Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 5

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव
झंकृ त होती हैं नाड़ियााँ डिराओं का बढ़ जाता है चाप तापमापी करता दर्ज़ तापमान अ़ितालीस डडग्री सैलडसयस कडिताऍ होती िाडपपत जल-सी उत्सडज़त होती स्िेद-सी फू टती मन और िरीर से फै ल जाती हैं ब्रह्ांड में-----------
चरागाह सूखा है डनडचंत हैं हाडकम-हुक्काम
डनयडत मान चुप हैं चरिाहे
मेघ नहीं डघरे बरखा आई, गई
पिु डििि हैं मु ाँह मारने को डकसी की ख़िी फसल में
हाँस रहे हैं आकाि में इन्द्र देि----------------------
अब तक तो बहुत भला है रेती में भी पौधे हैं कांस, आक और
छोटे-छोटे लंबे पत्तों िाले नन्द्हे ' जोजरू '
अब तक तो बहुत भला है लू की मार है मद्धम है हिा भी थो़िी नम
क्या होगा जो मेघ नहीं बरसे सािन सूखा जाएगा मरुधरा यह ताप से फट-फट जाएगी
िनस्पडतयााँ सूखेंगी नर-नारी, पिु-पक्षी सब
प्यास से त़िपेंगे डकतना कष्ट सहेंगे आसार नहीं अच्छे हैं
पर डकतना जीिट है! कहता है िह िृद्ध- डिपदाएाँ झेलीं न जाने डकतनी बार बना महाप्रलयंकारी यह थार----------
डफर फू ले हैं सेमल, टेसू, अमलतास
हुआ गुलमोहर सुर्ख़ लाल
ताप बहुत है अलसाई है दोपहरी
सााँझ ढले मेघ डघरे धीरे-धीरे खग, मृग
दृग से ओट हुए दुबके िनिासी ई ंधन की लक़िी पर रोक लगी जंगल में िन-िन भटकें मूलडनिासी जल डबन बहुत बुरा है हाल तेिर ग्रीपम के हैं आक्रामक
कै से कट पाएंगे ये डदन जन-मन, पिु-पक्षी
हुए हैं बेहाल---------------
ऐसे भी डदन आएाँगे पता नहीं था
सूनी-सूनी दोपहरी में सुडधयों के जंगल घूमेंगे ताल-तलैया, खेत-म़िैया बेरौनक, डबछ़िे हुए समैया
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.