जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर की. 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ भीमराव अ
पानी से मनान करके अपने र्रीर की ऊजाश उत्पन्न की थी । उन्हें दवकास का पाठ पढाने ये र्हरी समाज- सुधारक आगे आने लगे । जोर जोर से ह ांसते हुए कहते हैं –‘ आददवासी कभी सुधरे थे क्या जो हम इन्हे सुधारने दनकले’। आददवासी उन्हें कु छ अलग से ददखाई देते हैं । यह र्हर वाले आददवादसयों को इतना कम क्यों आाँकते हैं । जांगल सरकार का हो गया, जांगल की लकदडयााँ सरकार की हो गयी, लकडी का व्यापार र्ुरू हुआ, जांगल की सांपदत् लुटने लगी । जांगल काटनेवाले डाकु ओां की सांख्या भी बढ गयी ‛ 1 । हजारों सालों से दजस जांगल पर आददवादसयों का अदधकार था आज वह सरकार का हो गया, आददवादसयों के दर्कार करने जांगल के सांसाधनों का उपयोग करने पर सरकार ने पाबांदी लगा दी अगर आददवासी पकडा जाता तो सलाखों के पीछे बांद कर ददया जाता है । ऐसे में डोंगर गााँव की दमथदत ददन-ब- ददन बदत्र होती जा रही थी । रमदणका गुप्ता दलखतीं हैं दक ‚ आददवादसयों को आददम जीवन जीने के दलए दववर् कर सभ्यता से दूर रखने की सादजर् भी इस बीच जारी रही और जारी रहा उनका र्ोषण दोहन । उनकी सांमकृ दत को न तो यहााँ के वादसयों ने पनपने या दवकदसत होने ददया और न ही उसे आत्मसात कर मुख्यधारा में र्ादमल होने ददया । उल्टे हमेर्ा उन्हें असभ्य, आददम या जांगली की पहचान देकर उनमें हीन भावना भरी जाती रही, दजससे इन पर उनका वचशमव कायम रहे । फलमवरूप आददवादसयों के समाज का दवकास ठहर सा गया, सोच का दवकास रूक गया और रूक गया उनकी सांमकृ दत और भाषा का दवकास ‛ 2 । आददवादसयों के प्रदत मुख्यधारा की यही रणनीदत आददवादसयों के दवकास की गदत को अवरूद्ध करता रहा है ।
डोंगर गााँव में र्हर से आये प्यारेलाल सेठ जैसे लोगों की हुकू मत चलती है । इनका गााँव में बडा सा रजवाडा है, रजवाडे से डांके की आवाज सुनते ही सभी आददवासी मज़दूर उनके खेतों में मज़दूरी के दलए पहुांच जाते हैं, दजन खेतों के कभी यही आददवासी मज़दूर मादलक हुआ करते थे । आज प्यारेलाल उनसे जबरदमती काम करवाता और प्यारेलाल के दवरूद्ध जाने की दकसी की भी दहम्मत नहीं थी । प्यारेलाल उन्हें ऋण देता और उनकी ज़मीन हडपता आददवादसयों के सामने उसकी छदव देवता की सी थी जो आददवादसयों के प्रदत सहानुभूदत रखने का ददखावा करता था लेदकन अबोध आददवासी उनके षडयांत्रों से अनदभज्ञ थे । प्यारेलाल के र्ोषण से बेखबर आददवादसयों के दलए यह कल्पना से परे की चीज़ थी दक जीवन में मनुष्य – मनुष्य का र्ोषण करे यह उनके जीवन दर्शन के दवरूद्ध था । उपन्यास का पात्र सदू उसी जीवन दर्शन का वाहक है- ‚ मैंने दजांदगी में कभी सोचा तक नहीं था दक मनुष्य – मनुष्य का ही भेद करता है ‛ 3 । आददवादसयों को लेकर मुख्यधारा में यह मान्यता बनी हुई है दक आददवासी अांधदवश्वासी, नर्े के र्ौकीन और कई तरह की रूदढयााँ कु प्रथाऍ ां इनके यहााँ व्याप्त हैं । कु छ हद तक इनमें सच्चाई भी है । लेदकन सवाल यह भी उठता है दक उन्हें उन अांधदवश्वासों और कु प्रथाओां से आददवासी समाज को मुक्त करने की दकतनी कोदर्र् मुख्यधारा के समाज ने की ¿ ऐसा भी कहा जाता है दक आददवासी दवकास दवरोधी हैं इसदलए वह अपने ही समाज के सीदमत दायरों में रहना चाहते हैं लेदकन वामतदवकता इस से दभन्न है । आददवासी समाज भी अपने अांदर की जड़ताओां से मुक्त होना चाहता है । अपने समाज के भीतर व्याप्त कमज़ोररयों को जानने समझने के िम में इस उपन्यास का हर आददवासी पात्र भीम्या के द्धारा खोले गए रात के पाठर्ाला में दर्दित और चेतना सांपन्न होने की कोदर्र् मे जुड जाते हैं । तादक प्यारेलाल जैसे लोगों के र्ोषण का मु ाँहतोड जवाब दे सकें । ‚ आज तक दजन लोगों ने आप का र्ोषण दकया उन का दवरोध करने के
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
दलए दर्िा की ज़रूरत है । आप दर्िा से व अत्याचार र्ोषण कोई नहीं सहेगा ‛ 4 । भीम्य दमथदत देख कर द्रदवत होता है और उन्हें र्ोषण पहले कभी दकसी ने इन आददवादसयों को दर् आददवादसयों का दर्दित होना उनकी सत्ा क थे दक आददवासी दर्दित और चेतना सांपन्न दनदवशरोध चुना जाता है । ‚ डोंगर गााँव की सत्ा से परे था । प्यारेलाल इन लोगों का अांगूठा कोर
उपन्यास में लेखक ने भीम्या के नेतृत्व में आ और उपदनवेर्वादी राजनीदत के दवरूद्ध सांघ लोकतांत्र और वोट का महत्व और मतलब दवरूद्ध चुनाव लडने का साहस रखता है । भी व्यवमथा को जानने समझने के िम में उन का गााँव में दकसी ने आपको चुनाव का महत्व औ पता नही, आप लोगों को अांधेरे में रखा गया ह दम पर यह अदधकार, यह सत्ा आपके दरव होने नहीं ददया । राजनीदत गरीबों की नही होत कीमत कौन क्यों बतायेगा ¿ उसके दलए आप
भीम्या के इस उद्बोधन के माध्यम से लेखक ड आददवादसयों को सोची समझी राजनीदत के त प्यारेलाल इस का सर्क्त उदाहरण है । जो आद रखने का षडयांत्र रचता है । भीम्या प्यारेलाल ज से अपने समाज को मुक्त करने का एकमात्र म करने में प्रयासरत है और सरकार को गााँव में म गााँववालों की ज़मीन जो प्यारेलाल के पास प्यारेलाल के गु ांडों के मुठभेड में एक आददवास प्यारेलाल पैसों के बल पर बाहर आ जाता है । वह आददवासी लडकी पारू का बलात्कार क तरफ सरकार द्वारा डोंगर गााँव में बााँध बनाने क
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