Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 152

जनकृति अंिरराष्ट्रीय पतिका/Jankriti International Magazine ISSN 2454-2725 (बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक) जनकृति अंिरराष्ट्रीय पतिका/Jankriti International Magazine (बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक) जम्हूराः (पलललक को घरू ते हुये घेरे का चक्कर लगाता है लफर कहता है) ईस्ताद ये सब लहन्दस्ु तानी है। जादगू रः हां। ऄब जम्हूरा थोडा-थोडा ट्रेक पर अ रहा है। हम सब लहन्दस्ु तानी है। हम सब आसं ान है। हम सब का खनू ‘‘लाल‘‘ है। हम सब एक है। ऄमीर हो या गरीब हममें कोइ फकड नहीं है। जम्हूराः फकड है ईस्ताद। जादगू रः क्या फकड है ? जम्हूराः कोइ जतू े का काम करता है, कोइ स्वीपर का काम करता है, कोइ अलफस मे साहब है, कोइ पजू ा कराता है। जादगू रः हां। तू सही कह रहा है। कोइ कोइ जतू े का काम करता है पर जतू े का काम करने मे कोइ छोटा, दललत या लपछडा नहीं होता। ‘‘बाटा‘‘ का, ‘‘ललबटी का, ‘‘फलनक्स‘‘ का लकसका शेयर, शेयर बाजार मे ललस्टेड नहीं है ? स्टेशनों की सफाइ के ठे के बडी-बडी कंपलनयां लेती है, और ईस कंपनी में ऄगडे-लपछडे सब कंधे से कंधा लमलाकर काम करते है ऄरें सफाइ झाडू करती है, जात नहीं। जम्हूरे ‘‘वकड आज वलशडप‘‘ काम ही पजू ा है, क्या समझा ? जम्हूराः समझा-ईस्ताद। ऄगर कोइ जात-पात के अधार पर गाली दे तो ? जादगू रः (नाटकीय अवाज में) तो हररजन थाना है। काननू ऄपना है। पर ईसको यलद समझना है। तो लशक्षा को ऄपनाना ही पडेगा। बदु ल ं पाशडव स्वर- सनु ो, सनु ो, सनु ो (मनु ादी के ऄदं ाज मे) छुअछूत लवरोधी काननू 1965 के ऄतं गडत लकसी व्यलि को लकसी खास जालत मे पैदा होने के कारण ईससे दरू ी का व्यवहार लकया जावे, तो ईसे छुअछूत कहते है। सावडजलनक कंु ए, तालाब, सडक अलद के आस्तेमाल का हक हर जालत के लोगों को बराबरी से है। यलद कोइ छुअछूत मानता है तो वह ऄपराध करता है। ईसे एक साल की कै द व 500 रू. का जमु ाडना हो सकता है। यहीं ऄपराध बार-बार करने पर सजा बढाइ जा सकती है। (ढोलक की थाप) जादगू रः डा. भीमराव ऄबं ेडकर ने कहा है-लशलक्षत बनो। संगलठत हो। संघषड करो। यही प्रगलत का मत्रं है। जम्हूराः ईस्ताद। तमु तो बहुत वजनदार बात बता रहे हो। बच्चा लोग जोरदार ताली बजाओ। जादगू रः एक ओर वजनदार बात सनु ो। देश की अजादी में दलल