Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 151

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पति
( बाबा साहब डॉ. भीमरा
एक स्वर हो, एक ही लय ।
गीत अज मस्ती के गाओ । जादूगरः जम्हूरे । जम्हूराः हां, ईस्ताद । जादूगरः ये तो बहुत ऄच्छा गीत है ।‘‘ लशक्षा हमारी सच्ची मीत है । जम्हूराः ऐसा क्या? ईस्ताद । मगर पलललक का प्राललम कु छ और है । जादूगरः क्या है पलललक का प्राललम? जम्हूराः पलललक का प्राबलम है-‘ मनी‘। जनता को रोटी चालहये । कपडा चालहये ।
मकान चालहये । आज्जत की लजंदगी चालहये । जादूगरः जम्हूरे । पलललक की परेसानी का सोल्यूशन आस बाक्स मे है( एक बाक्स लजसमें ताला लटका हुअ है की ओर आंलगत करते हुये) जम्हूराः ऄरे कहा ईस्ताद( बीच मे रखी एक पेटी की ओर भागता है) पर आसमें तो
ताला लगा है ईस्ताद । जादूगरः लबल्कु ल । जो पढता नहीं, ईसके पास आस बाक्स की चाबी नहीं होती । जम्हूराः जो पढ ललख लेता है, ईसे आस बाक्स की चाबी लमल जाती है ईस्ताद? जादूगरः हां । आस बाक्स मे, वह ज्ञान धन है, लजसे हमारे पुरखो ने ऄपने ऄनुभवों से, लकताबों के रूप मे संजोया है । आसकी चाबी बडी टेढी-मेढी है, वह‘‘ क‘‘ है,‘‘ ख‘‘ है‘‘ ग‘‘ है‘‘ क्ष‘‘‘‘ त्र‘‘‘‘ ज्ञ‘‘ है(‘‘ क‘‘‘‘ ख‘‘‘‘ ग‘‘‘‘ घ‘‘ ललखा बो ड हवा मे लहराते हुये) जम्हूराः ऐसा क्या ईस्ताद । जादूगरः आन पुस्तकों मे राजगार लछपा है, रोजगार में रोटी भी है, कपडा, मकान और
आज्जत की लजंदगी भी है । जम्हूराः ऐसा क्या ईस्ताद । जादूगरः लजसने आन लकताबो को पढ ललख, समझ ललया, वो‘‘ अम‘‘ से खास बन सकता है । वो डााँक्टर बन सकता है, आंजीलनयर बन सकता है प्रोफे सर बन सकता है, वैज्ञालनक बन सकता है, वो क्या नहीं बन सकता? जम्हूराः यानी वो कु छ भी बन सकता है । जादूगरः लबल्कु ल । बहुत ताकत है, आन लकताबों में । आन लकताबों को पढने-समझने से, जनता ऄपने अप को पहचान सकती है । वो सब कु छ देख सकती है, जो ईसे देखकर भी लदखता नहीं । जनता ऄपने वोट की ताकत समझ सकती है । जनता नेता को पाठ पढा सकती है । नौकर, माललक से ऄपना हक मांग सकता है । जम्हूरा, ईस्ताद बन सकता है । जम्हूराः( अष्चयड से) लकताब में आतनी ताकत होती है, ईस्ताद? जादूगरः लबल्कु ल । लकताबें पढकर ही महात्मा गांधी, डा. ऄंबेडकर, बाबू जगजीवन राम, आसी गोल घेरे से लनकलकर, आतने ईपर पहुंच गये । जनरल से स्पेशल हो गये । जम्हूराः और जो न पढे तो? जादूगरः( गुस्से से) मत पढ ।
पढेगा नही तो बढेगा नहीं / तेरा स्वालभमान तुझको पुकारेगा नहीं / तू ऄपना ऄलधकार मांगेगा नहीं । तू खुद को पहचानेगा नहीं / पीलढयों का गुनहगार बनेगा / समाज में बदनुमा दाग रहेगा ।
जम्हूराः( लचरोरी करते हुये) ऄरे ईस्ताद ग
था । दरऄसल मास्साब से डर लगता है । पढाइ जदूगरः मगर राह नहीं कोइ और मुमलकन के बाद ऄपने जीवन में अइ बहार है । सरका ईन्हें ईपर लाने का ठाना है और आसललये अ जम्हूराः ईस्ताद ये अरक्षण क्या होता है? जादूगरः जम्हूरे तुम भी सुनों और पलललक के वल सुनों नहीं, ध्यान से गुनो ।
गीतकार मडली- सलदयों से लपछडे शोलषत थे, ईनके बल पर‘‘ कु छ‘‘ पोलषत थे । लपछडो का ऄपमान घृलणत है, जालत-पालत लवधान सृलजत है । शासन ने ऄब यह पहचाना, दललतों को ईपर है लाना । आसीललये अरक्षण लमलता, लजस में प्रावधान यह होता । सीट अपकी रलक्षत होती
जम्हूराः( गीत को ऄचानक रोककर) पर, ऄरे । पढोगे, ललखोगे तो दोगे जवाब । ऄनपढ, रहोगे तो कोरी लकताब । जम्हूराः ईस्ताद । मै समझ गया । जादूगरः क्या समझा? जम्हूराः यही ईस्ताद लक अरक्षण पाने के जादूगरः हां । आतना ही नहीं । लपछडे दललतों
की बैसाखी तोड कर फें क देना है । जम्हूराः वाह ईस्ताद । वाह । जादूगरः जम्हूरे । ये जो पलललक है, आसमें ई बच्चे है, बलच्चयां है- घेरे मे अगे की लाआन हो? जम्हूराः बता सकता ह ू ईस्ताद । जादूगरः बताओ । जम्हूराः ईस्ताद सबके बाल काले हैं ।
( पलललक हंसती है) जम्हूराः लसर खुजलाते हुये । ईस्ताद । हम स( पलललक लफर हंसती है) जादूगरः बेवकू फ ।
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
Vol. 2, issue 14, April 2016.