जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पति
( बाबा साहब डॉ. भीमरा
जम्हूराः वाह । ईस्ताद । वाह । ये हुइ न बात । बच्चा लोग एक बार लफर से जोर से ताली बजाओ । ईस्ताद । जरा कल्याणकारी योजनाओं का खुलासा लकया
जाए । जादूगरः जम्हूरे । समस्त शासकीय योजनाओं में शासन स्वरोजगार, लपछडे वगड, के
पात्र ईम्मीदवारों को प्राथलमकता देता है । जरूरत है लाभ ईठाने की और लाभ जागरूकता से ही ईठाया जा सकता है । जागरूकतालशक्षा से ही अती है । और.............। जम्हूराः और क्या ईस्ताद । जादूगरः और आतना ही नहीं गलती से कभी लकसी ऄनुसूलचत जालत के व्यलि का ईत्पीडन कहीं हो जाये तो भी तुरंत राहत की ऄनेक योजनाएं ऄनुसूलचत जालत लवभाग ने बनाइ है । हत्या, बलात्कार, मानलसक एवं शारीररक अघात, ऄखाद्य पदाथो के खाने या पीने से, मलहला के लैंलगक शोषण से पानी गंदा करने, रास्ते के रूलढ जन्य
ऄलधकार से वंलचत करने अलद हर लस्थलत मे ईत्पीडन पर लजलाधीश महोदय राहत की नगर रालश तुरंत स्वीकृ त कर सकते है । हररजन कल्याण थाना, स्थालपत लकये गये है ।( ढोलक की थाप) जम्हूराः लेलकन हमें ऐसा समाज बनाना है ऐसा वातावरण बनाना है लक, ऐसे ऄपराध हों ही नहीं । अदशड समदशी समाज बने ओर यह सब होगा लशक्षा के जादू से ।
गीतकार मंडलीः( समवर स्वर में) लकताबें पढो, हक की खालतर लडो, लकताबों से रस्ते लनकल अते है, साथ लेके लकताबों को जो चलते है, ईनके लबगडे हुए लदन संवर जाते है, अज भी हैं जो सर झुकाए हुए, ईनको लाना है लकताबों के संसार में, ईनकी दुलनया सचमुच बदल जाएगी, गर लकताबों के गले वो लग जाएगें । जम्हूराः ईस्ताद ऄब आस पेटी के भीतर का राज तो जनता को बता दो । जादूगरः( एक काला कपडा पेटी के ईपर डालता है और मुटठी में ताले की चाबी
लेकर पलललक से एक पढे ललखे बच्चे को बुलाता है और ईससे मुट्ठी में फू ं कने को कहता है) अज हमने जनता को लशक्षा का मंत्र लसखाया है । और आस पढे ललखे बच्चे से आस ताले की चाबी मे लशक्षा का जादू फू ं का है । तो लो लशक्षा का जादू देखो ।( ताला खोलकर कपडा हटाता है और पेटी खोलकर प्रचार सामग्री, योजनाओं की जानकारी के फोल्डर कु छ स्वंय और कु छ जम्हूरे के हाथो जनता में बांटे जाते है)( पेटी से एक जलता हुअ दीपक लनकलता है)( सभी कलाकार एक पंलि मे खडे होकर एक-एक कर ऄपना पररचय देते है) जादूगरः यह ज्ञान दीप लशक्षा का जादू फै लायेगा । अज जनता ने समझ ललया हमें । सुना और समझा जादूगर सबका शुलिया ऄदा करता है । हमको रूपया पैसा कु छ नही चालहये । बस एक वादा चालहये-जो जहां है, वहीं कु छ ऐसा करेगा लक देश में कोइ लपछडा नही रहेगा । सब बराबर होगें । कोइ आज्जत की टोपी पहनेगा तो कोइ टाइ । पर कोइ लकसी की आज्जत की लंगोट नहीं खींचेगा, हम आतना सशि समाज बनायेंगे लक अरक्षण के पुतले जलायेंगे. क्यों मेरे भाइ? जय लहन्द ।
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
Vol. 2, issue 14, April 2016.