Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 171

जनकृ ति ऄंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव ऄम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि ऄंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति ऄंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव
गोंडवाना तहमयुग में गोंडिाना लेंड से भारत के विघटन ि ऄफ्रीकी भू भाग के यूरोवपयन प्लेट से जुड़ने ि टेवथस सागर के पविमी-मध्य भाग के विलुप्त होने के समय यहााँ अवद गोंड िणिनों द्रारा िवणित भारि के नमििा क्षेि में. प्रथम जलप्रलय हुअ वजसमें दविण प्रायद्रीप के पिित ि नवदयााँ पुनः परािवतित होकर ितिमान ऄिस्था को प्राप्त हुए एिं विनाि को प्राप्त मानि का पुनः विकास हुअ जो संभितया तनयंडरथल, क्रो-मेग्नन, होमो-आरेक्टस थे एिं वहमालय से रवित ईत्तरी भूभाग की ओर बढ़ने लगे |
तहमालय ईत्थान के परविी लगभग ऄंतिम काल के ऄतभनूिन युग के तहमयुग में महान तहमालय में ईत्पन्न भूगभीय हलचल से हुइ जल-प्रलय(– मनु की नौका घटना) में िेव-सभ्यिा के तवनाश पर वैवस्वि मनु ने आन्हीं वेिों के ऄवशेषों को लेकर तिब्बिीय क्षेि से भारि में प्रवेश तकया( आसीतलए वेिों में बार बार पुरा-ईसथों व वृहि् सामगायन का वणिन अिा है) एवं मानव एक बार पुनः भारिीय भूभाग से समस्ि तवश्व में फै ले तजसे योरोपीय तवद्वान् भ्रमवश अयों का बाहर से अना कहिे हैं |
तद्वतीय महा-जलप्लावन.......
भविष्य पुराण में िवणित वद्रतीय महाजलप्लािन( जो मूलतः िायु-प्रलय थी) सतयुग के मध्य चरण में राजा ितरथ या दिरथ के पुत्र काविराज खट्िाग( दीघिबाहु) के समय औत्तम मनु के काल में हुइ | महान देवी भक्त राजा खट्वाग को महाकाली ने स्वप्न में कहा की महान वायु से भरतखंड नि होजायगा ऄतः अप वतशष्ठ अतद मुतनयों सतहत तहमालय पर जाओ | आस िायु-जलप्रलय में पविम, पूिि, दविण ि ईत्तर सागरों,( रत्नाकर, मतादवध, िाडि एिं वहमाव्‍ध) के समस्त द्रीप भूखंड नि होगये | पांच िर्ि तक समस्त पृथ्िी जलमग्न रही | वफर िायु ने िांत होकर समस्त जल का िोर्ण कर वलया | यह िायद जम्बूद्रीप के ईत्तरी कु रु प्रदेि... ित्तिमान साआबेररया... से ईठे एक िवक्तिाली िायु के वििति के वहंदूकु ि ि वहमालय की नीची श्ेवणयों को पार करके भरतखंड तक अने से हुइ |
चतुथष तहमाच् छादन काल का जीव के तलए महान तवपतत्त का समय था ईसकी पराकाष् ठा के समय ईष् ण
कवटबन् ध की ओर बढ़ते वहमनद एिं वहम के विितों ने समस्त यूरेविया को लपेट वलया था । ऄधोिून् य नीमान के भयंकर बफािताप तूफ़ान ने यूरेविया( जम्बू द्रीप) का जीिन नि-भ्रि कर वदया एिं ईसका प्रभाि भरतखंड तक हुअ |। आसमें तनयंडरथल मानव काल की भेंट चढे ऐसे समय में के वल ईष्ट् ण कतटबंर् के असपास पवििों की रक्षा- पंति की ओट में ही जीवन पल सका िथा आस भीषण संकट से मुस ि कोने में मानव का पुनः संवर्िन( तवशुद्ध मानव होमो सेतपयंस में) हो सका । जो मूलतः वहमालय के रिापंवक्त वस्थत भरतखंड के ब्रह्मािति िेत्र में हुअ |
िृिीय महा जल-प्लावन......
तहमालय ईत्थान के महान तहमालय में ईत्पन्न भूगभीय हलच सभ्यता के तवनाश पर वैवस्वत मनु ने वेद तथा नवीन मानव सभ्यता का तवकास तक वणषन अता है) एवं मानव एक बार पुन भ्रमवश अयों का बाहर से अना कहते हैं
जल प्रलय की यह घटना संसार क नोअ के नाम से यहूदी, इसाइ, आस्लाम ऄन्य देशों की धातमषक परम्पराओं में यह क
नूह की कहानी के ऄनुसार जब न प्रकार के प्राणी समेत सारे घराने को लेक से बाहर के सभी प्राणी नि होगये | १५० एवं कश्ती के बचे हुए जीवों से दुतनया पुनः
मत्स्य पुराण में वतणषत मनु की कह हुए, के समक्ष मत्स्य रूप में प्रकट भगवान में डूब जायेगी | एक नौका बनाकर ईसमें के साथ चढ जाना | मैं स्वयं नौका को म मत्स्य के सींग से नौका बाँध दी.. मत्स्य न चालीस तदन तक महावृति होती रही सारी शंकर की चोटी तक पानी चढ गया था पुराणों में ईल्लेख भी है तक जलप्रलय के रहा
वैवस्वि मनु.. आन्हें श्रद्धािेव भी कह गोरी-शंकर के तशखर से होते हुए नीचे ईत आससे उँ चा, बफष से ढँका हुअ और ठोस प
महाजलप्रलय से तवनष्ट सुमेरु या जम् लोग व जाततयां वहीं यूरेतशया के ईत्तरी
Vol. 2, issue 14, April 2016. व ष 2, ऄंक 14, ऄप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.