Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 4

स्िािंत्र्योत्तर तहंदी कतििा: एक ििेक्षि: पूतिशमा रजक तनराला की कहातनयााँ: कहानी के पररतचि रूप िे पलायन: अंजतल कु मारी िमकालीन िंदभश में भारिीय िामातजक मूल्य: अनुराग कु मार पाण्डेय मिुरा जनपद में िुलिी की कृ तष का तिकाि: भौगौतलक अध्ययन: डॉ. कोमल तिंह‘ ऐिी नगररया में के ही तितध रहना’ की दृति िे जयनंदन के उपन्द्याि का िैतर्ि्य: गोपाल प्रिाद मैला आाँचल में प्रयुक्त में लोकगीिों का मूल्यांकन: लल्टू कु मार भूमंडलीकरि के दौर में नए िमाज की अिधारिा: रहीम तमयााँ िुषम बेदी के‘ हिन’ उपन्द्याि के पािों का मनोिैज्ञातनक अध्ययन: राजपाल
नव लेखन यह िमय और लेखक होने का मिलब: मनोज कु मार पांडेय तहन्द्द स्िराज: पठन की प्रस्िािना: राके र् तमश्र जलप्रलय- गोंडिाना लेंड एिं भरि-खंड: डॉ. श्याम गुप्त जेएनयू ििा िंघी राष्ट्रोन्द्माद: ईर् तमश्र घरेलू कामगार: अतस्मिा का तनयतिपरक का प्रस्िान: प्रो. अजय कु मार िाि क्लीन मेंटातलटी एंड क्लीन लोके तलटी: डॉ. दीपक‘ जय भीम’ र्ब्द के जनक िांस्कृ तिक पिश भगोररया: िंजय िमाश( लोक तिमर्श)
आिरि स्के च: कातिशक बस्िोर रेखातचि: डॉ. लाल रत्नाकर
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
- वंद
आज भी दुखता होगा अंतस आज भी बंधाती होगी खुद को वो ढांढस शायद अपने ककये अकृ त्य पर शकमिंदा होकर जब कहीं कु छ पढ़ती होगी या कहीं कु छ किखती होगी या कु छ देखती होगी अपराधबोध से ग्रकसत हो जाती होगी और उससे बाहर आने के किए एक संकल्प दोहराती होगी कक अब नहीं होने देगी किर से भ्रूण हत्या नहीं करेगी तुम्हारा बकहष्कार शायद उस वक्त मााँ कमजोर पड़ गयी होगी और पत्नी जीत गयी होगी एक श त के साथ पहिा और आकखरी दांव तुम िगाओगे भ्रूण हत्या मााँ के रूप में नहीं चाहती होगी मगर पत्नी के कर्त्तव्य के आगे जुबान पर तािा िगाया होगा चाहे एक बार ही आगमन से बेशक रोका होगा क्योंकक पाप तो पाप होता है चाहे एक बार करो या सौ बार और उसका िि भी पाया होगा वक्त की मार ऐसी पड़ी होगी ना जाने ककतनी जगह पैसा डुबाया होगा मगर तब भी समझ ना आया होगा कक ककस करनी का िि कमिा है शायद यही डर रहा होगा बेटी की शादी में खचात ककतना होगा कै से होगा और कहााँ से होगा मगर वक्त की मार से कौन बचा है
Vol. 2, issue 14, April 2016.