Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 81

जनकृ ति ऄंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव ऄम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि ऄंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति ऄंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव ऄ
राष्ट्र ने इनका जीना मुतश्कल कर रखा है? आप जानते हैं आतदवातसयों की जनसुंख्या इस देश की बाकी जनसुंख्या की तुलना में बहुत पीछे है । उसकी वृति का अनुपात बहुत कम है । अक्सर आतदवातसयों के बच्चे नहीं होते । बहुत कम बच्चे होते हैं और जो होते हैं वे जल्दी ही मर जाते हैं । आतदवासी लुंबे समय तक तववाह नहीं कर पाते । हमेशा तनावग्रमत रहते हैं । इसतलए बाकी सामान्द्य रफ्तार की तुलना में उनकी जनसुंख्या की वृति की रफ्तार बहुत कम है । आतदवासी से क्या सममया है इस राष्ट्र को?” 1
‘ गायब होता देश’ ऐसे ही असुंख्य प्रश्नों को हमारे समक्ष उठाता है । कहानी का ताना-बाना एक क्राुंततकारी और जनसुंघषों से जुड़े हुए मेधावी पिकार‘ कृ ष्ट्ण कु मार झा’ उिष‘ तकशन तवरोही’ उिष के. के. के उत्थान-पतन और प्रेम के इदष-तगदष बुना गया है, जो पिकाररता के माध्यम से आतदवातसयों के साथ हो रहे अन्द्याय, अत्याचार और शोषण के
तवरोध में उनके साथ तमलकर सुंघषष कर रहा है । मु ुंडाओुं की सुंमकृ तत और उनके सुंघषष के साथ-साथ तकशन तवरोही की प्रेम-कहानी भी चलती रहती है ।‘ अनुजा पाहन’ नाम की आतदवासी स्त्री से तकशन तवरोही प्रेम करता है । तकन्द्तु इततहास, सुंमकृ तत और मानव-तवज्ञान के आख्यान भी साथ-साथ चलते हैं जो प्रेम-कहानी पर भारी पड़ते हैं । पूवषकथन जो तक‘ सोना लेकन ददसुम’( सोने जैसा देश) शीषषक से तलखा गया है उसी में रणेन्द्र मपष्ट कर देते हैं-“ उसने बुंदरगाह बनाने, रेल की पटररयाुं तबछाने, िनीचर बनाने, मकान बनाने के तलए अुंधाधु ुंध कटाई शुरू की । मराुंग-बुरु- बोंगा की छाती की हर अमूल्य तनतध, धातु-अयमक उसे आज ही, अभी ही चातहए था..... वे दौड़ में अपनी परछाइयों
से प्रततद्वुंतद्वता कर रहे थे.... इन्द्हीं ज़रुरत से ज़्यादा समझदार इुंसानों की अुंधाधु ुंध उड़ान के उठे गुबार-बवुंडर में सोना लेकन तदसुम गायब होता जा रहा था । सरना-वनमपतत जगत गायब हुआ, मराुंग-बुरु-बोंगा, पहाड़ देवता गायब हुए, गीत गानेवाली, धीमे बहनेवाली, सोने की चमक तबखेरने वाली, हीरों से भरी सारी नतदयाँ तजनमें इतकर बोंगा-जल देवता का वास था, गायब हो गयीं । मु ुंडाओुं के बेटे-बेतटयाँ भी गायब होने शुरू हो गए । सोना लेकन तदसुम गायब होने
वाले देश में तब्दील हो गया ।” 2 मु ुंडाओुं के सोने जैसे देश की लूट-खसूट में तलप्त तवदेशी बहुराष्ट्रीय कुं पतनयों, राजनीतत, पुतलस, नौकरशाही और
