Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 21
जनकृति अंिरराष्ट्रीय पतिका/Jankriti International Magazine
ISSN 2454-2725
(बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
जनकृति अंिरराष्ट्रीय पतिका/Jankriti International Magazine
ISSN 2454-2725
(बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
थामा इक ददन भीम ने, बौद्धधमष का हाथ।
लाखों ददलतों ने ददया, नवबद्ध
ु का साथ।।
बौद्ध धमष ही नेक है, बााँटे सबको प्यार।
हर मानव पाता यहााँ, समता का अदधकार।।
।। दोहा।।
मक
ू जनों के देव बन, दकया ददलत कल्यान।
वदिं चतजन को तब दमला, वो खोया सम्मान।।
दशषन, दचिंतन ने सदा, ददखलाई नव राह
सपिं ादक, लेखक बड़े, पररवतषन की चाह।।
।। चौपाई ।।
चौदह अक्टूबर सन् छप्पन, नागपरू में था सम्मेलन। 33
सबसे बाइस प्रण करवाया, और नया इक पथ ददखलाया। 34
'ईश्वर पे दवश्वास न करना, अवतारों पे ध्यान न धरना। 35
बद्ध
ु ने हमको राह ददखाई, उस पर चल कर करें भलाई। 36
बोलो झठू , न चोरी करना, काम-क्रोध से हरदम बचना। 37
नशा नाश कर देता जीवन, बद्ध
ु धम्म ही सच्चा दशषन। 38
गााँव छोड़ कर शहर में आओ, जीवन का आधार बनाओ। 39
पिंचशील को अपनाएाँगे, समरसता हम फै लाएाँगे'। 40।
।। चौपाई ।।
पढकर के कॉलेज तक आए, तब समाज के जन हषाषए। 17
पहला ददलत यहााँ तक आया, भीमा ने इदतहास बनाया। 18
गए दवदेश, लगन से पढ कर, बनकर लौटे वे बैररस्टर। 19
छुआछूत में देश अड़ा था, मानवता का ददष बड़ा था। 20
बोदधसत्व ने हार न मानी, ददलतों की ताकत पहचानी। 21
मानव मानव एक समाना, यह दचिंतन था मन में ठाना। 22
मनस्ु मदत में आग लगाई, चतवु षणष की हाँसी उड़ाई। 23
मदिं दर में परवेश कराया, ददलतों को प्रभु तक पहचाँ ाया। 24
।। दोहा ।।
छह ददसिंबर छप्पन को, छाया दक्ु ख महान।
बाबा साहब ने दकया, इस ददन महाप्रयान।।
ददु नया को दे कर गए, एक बड़ा 'नवयान'।
जब तक यह सिंसार है, अमर है तेरी शान।।
।। समाप्त।।
।। दोहा।।
परू ी ददु नया को ददया, समता का पैगाम।
बाबा साहेब ने दकया, दकतना अद्भुत काम।।
सिंदवधान रच कर गढा, नतू न दहदिं स्ु तान।
भीमा ददु खयों के बने, सचमचु कृ पादनधान।।
।। चौपाई ।।
देख दवषमताओ िं की खाई, बाबा ने तरकीब बनाई। 25
अलग रहे 'दनवाषचन सचू ी', ददलतों की पहचान समचू ी। 26
गााँधी अनशन पर जा बैठे, देश न बाँट पाए यह ऐसे। 27
गााँधीजी की जान बचाने, बाबासाहब कहना माने। 28
मगर कहा-लेंगे आरक्षण, ददलतों को दे दो सिंरक्षण। 29
आरक्षण पे नहीं थी अनबन, गााँधी ने भी त्यागा अनशन। 30
भीमा थे मक
ू ों के नायक,बन गए उनके भाग्यदवधायक । 31
कहा-शोदषतो आगे आओ, अपना रस्ता आप बनाओ। 32
सपं ादक,
सद्भावना दपषण
कार्ाषलर् - २८ प्रथम तल, एकात्म पररसर,
रजबंधा मैदान रार्पुर. छत्तीसिढ़. 492001*
*मोबाइल* : 09425212720
।। दोहा।।
Vol.2, issue 14, April 2016.
वषष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
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