Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 184
जनकृति अंिरराष्ट्रीय पतिका/Jankriti International Magazine
ISSN 2454-2725
(बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
जनकृति अंिरराष्ट्रीय पतिका/Jankriti International Magazine
ISSN 2454-2725
(बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
‚जय भीम‛ शब्द के जनक
‘जय भीम’ आज बहुजन अस्ममता और एकता का प्रतीक बन चक
ु ा है. ।हर बहुजन यवु ा उत्साह से ‚जय भीम‛ के
साथ एक-दसू रे का अस्भवादन करते हैं. । ‘जय भीम शब्द की उत्पस्ि महाराष्ट्र में हुई. इस ‚जय भीम‛ शब्द के जनक
बाबू हरदास एल. एन. थे, जो 1921 में बाबासाहब डा. अम्बेडकर के साथ सामास्जक आंदोलन में उतरे . बाबू हरदास
का पररवार पढा-स्लखा था।. स्पता लक्ष्मण उरकुडा नगराले रे लवे स्वभाग में बाबू थे. उस समय देश में वणणभदे और
जास्त भेद के कारण भीषण सामास्जक और आस्थणक स्वषमता फै ली हुई थी. सन 1922 में महाराष्ट्र के अछूत संत
चोखामेला के नाम पर उन्होंने एक छात्रावास शरू
ु स्कया. 1924 में उन्होंने एक स्प्रंस् ंग प्रेस खरीदी थी और सामास्जक
जागृस्त के स्लये ‚मडं ई महात्म्य‛ नामक स्कताब सामास्जक जागृस्त के स्लये स्लखी थी, साथ ही‛चोखामेला
स्वशेषांक‛ भी स्नकाला था.।बाबासाहब के आदं ोलनों में उन्होंने बढ-चढकर स्हमसा स्लया. 1930 के नास्सक
कालाराम मस्ं दर सत्याग्रह तथा 1932 में पनू ा पैक् के दौरान उन्होंने बाबासाहब के साथ महत्वपूणण भस्ू मका
स्नभाई.।‛जय भीम‛ का सबं ोधन पहली बार उनके मन में एक मस्ु मलम व्यस्ि को देखकर आया. उस समय
कायणकिाणओ ं के साथ घमू ते हुये रामते में एक मस्ु मलम को दसू रे मस्ु मलम से ‚अमसलाम-अलेकुम‛ कहते हुये सनु ा.
।जवाब में दसू रे व्यस्ि ने भी ‚अलेकुम-सलाम‛ कहा. ।तब बाबू हरदास ने सोचा स्क हमें एक दसू रे से क्या कहना
चास्हये? उन्होंने कायणकिाणओ ं से कहा, ‚मैं ‘जय भीम’ कहगूँ ा और आप ‘बल भीम’ कस्हये. उस समय से ये
अस्भवादन शरू
ु हो गया, पर बाद में ‘बल भीम’ प्रचलन से गायब हो गया, के वल ‘जय भीम’ ही प्रचलन में
रहा.1933-34 में बाबू हरदास ने समता सैस्नक दल को ‘जय भीम’ का नारा नागपरु में स्दया. इस तरह ‘जय भीम’ हर
जगह छा गया. बाद में डॉ. अम्बेडकर ने खदु भी 1949 में अपने पत्रों में जय भीम स्लखना और कहना शरू
ु कर स्दया
था. 12 जनवरी 1939को उनका पररस्नवाणण हो गया था. उस स्दन उनको श्रद्ांजस्ल देते समय बाबासाहब ने कहा था,
‚बाबू हरदास के रूप में मेरा दास्हना हाथ चला गया. ‘जय भीम’
स्रोत- http://jaibhimji.in/
Vol.2, issue 14, April 2016.
वषष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
Vol.2, issue 14, April 2016.
वषष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.