Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 45
जनकृति अंिरराष्ट्रीय पतिका/Jankriti International Magazine
ISSN 2454-2725
(बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
(बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
है। ये कविताएं जहां, वदल और वदमाग़ एक हो चक
ु े नज़र आते हैं, जहां कंटेन्ट और िामभ को एक दसू रे से जदु ा करना
परू ी तरह से नाममु वकन है। वमसाल के तौर पर, देहरी पर मेरी मां और लालसा, स्त्री प्रश्न] सनक जाने की खबर] ईश्वर की
चौखट पर, दया: दवलत संदभभ में, कुबाभनी का मतलब आवद। इन कविताओ ं के कुछ बंद यहां देना िावजब होगा।
''याद करने को कहो
तो
कुछ भी याद नहीं
यद्यवप बीते
पैंतीस साल
मैंने देखा
मां को
मरते हए
.........
.........
जल गयी मां
मां और श्रम
िे मां से अवधक
एक श्रवमक थीं
मैं यह कभी न
भल
ू पाऊंगा
कभी नहीं''
(देहरी पर मरी मां)
''विर, िाम वदिा में मैंने
खदु को पाया
लाल सरू ज को मैंने
िीि निाया
''मैंने तमु से सीखा
तमु से पाया
िह जो
जीिन-भर मैंने पाया।''
(लालसा)
''कहीं ऐसा नहीं हो वक
तम्ु हारे देि की जेलों में भी
वनदोष लोगों दवं डत करने की
परंपरा कायम रहे और
Vol.2, issue 14, April 2016.
जनकृति अंिरराष्ट्रीय पतिका/Jankriti International Magazine
आज़ाद दवक्षण अफ्रीका में
गोरे सामतं ों की
काली नस्ल िासन करे ''
(कुबाभनी का मतलब)
''छीजता है आत्मविश्वास
जब नहीं होती सहजता
सबं धं ों में
सनक गया है
कहते लोग अक्सर
चल देते महंु िे रकर''
(सनक जाने की खबर)
''तमाम प्राथभनाएं
रह गई ंअनत्तु ररत
जीिन और प्रेम
के वलए
जो की गई ं
न के िल
अस्िीकृ त रहीं िे
तरह तरह से
पीड़ा और दि
ं का
अनभु ि भी वदया''
(ईश्वर की चौखट पर)
''न जाने वकतने दयालु देखे हैं
मैंने जीिन में
और उनका कै सा-कै सा दान
यह दया उन्होंने वकसके वलए और क्यों की
यह क्यों नहीं बताते साि साि''
(दया: दवलत संदभभ में)
और एक कविता है उपसहं ार, थोड़ी कवठन है समझने में पर समझना जरूरी है इसे, क्यों वक इसमें विज्ञान और
समाजविज्ञान की बातें हैं जो हमारे जीिन को वनधाभररत करतीं हैं। और चौहान के पेिे से भी जड़ु ी हई हैं। अनभु िों और
इरादों को वजस संदु रता से इसमें वपरोया गया है, उसे पढ़कर जी खि
ु होता है और वदमाग़ को नयी वग़जा वमलती है,
सोचने का िह काम वजसकी जरूरत है, अभी और इसी िि। जरा इस बंद को पढ़े-
वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
Vol.2, issue 14, April 2016.
वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.