मीतडया की साँठ-गाँठ का भी यह उपन्द्यास बेबाकी से पदाषफ़ाश करता है । भारत की उच्च जाततयों के लुटेरों के साथ तमले होने, और जनसुंघषों को नक्सलवाद का रूप देने वाली पुतलस की कारगुजाररयों पर भी इसमें बारीकी से ध्यान खींचा गया है ।‘ तकशनपुर’ के माध्यम से झारखण्ड की पररतमथततयों को सामने लाने का उत्कृ ष्ट प्रयास उपन्द्यास में तकया गया है । आमतौर पर भू-मुंडलीकरण के अथष में हम यह समझते हैं तक यह तवश्व के बड़े भू-भागों को एकीकृ त करने का एक प्रयास है तजसमें दुतनया के सभी देशों के राजनीततक, आतथषक और साुंमकृ ततक तहत जुड़े हुए हैं, लेतकन इसके व्यापक अथष हैं । भू-मुंडलीकृ त खुली व्यापार नीतत के जररये अबाध तनवेश और व्यापार दुतनया में कहीं भी करने की जो छू ट बहु-राष्ट्रीय कुं पतनयों को तमली हुई है उस खुली व्यापार नीतत ने अतधकातधक मुनािा कमाने के तलए तीसरी दुतनया के देशों में तनवेश करना शुरू तकया । वैतश्वक मतर पर प्रत्यक्ष तवदेशी तनवेश को यह कहकर प्रचाररत तकया गया तक यह तवकासशील राष्ट्रों के तहत में एक प्रगततशील धारणा है । तवश्व व्यापार सुंगठन और अुंतराषष्ट्रीय मुरा कोष जैसी सुंमथाएुं सामने आई। ुं तवश्व बैंक का तनमाषण हुआ और गरीब देशों को उससे कज़ष तदया जाने लगा । यह कज़ष उन देशों को अतधक तदया गया जहाँ कच्चा तेल अथवा खतनज़ सुंपदा अतधक थी और धीरे-धीरे गरीब देशों की अथषव्यवमथाएँ यूरोप और
अमेररका के तशकुं जे में कसती चली गई। ुं भू-म तवरोध तकया गया ।“ जब मैतक्सको के कानकु न तवकासशील देशों ने उस वक़्त इसका बतहष्ट्क तकसानों को तदये जाने वाले अनुदानों को समा दूसरी ओर तवकासशील देशों की सममया यह अुंतराषष्ट्रीय व्यापार के भूमुंडलीकरण वाले त सामना करना पड़ा ।” 3 आतथषक सुधारों के नाम तलए थे । खुली व्यापार नीततयों के तहत उन्द्हों तवकतसत देशों की बहु-राष्ट्रीय कुं पतनयाँ उनके देशों में व्यापार करने नहीं जा सकती थीं । एक पर पूरे यूरोप की तगि दृतष्ट रही है । साथ ही स अनुकू ल है । नतीजा यह हुआ तक तितटश औ कच्चा माल भारत से लेकर अपने उत्पाद यहीं हैं-“ जहाँ तक बहुराष्ट्रीय कुं पतनयों का सवाल का खचष घटाने के तलए वह अपनी इकाइयों क हो और श्रम-कानून पू ँजीपतत की नाक में नके ल के भुंडार के तनकट या तैयार माल की तबक्री क अपनी उत्पादन तवतरण प्रणाली को दुतनया भ गृह-युि आतद के कारण शाुंतत और सुव्यवमथ को अनदेखा नहीं तकया जा सकता तक एकातध है, बढ़त नहीं ।” 4 भारत इस मामले में एक तमथ और तवकास के तलए सरकारें भी तनवेशकों कारण खनन के तलए तवदेशी कुं पतनयों पर आत
एक बात जो सबसे अहम है वह यह तक आतद जातत, तजसके तलए रणेन्द्र अपने उपन्द्यास में तल ओर समूचा आकाश, सारा िह्ाुंड चक्कर क टुकड़े, जो उससे खास कोण या रेखा में होते ह करते हैं । तजसके कें र में ससनतदरर( मृतक क ससनतदरर से सटे या अके ली खड़ी चट्टान-परट्टय
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.