जनकृ ति ऄंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव ऄम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि ऄंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति ऄंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव
स्थानीय मौसम, वफीली हवाएं.... सांस्कृ ततक ऄज्ञान के कारण ऄतवकतसत रहे | जो सभ्यिाएं मनु के नेिृत्व में तहमालय के ितक्षणी भाग की भौगोतलक स्वस्थ भूतम पर बसी वह महान तवतससि सभ्यिाएं बनीं |
गौरी शंकर तशखर पर ईतर कर मनु एवं ऄन्य बचे हुए लोग ततब्बत में बस गए | मनु एवं नौका में बचे हुए जीवों व वनस्पततयों के बीजों से पुनः सृति हुइ | तहमालय की तनम्न श्रेतणयों को पार कर मनु की संतानें ततब्बत एवं कम उँ चाइ वाले पहाडी तवस्तारों में बसती गइ ं तफर जैसे-जैसे समुद्र का जल स्तर घटता गया वे भारतीय भूतम के मध्य भाग में अते गए धीरे-धीरे जैसे-जैसे समुद्र का जलस्तर घटा मनु का कु ल पतश्चमी, पूवी और दतक्षणी मैदान और पहाडी प्रदेशों में फै ल गए
जनसंख्या वृति और वातावरण में तेजी से होते पररवतषन के कारण वैवस्वत मनु की संतानों ने ऄलग- ऄलग भूतम की ओर रुख करना शुरू तकया जो तहमालय के आधर फै लते गए ईन्होंने ही ऄखंड भारत की सम्पूणष भूतम को ब्रह्मावतष, ब्रह्मात षदेश, मध्यदेश, अयाषवतष एवं भारतव ष अतद नाम तदए यही लोग साथ में वेद लेकर अए थे तजन्होंने एक ईत्कृ ि सभ्यता को जन्म तदया जो तनश्चय ही तवनि देव सभ्यता का संस्काररत रूप था | वैवस्वत मनु ने मनु-स्मृतत के रूप में नीतत-तनयम पालक व्यवस्था से संपन्न तकया तथा पररशोतधत भाषा वैतदक-संस्कृ त व लौतकक संस्कृ त का गठन से एक ईच्च अध्यातत्मक तचंतन युक्त श्रेष्ठ सभ्यता को जन्म तदया | वे सभी मनुष्य अयष कहलाने लगे अयष एक गुणवाचक शब्द है तजसका सीधा- सा ऄथष है श्रेष्ठ आसी से यह धारणा प्रचतलत हुइ तक देवभूतम से वेद धरती पर ईतरे स्वगष से गंगा को ईतारा गया अतद | आस प्रकार अयष जातत... तवश्व का प्रथम सुसंस्कृ त मानव समूह... का भारतीय क्षेत्र में जन्म व तवकास होने के ईपरांत... मानव सारे भारत एवं तवश्व भर में भ्रमण करते रहे सुदूर पूवष में फै लते रहे |
आन अयों के ही कइ गुट ऄलग-ऄलग झुंडों में पूरी धरती पर फै ल गए और वहाँ बस कर भाँतत-भाँतत के धमष और संस्कृ तत व सभ्यताओं अतद को जन्म तदया मूलदेश से दूर बसे मानव स्व-संस्कृ तत को भूलने लगे तथा वे एवं स्वदेश में भी तसफि भौतिक सुख में डूबे, स्वयं में मस्ि, ऄर्ातमिक कृ त्य व व्यवहार वाले लोगों, जातियों व सभ्यिाओं को ऄनायि कहा जाने लगा | मनु की संिानें ही अयि-ऄनायि में बुँटकर र्रिी पर फै ल गइ। ं आस र्रिी पर अज जो भी मनुष्ट्य हैं वे सभी वैवस्वि मनु की ही संिानें हैं |
वैवस्वत मनु की शासन व्यवस्था में मानवों में पाँच तरह के तवभाजन थे- देव, दानव, यक्ष, तकन्नर और गंधवष वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे आल, आक्ष्वाकु, कु शनाम, ऄररि, धृि, नररष्यन्त, करुष, महाबली, शयाषतत और पृषध पुत्र थे आसमें आक्ष्वाकु कु ल का ही ज्यादा तवस्तार हुअ आक्ष्वाकु कु ल में कइ महान प्रतापी राजा, ऊतष, ऄररहंत और भगवान हुए हैं सबसे बडा पुत्र ऄधष-नारीश्वर था आसतलए ईसके दो नाम थे- आल और आला आस पुत्र से राजपररवार की दो मुख्य शाखाओं का जन्म हुअ, आल से ― सूयषवंश ‖ और आला से ― चन्द्रवंश ‖ का
तनरंतर तवकास के ईपरांत जनसंख्या तवकास के ऄगले चरण में... मानव भारतीय भूभाग से पुनः ईत्तर- पतश्चम की ओर से.. ऄफ़्रीका, योरोप, एतशया, चाआना, और ग्रेट-बेररयर रीण पार करके ईत्तरी ऄमेररका पहुंचा,’ वहां से दतक्षण-ऄमेररका-( जो आस समय तक लारेतशया के तवघटन से’ ईत्तरी ऄमेररका व
गोन्डवाना के तवघटन व द. ऄमेररकी भूभा दतक्षण की ओर.. दुगषम तवन्ध्य पार करक तादाम्य करता है | आस प्रकार अयष सभ्यत पूवी द्वीप समूहों, एडम्स तब्रज पार कर पतवत्र नतदयों के नाम आस प्रकार हैं—― गंग तहमालय के दतक्षण के संपूणष देश को ही ―
तवतभन्न महाद्वीपों के तवचलन कारण’ मानव’.. तवकास के प्रत्येक च पुनस्थाषपन, पररवतषन व गतत करता रहा’ अधुतनक वैज्ञातनकों द्वारा ईसी स्थान क
नृवंशशातियों के ऄनुसार यूरेतशया एक ही मूल धारा के थे वे गेहुँए या श् यामल में वे धीरे बदलाव अया औ-धीरे गोरे हो नइ दुतनया ऄमेररका पहुँचे वे कालांतर म
तचि-6 भारत से मानि का विश्व में प्रसार.. चतुथष जल-प्लावन.....
भविष्य पुराण में िवणित यह जलप्रलय त्र हुए, के काल में भारत में हुअ | | मानिों ने ऄप
तक पृथ्िी समुद्र के ऄन्दर रही तत्पिात ऄग पविम के पिितीय िेत्र के वनिासी तत्रगतों( के िेत्र) द्वारा पुनः प्रातण-सृति की गयी | सरस्िती िेत्र में हुइ भूगभीय हलचल का पर तवनाश हुअ |
प्राचीन काल में वत्रगति नाम से विख्यात स्थापना सुिमाि ने की थी । प्रचीनकाल में यह घावटयों में एक है । धौलाधर पिित श्ंखला से स्थान रखती है । वकसी समय में यह िहर चंद्र
Vol. 2, issue 14, April 2016. व ष 2, ऄंक 14, ऄप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.