Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 183

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव
ही क्रांथतकारी प्रथतरोध की. ऄतः यह एक लंबा संघषर होने जा रहा है. दमन का प्रथतरोध, प्रथतरोध का दमन दमन का प्रथतरोध....
प्रमतरोध की शमियां
यूरोपीय नवजागगरण तथा प्रबोधन अंदोलनों ने जरमजात सामाथजक भेद को समाप्त कर थदया था. 19वीं शताब्दी में जब मार्कसर पू ंजीवाद के राजनैथतक ऄथरशास्त्र के गथतथवज्ञान के थनयमों का ऄरवेषण कर रहे थे तब सामाथजक थवभाजन का अधार के वल अथथरक था. आसी थलए मैथनफे स्टो में मार्कसर-एंगेल्स थलखते हैं थक पू ंजीवाद ने ऄंतरथवरोधों को सरलीकृ त कर समाज को 2 परस्पर थवरोधी वगों – पू ंजीपथत और सवरहारा – में बांट थदया. भारत में
पारंपररक-धाथमरक मूल्यों के थनषेध के साथ नवजागरण के समतुल्य सामाथजक तथा साथहथत्यक अंदोलन कबीर से शुरू हुअ था थजसका कें द्रेयीय थवषयवस्तु थी सामाथजक तथा अध्याथत्मक स्वतंिता यही नवजागरण का भी मूलमंि था. यह अंदोलन ब्राह्मणवाद तथा कठमुल्लेपन के ऄंत की ताथकर क पररणथत तक र्कयों नहीं जा पाया वह ऄलग चचार का थवषय है. मार्कसर की ऄपेक्षा के प्रथतकू ल ईपथनवेशवादी शासन एथसअथटक ईत्पादन पिथत को तोडने की बजाय,
औपथनवेथशक लूट के थहत में आसके साथ थमली-भगत कर ली. भारतीय कम्पयुथनस्टों ने मार्कसरवाद को वस्तुगत पररथस्थथतयों को समझने की थवथध के रूप में ऄपनाने की बजाय आसे एक मॉडेल के रूप में ऄपनाया. यद्यथप वे जाथतवादी ईत्पीडन के थवरुि संघषों की ऄथग्रम पंथक्तयों में रहे र्कयोंथक शोथषत जाथतयााँ शोथषत वगर भी रही हैं. तथाथप मेरी राय में, ऄलग से जाथत एजेण्डा को संबोथधत न करना रणनीथतक ही नहीं सैिांथतक गलती थी. जाथत ऄभी भी
समाज की जीवंत वास्तथवकता है. मंडल-थवरोधी ईंमाद के दौरान थवपक्ष में वामपंथी ही थे. थदल्ली थवश्वथवद्यालय थशक्षक संघ के वामपंथी ऄध्यक्ष एमएमपी थसंह को पद से स्तीफा देना पडा था क्. थक अरक्षण समथरन का प्रस्ताव जीबीयम ने थनतर कर थदया था. जेएनएसयू के वामपंथी ऄध्यक्ष ऄथमत सेनगुप्ता को भा ईरही कारणों से आस्तीफा देना पडा था. ऄंबेडकर तथा ईनके ऄनुयाथययों ने ब्राह्मणवाद के मुदेे को प्रमुख मुदेा बनाया. सामाथजक, सांस्कृ थतक तथा
अथथरक रयाय के समेथकत संघषर के थलए ऄंबेडकरवाथदयों तथा वामपंथथयों के बाच संवाद समरवय एवं एकता की जरूरत लंबे समय से थवलंथबत थी. रोथहत की शहादत ने संघषर में एकता का ऄवसर प्रदान थकया है थजसे जेयनयू प्रकरण ने पुख्ता थकया है. संघषों की एकता की पररणथत सैिाथरतक एकता में होनी चाथहए. थसफर पू ंजीवाद ही नहीं थसिांत के संकट से जूझ रहा है, समाजवाद भी. जय भीम व लाल सलाम के नारों की एकता की थनरंतरता बनी रहनी चाथहए. जैसा थक जेयनयू तथा यचसीयू पर हमलों से स्पष्ट है थक थशक्षा तथा जनतंि पर हमला दुहरा है – सांस्कृ थतक और अथथरक. संघषर भी दोनों मोचों पर हो रहा है. ब्राह्मणवाद द्वारा पररसरों के भगवाकरण के थवरुि तथा भूमंडलीय पू ंजी के साम्राज्यवादी मंसूबों के थवरुि जो थशक्षा को व्यापाररक सेवा की भांथत गैट्स में शाथमल कर पउणररूप से थशक्षा को एक ईपभोक्ता सामग्री बना देना चाहता है.
थपछले 25-30 सालों में पररसरों की संरचना जातीय तथा थलंग समीकरणों में जबरदस्त बदलाव अया है. मनुवाद के तहत थशक्षा से वंथचत तपके – दथलत, अथदवासी, थपछडी जाथतयां तथा मथहलाएं याथन, बहुजन का पररसरों में बहुमत है. आसका प्रमुख कारण दथलत दावेदारी तथा प्रज्ञा एवं नारी दावेदारी तथा प्रज्ञा में या ऄभूतपूवर ईफान है. जेएनयू में लगभग 60 % मथहला छाि हैं. हर तरह के मार्कसरवादी और ऄंबेडकरवादी साथ थमलकर फासीवाद के थवरुि बहुत ही मजबूत ताकत हैं लेथकन ऄलग-ऄलग रहकर एक- एक करके कु चले जाने के थलए ऄथभशप्त, जैसा थक ना्ी जमरनी
में हुअ था. अज फासीवाद महज कल्पना थवरोथधयों की सभाओं में हुडदंग मचा रहे हैं औ की तजर पर. आथतहास से सीखने की जरूरत है.
सिय की िांग
जैसा थक उपर कहा गया है, आस ऄघोथषत से दो कारणों से ऄथधक खतरनाक है । पहला,
औथचत्य साथबत करने के थलए संघ के नेताओ मध्यवगर का बडा थहस्सा कु थपत था. यह फा को थनशाना बना रहा है. दूसरे घोथषत अपातक के पास एबीवीपी, बजरंगदल, थवथहप जैसे ऄ आसीथलए प्रथतरोध भी मजबूत तथा एकीकृ त ऄनुशरण होना चाथहए.
ऐथतहाथसक रूप से युवा ही क्रांथतकारी अ मुझे यह यह सांस्कृ थतक क्राथरत थक शुरुअत ल
ऄंतदृरथष्ट तथा शथक्तयों के नए समायोजन का मथशरया थलखेगा. फासीवादी दमन तथा जय भ
एकता का मंच प्रदान थकया है. आस मंच में संघ मगर तभी जब आन संगठनों की पाथटरयों के हाइ ब्राह्मणवाद पर पर थनभर संघी फासीवाद तथा संशलेषण से जय भीम-लाल सलाम नारों को बनाने की जरूरत है. यह मुथश्कल है लेथकन स सकती है.
अथखरी परंतु महत्वपूणर बात है थनदरल व
आस तरह के संकटों में ही सथक्रय होते हैं. वे जा छाि अंदोलन को बल देने के थलए संगथठत ह
इश थमश् एसोथसएट प्रोफे सर राजनीथत थवज्ञान थवभाग थहरदू कॉलेज, थदल्ली थवश्वथवद्यालय
थदल्ली 110007 9811146846
Vol. 2, issue 14, April 2016. व ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.