Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 138

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
सूिीकरण, ऄथाात संववधान के वनमााण की जरुरत पड़ी | ईन्हें संववधान वनमााण की‘ प्रारूप सवमवत’ का ऄध्यक्ष बनाया | आसी सवमवत की देखरेख में सववधान को वलखे जाने की प्रवकया होनी थी | दुवनया के सारे संववधानो का ऄध्ययन करने के बाद, ऄपने देश-काल की पररवस्थवतयों को ध्यान में रखते हुए सन 1949 में हमारा संववधान तैयार हुअ, और अगे चलकर 1950 में लागू हुअ | आस बड़े और महत्वपूणा काया में ईनके योगदान को देखते हुए, ईन्हें संववधान वनम ाता के रूप में भी याद वकया जाता है |
अजाद भारत में वे देश के पहले कानून मंिी बने | लेवकन ऄपने प्रगवतशील ववचारों के कारण ईन्हें जलदी ही आसकी कीमत भी चुकानी पड़ी, जब‘ वहन्दू कोड वबल’ पर ईनका सरकार और संसद से मतभेद हो गया, और ईन्होंने ऄपने पद से त्याग-पि दे वदया | ईनके कानूनववद होने की बात तो बहुत सारे लोग जानते हैं, लेवकन ईनकी प्रवतभा का ववस्तार‘ ऄथाशास्त्र’ के क्षेि में भी बड़ा जबरदस्त था | ऄपने अरंवभक शोध-कायों में ईन्होंने देश और समाज की अवथाक प्रगवत और ऄवनवत को कइ दृवष्टयों से जांचा और परखा था |‘ भारतीय ररजवा बैंक’ की ऄवधारणा भी डा. अंबेडकर की ही थी, जो यह बताने के वलए कािी है वक ईनके अवथाक ववचारों में वकस तरह की दूरदवशाता पाइ जाती थी | प्रवसद्द ऄथाशािी और नोबेल पुरस्कार ववजेता‘ ऄमत्या सेन’ ने एक बार कहा था, वक ऄथाशास्त्र के ववषय में डा. अंबेडकर मेरे वपता हैं |
ऄपने जीवन के ऄंवतम वषा( 1956) में ईन्होंने‘ बौद्ध धमा’ ऄपना वलया था | जावहर है, वक‘ वहन्दू धमा’ की जड़ता ने ईन्हें ऐसा करने के वलए बाध्य वकया होगा | आसके कु छ साल पहले से ही ईनकी तवबयत ख़राब रहने लगी थी, और मधुमेह की बीमारी ने ईन्हें ऄपने वगरफ्त में ले वलया था | ऄंततः 1956 में ईनकी मृत्यु हो गयी | लेवकन यह मृत्यु के वल भौवतक ही थी, क्योंवक ईसके बाद ईनके ववचारों को अगे लेकर, वजस तरह से सामावजक पररवतान और सामावजक समानता के प्रयास ज़ारी हैं, ईनमें डा. अंबेडकर अज भी वज़ंदा हैं | जावहर है, वक ऐसे प्रयासों में वज़ंदा होना, वकसी भी महान व्यवि का सबसे बड़ा योगदान माना जा सकता है | वनवित तौर पर ईन प्रयासों को ऄभी भी बहुत अगे ले जाने की अवश्यकता है, लेवकन ऄभी तक के ईनके सकारात्मक ववकास को देखकर अगे के वलए ईम्मीद तो की ही जा सकती है | ईस महान समाज-सुधारक और युगदृष्टा की स्मृवत को हमारा नमन |
रामजी तिवारी बतलया, उ. प्र. 09450546312
अम्बेडकर का सम्पूर्ण जीवन भारतीय समाज उन्होंने सलदयों से पद-दलित वगण को सम्मानपूव
उन्हें अपने लवरूद्ध होने वािे अत्याचारों, शोष सामालजक प्रताड़ना राज्य द्वारा लदए जाने वाि लवशद अध्ययन कर यह बताने की चेष्टा भी क प्रचिन समाज में कािान्तर में आई लवकृ लतय लवद्यमान थी ।
उन्होंने दलित वगण पर होने वािे अन्याय आत्मलवश्वास, आत्म सुधार तथा आत्म लवश्ल गए प्रयास लकसी भी दृलष्टकोर् से आधुलनक अम्बेडकर, लहन्दू समाज की दमनकारी प्रवृलिय
वर्ि-व्यवस्था का तवरोध:
भारतीय आयों के सामालजक संगठन का आध आधार पर चार भागों में लवभालजत कर रखा
गररमाहीन बताते हुए इसकी कटु आिोचना क के लवभाजन पर आधाररत था ।
उनके अनुसार भारतीय समाज की चतुवणर्ण व्यव प्िेटो ने व्यलि की कु छ लवलशष्ट योग्यताओं क लकया । अम्बेडकर ने इन दोनों की व्यवस्थाओ व्यलियों का सुस्पष्ट लवभाजन ही अवैज्ञालनक त
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.