जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव
कदम-कदम पर नए गीत नए मीत नए सिंगीत
हर ददन झेलता ह ूँ नए दुुःख
नए शाप और
नए पाप को
दर्र भी मैं नहीं बदलता ह ूँ सिंवत दर सिंवत चलता रहता ह ूँ भाव, आचरर्, भाषा कु छ भी तो नहीं बदलती प्रेम, रूप, सौंदयफ, स्वर
कु छ भी तो नहीं छु टती अदवरल, अनिंत प्रवाह में बहे जा रहा ह ूँ शब्दों के टुकड़े गहे जा रहा ह ूँ प्रददिर्ा सूयफ की दकये जा रहा ह ूँ
ित-दवित ह ूँ मैं पर रोष- जोश दोनों को समेटे दुर तक र्ै ली दितज़ की छाया में कर रहा ह ूँ समदपफत रोज अपने दहस्से की आयु
अपने दहस्से की वायु अपने दहस्से का प्रेम
अपने दहस्से का राग
अपने दहस्से का आग क्योंदक हाूँ, क्योंदक मैं दिलोचन हो गया ह ूँ!!
न रहे अब
संगषित हों भेदभ व भ रत पर भूल बैर
पहले गैरों
दुश्मन स दमन करक हैं आज भ रखके उनक सबक सम आदर सम सीम में सीष संषवध न र 125वीं ज बढ़के आगे आ
771-ए, रतन
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.