जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पति
( बाबा साहब डॉ. भीमरा
श्ववश्वभन्न श्ववद्वानों के मतानुसार श्ववज्ञापन की पररभाषा श्वनम्न है, जानकारी को ऐसे प्रभावर्ाली ढंग से प्रसाररत श्वकया जाय श्वक जनमानस को श्वकसी श्वनश्वित श्वकन्तु ईद्देश्यपूणत श्वदर्ा में मोड़ दे, वही श्ववज्ञापन है ।
दुश्वनया में श्वहन्दी भाषा जनसंचार के माध्यम से फै ल रही हैं । भाषाइ व्यापकता और श्ववर्ाल ईपभोिा जगत को ध्यान में रखते हुए श्ववि के व्यावसाश्वयक सन्दभत श्वहन्दी के साथ जुड़ते चले जा रहे हैं । बहुराष्रीय औद्योश्वगक आकाइयाँ श्वहन्दी को ऄपने प्रचार-प्रसार के श्वलए मुख्य भाषा के रूप में ऄपना रही हैं । यही कारण है श्वक श्वहन्दीगत कायतक्रमों के प्रसारणों की सूची श्ववश्वभन्न माध्यमों पर ऄत्यन्त तीव्रता के साथ बढ़ रही हैं । संचार माध्यमों के सन्दभत में आस समय श्वहन्दी भाषा ईपयोग का रूप ग्रहण कर चुकी है । श्वजतना श्ववदेर्ी मुरा श्ववश्वनमय आस समय श्वहन्दी के माध्यम से हो रहा है ईतना श्वकसी ऄन्य माध्यम से नहीं अ रहा है । श्ववदेर्ी मुरा भण्डारन की दृश्वष्ट से श्वहन्दी भरत के श्वलए ऄत्यन्त लाभदायक श्वसि हो रही हैं । श्वहन्दी के माध्यम से ऄनेक संख्या में अजीश्ववका के क्षेत्र श्वनश्वमत हो रहें है । श्वहन्दी के प्रचार-प्रसार में सबसे ऄहम योगदान ईसके सरस और सरल स्वरूप का होना एवं ईच्चारण की दृश्वष्ट से मधुर, कणतश्वप्रय और संगीतात्मकता स्वरूप का होना हैं । यही कारण है श्वक श्ववि समुदाय में श्वहन्दी के प्रश्वत
ऄनुराग देखने को श्वमलता है । श्वद्वतीय भाषा भाषी सहज प्रयास और कम समय में श्वहन्दी भाषा को समझने में सक्षम हो जाते हैं । आन्ही सभी कारणो से श्वहन्दी के व्यापक प्रसार की सम्भावनाएं लगातार बढ़ रही हैं, अज श्वहन्दी साश्वहत्य से श्ववकास करते हुए जनमानस की अवश्यकताओं में सश्वम्मश्वलत हो रही है, श्वजसे श्वहन्दी का बाजारीकरण( प्रयोजनमूलक श्वहन्दी) कहा जा रहा है । यह श्वहन्दी का ईद्यश्वमता के क्षेत्र में ऄश्वधक हस्तक्षेप है । जो श्वदन-प्रश्वतश्वदन सकारात्मक रूप में श्ववस्तार ग्रहण कर रहा है । माना जा रहा है श्वक अने वाले कु छ वषो में श्वहन्दी का व्यावसाश्वयक ईपयोग ऄपने ईत्कषत पर होगा । श्वनम्नश्वलश्वखत श्ववज्ञापन की पंश्वियाँ है, जो व्यवसाय के साथ-साथ श्वहन्दी भाषा को
बढ़ा रही है-
1. |
ऄब मेरा नम्बर हैं । |
2. |
श्वहन्दुस्तान बोल रहा है । |
3. |
अप का कौन सा पेड है, पोस्ट पेड या |
प्रीपेड । |
4. |
ऄटूट बन्धन है, ऄटूट नेटवकत । |
5. |
ये श्वदल माँगे मोर । |
6. |
ठण्डा मतलब कोको कोला । |
7. |
डर के अगे जीत है । |
8. |
पैसे क्या पेड़ पर ईगते है, पेड़ पर अम |
ईगते हैं । |
9. |
श्वढर्ुम-श्वढर्ुम । |
10. |
सड़न से सुरक्षा दे कोने-कोने तक । |
11. |
करे कड़ी से कड़ी श्वचकनाइ का |
सफाया । |
12. |
दाग होने से ऄगर कु छ ऄच्छा होता है, |
तो दाग ऄच्छे है । |
13. |
एक श्वमनट दादी । |
14. |
चमकते रहना । |
15. |
हेल्दी होगा श्वहन्दुस्तान । |
16. |
सौ प्रश्वतर्त सम्पूणत स्नान । |
17. |
पहले आस्तमाल करें, श्वफर श्वविास करें । |
18. |
ताजगी के एक हजार एहसास । |
19. |
ऄंकल दो पश्वहयों का फकत है, अ |
जाएंगे । |
20. |
ये तो बड़ा टोआंग हैं । |
21. |
ये अराम का मामला है । |
22. |
श्वदमाग की बत्ती जलाओ । |
23. |
कु छ मीठा हो जाए । |
24. |
मेरी मम्मी कहती है श्वक कु छ |
करने से पहले मीठा खाना चाश्वह |
25. |
सोना दे तेज श्वदमाग, चाँदी द |
र्रीर । |
26. |
ताश्वक अप के बेटे की बैटर |
चाजत रहे । |
27. |
देर् की धड़कन । |
28. |
अप सोयेंगे तो देर् कै से जागेग |
29. |
ऄब श्वखलाना बन्द, श्वपलाना र् |
सन्दर्ष-ग्रंथ-सूची
1. संचार से जन संचार-रूपचन्र गौतम
2. जनसंचार एवं पत्रकाररता-पो. रमेर्
3. संचार के श्वसिान्त-डा. संजीव भाना
4. जनसंचार एवं समाज- डा. मोश्वनका
5. जनसंचार: कल, अज और कल-
6. जनसंचार माध्यम लेखन कला-डा.
7. संचार एवं संचार माध्यम-डा. चन्रप्र
8. श्ववज्ञापन-ऄर्ोक महाजन, हररयाणा
9. अधुश्वनक श्ववज्ञापन-प्रेमचन्द, पातंजश्व
10. जनपत्रकाररता, जनसंचार एवं जंनस 11. श्ववज्ञापन की दुश्वनया-कु मुद र्मात, प्रश्व
Vol. 2, issue 14, April 2016. व ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
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Vol. 2, issue 14, April 2016.