Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 168

जनकृ ति ऄंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव ऄम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि ऄंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति ऄंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव
-डॉ. श्याम गुप्त
भविष्य पुराण ि ऄन्य पुराणों एिं बाआबल, कु रअन, ऄिेस्ता अवद विश्व भर के विवभन्न धावमिक ग्रंथों ि पुरा कथाओं अवद में जल-प्रलय की कथाएं वबखरी हुइ ंवमलती हैं | मनु की नाि, नूह का बेड़ा, नोअ का बक्सा अवद प्रकारांतर से प्राप्त कथाएं मूलतः वैवस्वत मनु के समय की जलप्रलय का वणषन है | िास्ति में मानि आवतहास
में कइ जल-प्रलय हुइ ंहैं परन्तु यह सबसे भयंकर जलप्रलय थी जो जम्बू द्रीप एिं िृहत्तर भरत खंड( वजसमें समस्त यूरोप, एविया, ऄफ्रीका, भारत, सवम्मवलत थे में हुइ एिं आस महाजल-प्लािन ने समस्त विश्व के प्राणी आवतहास को ही बदल कर रख वदया था, जहााँ से देि-मानि सभ्यता का विनाि एिं एक निीन मानि सभ्यता का पुनः प्रादुभाि हुअ | ऄतः यह घटना समस्त विश्व के स्मृवत पटल पर स्थायी बनी रही |
विविध िणिनों एिं साक्ष्यों के अधार पर देखें तो महान महाद्रीपीय विचलनों एिं वनरंतर भूसागरीय एिं छु द्र भूखन्डीय हलचलों के ऄवतररक्त ऄब तक मानव आततहास में पांच महा-जलप्रलय की घटनाएँ हुइ ंहैं |... १. ऄनाति काल में – गोंडिाना लेंड से भारत के विघटन ि ऄफ्रीकी भू भाग के यूरोवपयन प्लेट से जुड़ने ि टेवथस सागर के पविमी-मध्य भाग के विलुप्त होने
के समय भारि के नमििा क्षेि में.. २. सियुग के ऄंि में-- काविराज दािरवथ खट्िाग के समय औत्तम मनु के काल में
..... ३. वैवस्वि मनु के समय भारत ि ईत्तरापथ, इरान, ऄरब, पूिी योरोप, एविया( जम्बू द्रीप) भूखंडों में. ४. िेिा युग के ऄंि
में ईत्तर मध्य भारत में... राजा
संबरण- सािवणि मनु के समय...
५. द्वापर के ऄंि में ईत्तर-पविम
भारत में.. सरस्िती नदी विलुवप्त के समय |
प्रथम महा जल-प्लावन---- जो ऄनातद काल में तहमालय पूवष के गोंडवाना लेड एवं भारतीय प्रायद्वीप पर नमषदा क्षेत्र में हुइ | जब हम लगभग ३५ करोड़ िर्ि पहले की पृथ्िी संरचना आवतहास पर दृवि डालते हैं तो नूतन काल के प्रारम्भ में धरती ईत्तरी ि दविणी दो मुख्य भूखंडों में वस्थर हुइ थी वजसके मध्य में टेवथस सागर था | भूमध्य रेखा के वनकट वस्थत दतक्षणी भूखंड गोंडवाना लेंड कहलाता है एिं ईत्तरी भूखंड लारेविया |
भूगभि िावियों ने यह प्रमावणत वकया है वक तहमालय तनमाषण होने के पूवष वतषमान भारत पृथ्वी के दतक्षणी गोलाधष के तवशाल द्वीप समूह से जुडा हुअ था और पृथ्वी के मध्य रेखा पर तस्थत था. आसवलए
नृतत्ििावियों और जीि िावियों का मत है वक आसी द्रीप में सििप्रथम जीिाश्म का प्रादुभाि हुअ और प्रथम मानि भी आसी द्रीप में विकवसत हुअ, वजसमे ितिमान भारत के नमिदा घावटयों के िेत्र का समािेि होता है. आस तरह पृथ्वी का ितक्षणी गोलार्ि, गोंडवाना द्वीप-समूह में व िमान भारि ही वह द्वीप है, जहां अतिमानव सविप्रथम तवकतसि हुअ, ित्पश्चाि शेष द्वीप समूहों में ईसका तवस्िार हुअ.
भारत में भी मध्य-स्थान जनजातत...‖ गोंड ‖.. रहती है | आन दोनों में क्य
सम्बन्ध है, तहमालय तनमाषण की ईत्पवत्त हुइ, ऐसा गोंडी समुिाय के तसर द्रीपों की गाथा गंडोदीप तथा वसंगारदीप के मूलवनिासी समुदाय है मध्य भारि का ऄमर
जहां से नमिदा( नर-मादा) की जलधारा वनक हुअ, िह वनवित ही प्राचीन अवद मानिों की
प्राचीनकाल में महाप्रलय होने ऄनातदकाल से प्रचतलत है, वजससे यह पुवि ऄमरकं टक पिित के चारों ओर समुद्र वनमािण ह तनवास करने वाले गोंड समुिाय में प्रच ऄमरकं टक से प्रिावहत होने के पूिि से ही गोंड निी प्रवातहि होने के पूवि ही हो चुका था..
जीि-सृवि विविध जीि-जंतुओं में रूपांतररत ह रहे | गोंडवाना लेंड पर प्रथम अति-मानव अवद) ि ऄन्य जीि ऄमेररका, ऄफ्रीका, भार
अवद में विवक्सत एिं विवभन्न महासागरीय एि ऄभाि में बारम्बार नष्ट व ऄविररि होिे रह
ऄफ्रीकी भूखंड के लारेविया भूखंड से जुड़न
सागर की विलुवप्त एिं भारतीय प्रायद्रीप के टेव वहमिेत्र वतब्बतीय पठार, सुमेरु िेत्र एिं ईठते हेतु सिािवधक ईपयुक्त हुअ जहां ईपवस्थत अ विष्णु, आंद्र, सप्तवर्ियों के नेतृत्ि में सरस्िती-दृ
क्षनयंडरथल िे होमो िेक्षपयंि में क्षिकािमान ऄ ऄपनी अक्षद भाषा, िभ्यता एिं देिता िंभु ि सभ्यिाओं ने तमलकर ईन्नि सभ्यिाओं क स्थापक भी यही मानव थे
प्रमाण यही बताते हैं तक भारत के ईत्त नदी की शाखा देतवका नदी के तट पर मन की ईत्पतत्त हुइ |
Vol. 2, issue 14, April 2016. व ष 2, ऄंक 14, ऄप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.