Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 49

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
आंतज़ार हुसैन की कहानी कस्थर नहीं है वह मानवीय भावनाओं के प्रकतकबंब के रूप मे प्रवाहमान है । ईनकी कहानी रेखागत नहीं बकल्क पेंडुिम की तरह अगे-पीछे करती है तो कभी पतंग की तरह गोि-गोि घूमती हुयी ऄपने धुरी से अगे कनकाि जाती है ।
कबभाजन के वि जमीन का बटवारा मात्र नही है बकल्क यह दो व्यकि के मध्य ऐसी रेखाओं का कनमाूण करती है जो मानवीय संवेदनाओं, संबंधो, मूल्यों सभी को बााँट देती है । ऄपनी जड़ो से कटते िोगो की काल्पकनक दुकनया मे ईनके कबरासती घर खंडहर बन जाते है जहााँ की यादें बार-बार मन को कचोटती है और आन सब से ईठी एक टीस है जो कबभाजन से प्रभाकवत प्रत्येक व्यकि के ऄंदर मौजूद है ।
ऄतः कहा जाय तो बस्ती मात्र एक कथा नहीं बकल्क मानवीय संवेदनाओं का अख्यान भी है ।
अतमत कु मार एम ॰ तिल ॰ तुलनात्मक सातहत्य
महात्मा गांधी अंतररास्रीय तहन्दी तिश्वतिद्यालय, िधाद
युवा कवव ‚ लव कु मार लव ‛ का है. वजसे पढ़कर मुझे बहुत अश्चयय हुअ वक ज वलखा जा रहा है. वजसमे लेखक और प्रकाश काव्य संग्रह पाठक के सामने प्रस्तुत वकया है. जीवन और ग्रामीण सोंद य की ऄवभव्यवक्त को सरोकार होते हैं. ईसी प्रकार लव कु मार ने भी ऄ‘ कोमल मधुर सी बह रही है मेरे मन से शांि पानी की िरह एक शब्दों की धारा िन मन रूप तकनारों सी टकरािी... चली आ रही है एक नातयका की िरह स्पशि करने मेरे बेचैन मन को संजो रही है कु छ सुरहरे सपने कहीं िुम कतविा िो नहीं... लेखक‘ कतविा का बसेरा’ में कहिा है – कतविा यूूँही नहीं तमल जािी कहीं भीड़ में यूूँ ही नहीं उमड़ पड़िी कहीं तकसी खंडहर मन में’
संग्रह की कववताएँ वकसी सुदूर देश
बचपन की गहरी ऄनुभूवतयाँ भी समावहत हैं. की गहराआयों को परत दर परत ईके रने का काम उससे ही तमलने चातहए दुतनया के सारे स्वर्ि पदक वो ही हकदार है इनकी
लवकु मार ऄपनी कववताओं में बेच
करते हैं वजसके चलते पाठक को लगेगा वक वदशाओं में भटकता रहता है. हर तरफ रास्ते व को ढूंढता तो कभी वतयमान में. एक व्यवक्त की खोज रहा ह ूँ खुद को अंदर ही अंदर
Vol. 2, issue 14, April 2016.