर हम क्या हैं? के वल लाभुक, कोई टाजेट ग्रुप या तिर तकसी शोध के तलए एक ठो के स भर । क्या हैं हम? क्या मुआवजा के रतजमटर के बस एक नुंबर, या तक कल्याण तवभाग के िाइल की िटी हुई झोली, फ़ादर हॉिमैन, वाररयर एतल्वन जैसों की तकताबों की ब्लैक एुंड व्हाइट तमवीरें । क्या हैं हम? सच बात है तक उनकी नज़र में हम हैं ही नहीं । तिर यह साँस लेती हुई तज़ुंदगी क्या है?... क्या हम आपके सौतेले बेटे हैं भारत माता? सन्द्नाटा छा गया ।” 18
झारखण्ड के आतदवातसयों की सममयाएँ गुंभीर है । उनका तनवारण करने की सरकारी नीततयाँ भी आतदवातसयों के तलए दमनकारी सातबत हुई। ुं उनकी ज़मीनों का अतधग्रहण जारी है ।“ झारखुंड में 1950 के बाद से अभी तक 22 लाख एकड़ ज़मीन खरीदी गई है तजसमें 15 लाख आतदवासी बबाषद हो गए । ये भूमुंडलीकरण की नीततयाँ जब से लगी हैं और पोमको और तजुंदल यहाँ आए हैं, 10 लाख आतदवासी तवमथातपत हो चुके हैं अपनी ज़मीनों से ।” 19‘ तवशेष आतथषक क्षेि’ बनाकर ज़मीन का अतधग्रहण होता है । पू ँजीपतत सरकारों को भूतम अतधग्रहण के कानून लचीले करने के तलए मजबूर करते हैं । आतदवातसयों के साथ कोई नहीं है । न सरकारें न मुख्यधारा की जनता । वे हमेशा की तरह अके ले ही लड़ रहे हैं । जो लोग जनसुंघषों में शातमल भी होते हैं उन्द्हें पू ँजी की ताकत से वह मागष छोड़ने के तलए बाध्य कर तदया जाता है अथवा धन और सुतवधा की चकाचौंध से उसकी आँखें चौंतधया दी जाती हैं ।‘ गायब होता देश’ में जब मु ुंडाओुं के आधुतनक‘ उलगुलान’( क्राुंतत) की घोषणा होती है तो सोमेश्वर मु ुंडा अपने पहाड़ों और बोंगाओुं के साथ तजन लोगों का आह्वान करते हैं उनमें पूरा का पूरा बौतिक वगष है, लेखक-कतव हैं, वुंतचतों-शोतषतों के महानायक हैं और सभी क्राुंततकारी हैं । सुंभवतः उपन्द्यास के पाि के माध्यम से मवयुं रणेन्द्र कह रहे हैं तक आतदवातसयों की लड़ाई में हर कोई शातमल हो । आह्वान इस प्रकार है-“ पहाड़ के पहाड़ी देवता / दह के दह देवता / नाग नातगन और दूसर / हमार खेती के ओगरे वाला / हमार लक्ष्मी के देखे वाला..... गाँव के ग्राम देवता / घर के गृह देवता / हमार बूढ़ा पूरखा मन / हमार मृत पूवषज मन / लुटकु म बूढ़ा, लुटकु म बूढ़ी / तसुंगराय-तबनराय-तवष्ट्णु मानकी / ततलका, माुंझी-गुंगा नारायण / तसदु-कान्द्हु-चाँद- भैरव / तवशनाथ शाही गणपत राय शेख तभखारी / गया सरदार-बुधु भगत – तबरसा मु ुंडा / तेलुंगा खतड़या-जतरा भगत / तसनगी दई-मतक दई / तववेकानुंद-भगत तसुंह-आज़ाद बोस / िु ले-आुंबेडकर-टैगोर-गाँधी / ठेवले उराुंव-जूतलयस
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
ततग्गा / जयपाल तसुंह-काततषक उराुंव-प्यार यु ुंग / वेदव्यास-कातलदास-सूर-तुलसी-मीराबाई / रघुनाथ मुमू ष-लोको बोदरा / चे ग्वेरा-तिदेल कास्त्र पुरखामन / सभी हमर पूवषज मन / तोहरे के र बनाल करत ही । हम तोहरे के सुंतान / हम तोहरे के अ ततन बैठ लेवा / हमर सुंग ततन बततयाए लेवा / एक
सोमेश्वर मु ुंडा का यह क्राुंततकाररयों, दाशषतनक करने, एक दोना हतड़या का रस और एक पतरी तवनती है तक सभी क्राुंततकारी उनके‘ उलगुला लेकन तदसुम’, सोने जैसे गायब होते देश को ब
संदर्ष-सूची: 1- तलवार वीर भारत, भारतीय
2- रणेन्द्र, पूवषकथन, गायब होता देश, पेंगुइन ब
3- पुंत पुष्ट्पेश, भूमुंडलीकरण, प्रकाशन तवभाग 4- वही, पृष्ठ- 71 5- रणेन्द्र, गायब होता देश, पेंगुइन बुक्स तलतम 6- गुप्ता रमतणका, आतदवासी अतममता का सुंक 7- रणेन्द्र, गायब होता देश, पेंगुइन बुक्स तलतम 8- वही, पृष्ठ- 131
9- चुंर तवतपन, तिपाठी अमलेश, दे वरुण, मव सुंमकरण, पृष्ठ- 45
10- रणेन्द्र, गायब होता देश, पेंगुइन बुक्स तलत 11- वही, पृष्ठ- 77,78
Vol. 2, issue 14, April 2016.