Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 32

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
-शौभा जैन हर रोज की तरह वो आज भी घर से ननकला मार्च का महीना नर्लनर्लाती धूप में सुबह ९ बजे सड़क और आसमान की तपन जैसे आंग उगल रहे हो पर नोकरी है कोई फकच नहीं था उपर से लेकर नीर्े तक आग बरसे या अंगारे | वो ननकल र्ूका था अपनी मोटर साईकल पर, घर से एक कप र्ाय पीकर, अपना सेल्समेन वाला बैग हाथ में नलया और र्ल नदया अपनी इंश्योरेंस पानलसी के सुनवधाजनक और फायदेमंद प्लान समझाने के नलये हर रोज की तरह आज भी उसे अपने बॉस का प्रेशर था कम से कम दो पानलसी उसे लानी ही थी | महीने के अंनतम नदन और मार्च की क्लोनजंग र्ल रही थी कु छ लोगो के नाम और पते की नलस्ट नलये वो ननकल पड़ा था डोर टू डोर माके नटंग करने, जीवन बीमा की पानलसी करने, लोगो के जीवन को सुरनित करने के नलये जबनक वो खुद हर रोज एक असुरिा से भरा जीवन जी रहा था |
शहर की हर तरह की र्ोडी सकरी गनलयों से गुजरता हुआ पते ढूंढता हुआ आज वो एक ऐसे शख्स के यहााँ पहुाँर्ा नजसका घर एक बहुत ही पाश मतलब महंगी कालोनी में था घर की बनावट और सुन्दरता उसे अंदर ही अंदर इस बात के नलये आश्वस्त कर रही थी नक शायद वो यहााँ से खाली हाथ न जायगा | सीनडयां र्ड़कर वो बेल बजाता है | और इंतजार करने लगता है, नकसी के पट खोलने का | वो घर, कालोनी के बानक घरों में सबसे सु ंदर था उसे पता नमलते ही जेसे ही उसकी नजर उस घर की तरफ पड़ती है तो उसके अंदर जो आत्मनवश्वास जगता है उससे आज उसे अपने टारगेट पूरे होते नजर आने लगे नफर मन ही मन सोर्ता कम से कम एक छोटी सी पानलसी तो नमल ही जाएगी | इतना बड़ा आदमी लग रहा है इतना बड़ा मकान बनाया हैं तो मुझे जरूरतमंद समझकर ही एक पानलसी ले लेगा | शायद इसी सोर् के साथ वो नफर से बैल बजाता है, अबकी बार अंदर से एक कु त्ते के भोंकने की आवाज आती है उसे नफर महसूस होता हैं एक कु त्ता भी पाल रखा है | एक इन्सान की मदद तो कर ही देगा है | उस वक़्त उस घर के बाहर खड़ा होना ही उसे उसके अंदर के नवशवास को पुख्ता कर रहा था इस उम्मीद के साथ की आज वो यहााँ से कम से कम एक पोनलसी तो लेकर ही जायेगा शायद छोटी नहीं बड़े अमाउंट की ही नमल जाय इतने बड़े आदमी का जीवन बीमा भला कौन नही करना र्ाहेगा |
इतनी देर में एक काम वाली बाई घर का दरवाजा खोलती है नजसने एक पुरानी सी नीले रंग की साड़ी मराठी पल्ले के साथ पहन रखी थी अपनी कमर में खुसी हुई साड़ी को ननकलती हुई थोड़ी ड्योडी र्ड़ाते हुए उसने पूछा क्या काम है?, नकससे नमलना है?, आपने अपॉइंटमेंट नलया है क्या पहले? | उस सेल्समैन ने जवाब नदया--- मैं नजस काम के नलये आया ह ाँ उसमे अपॉइंटमेंट लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती, क्या मैं घर के मुख्य सदस्य से नमल सकता ह ाँ? नबना रुके पूरे आत्मनवश्वास के साथ उसने ये सवाल पूछा | काम वाली बाई को लगा ये कोई पररनर्त ही लगता है तभी ऐसा बोल रहा है पर पहले कभी इसको इस घर में नहीं देखा उसने उसे ऊपर से नीर्े तक आश्चयच भरी नजरों से देखा और कहा रुको में बुलाती ह ाँ नकसी को | काम वाली बाई अंदर गयी इतनी देर में उस सेल्स मैन ने घर का पूरा
Vol. 2, issue 14, April 2016. व ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
मुआयना कर नलया उसे घर के अंदर की खूबस कहााँ मैं 10 हजार रूपए मनहने की तनख्वा में ऐसा घर तो मैं नसफच सपने में ही देख सकता ह नजर पड़ी नजसमे पूवच प्रधानमंत्री इन्रागांधी क घर हैं | बड़े- बड़े झूमर और सु ंदर कालीन उस महसूस करवा रहे थे | उसे गवच महसूस हो रह उनके घर जा सकता है | घर के अंदर पहुाँर्न मुलाकात होना उसके नलये ज्यादा महत्वपूणच काफी है मेरे नलये | मैं कु छ अच्छे ररफरेन्स ही ल
उसने मन ही मन अपनी बातर्ीत की रुपरेख आता है, फु टबाल खेलते हुए | उसे आश्चयच से बड़े प्यार से देखकर कहता है--- आपसे ही न? में तो आपको जानता भी नही, मम्मा को ब आप आओ मुझसे बातें करो अपना नाम बता तुम्हारा नकसने रखा... बच्र्े ने जवाब नदया द आप क्या करते हो- सेल्समेन ने जवाब नदया आमी से है सेल्समेन बोला नहीं उससे भी ब आप ऐसा क्या करते है मेरे पापा आमी में है आ छु रियााँ लेकर आप उनसे जरुर नमलना सेल्सम होगा | अपने जीवन की परवाह नकये नबना जी जान की परवाह ही नहीं करते पानलसी तो गय एक आमी आनफसर से कम से कम आज के मेरी उपलनब्ध होगी वरना रोज कौन से अच्छे
इतनी देर में बाई आ जाती है वो पूछती है आप कहााँ से आये हो? अपना काडच दे दो औ
सेल्समेन थोडा ननराश हो गया उसे लगा म नदया तो मुझे ये माके नटंग बॉय समझ कर टरक एक सेल्समेन की हेनसयत से नहीं एक अच्छ जवाब देता है, आमी ऑनफसर यहााँ आये हुए
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