जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
प्रप्रयंका श्रीवास्तव
समाज की मुख्यधारा से अलग स्वयं को उपेक्षित समझा जाने वाला वगग, क्षजनकी समस्याओं को राजनीक्षत से काटकर धमग और समाज से जोडा जाता रहा है, ऐसा वगग दक्षलत कहलाया । राजनीक्षत में दक्षलतों के आने का कारण सत्ता की संरचना में पररवतगन कर समाज में पररवतगन रहा । क्योंक्षक समाज की संरचना में पररवतगन कर, सत्ता की संरचना में पररवतगन का उनका प्रयास असफल रहा । सामाक्षजक संरचना में देखें, तो इसमें हमेशा से ब्राह्मणवाद का वचगस्व रहा और दक्षलतों को क्षपछडा माना गया । दक्षलतों का संघषग हमेशा से दोहरे स्तर का रहा, क्षफर चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम में हो या माक्सगवाद की आंधी में । स्वतंत्रता संग्राम में जहां अन्य वगग अंग्रेजी औपक्षनवेक्षशक सत्ता से मुक्षि का संघषग कर रहे थे, वहीं दक्षलत औपक्षनवेक्षशक सत्ता के साथ आंतररक उपक्षनवेश अथागत् वणग व्यवस्था को मजबूत करती शक्षि से भी लर रहे थे । लेक्षनन का मक्सगवाद, समाजवाद आक्षथगक क्षवषमता से लडता खडा क्षदखाई पडा, वहीं दक्षलतों का संघषग आक्षथगक, सामाक्षजक, धाक्षमगक हर शोषण के क्षवरुद्ध रहा । इस शोषण से मुक्षि के उपाय अम्बेडकर राजनीक्षत में दक्षलतों के प्रवेश से मानते रहे और इसीक्षलये दक्षलत आरिण की मांग करते रहे । क्षकं तु गांधीजी, नेहरु जैसे राष्ट्रवादी नेता भी भारत की एकता, अखण्डता के नाम पर दक्षलतों के प्रक्षत सहानुभूक्षत तो प्रकट करते रहे, परंतु उनकी समस्या को धमग और समाज से जोडते हुए, उनके राजनीक्षतक प्रवेश को स्वीकार नहीं क्षकए । इसी कारण गांधीजी यारवार जेल में आमरण अनशन शुरु कर क्षदए । दक्षलतो के मसीहा माने जाने वाले प्रेमचंद जो उस समय‘ हंस’ और‘ जागरण’ जैसी पक्षत्रका में दक्षलत सम्सया के हर पहलू पर क्षलख रहे थे वह भी गांधीजी का ही समथगन करते है । क्षकं तु जब दक्षलत आरिण को लागू क्षकया गया और इसके तहत दक्षलतों को राजनीक्षतक अक्षधकार प्राप्त हुआ, तो मुख्यधारा के सवणों ने इन्हें अपने हाथों की कठपुतली की तरह उपयोग करना शुरु क्षकया । अमबेडकर दक्षलतो के राजनीक्षत में आगमण स्वत्न्तन्त्रता, समता, बंधुत्न्तव की भावना के साकार के क्षलये मानते है, जो पू ंजीवाद का क्षवरोधी हो क्योंक्षक भारतीय समाज व्यवस्था में ब्राह्म्म्ण्वाद का जन्म पू ंजीवाद से हुआ, ऐसे में दक्षलत की लडाई पू ंजीवाद के क्षवरोध में होनी थी, लेक्षकन आज स्वयं दक्षलतों में भी पू ंजीवाद हावी है । दक्षलत शोक्षषत वगग के बीच का उठा हुआ व्यक्षि भी, क्षवकास पथ पर बढकर, अपनी अक्षस्मता, अपनी माटी को भूलकर पू ंजीवादी व्यवस्था का पोषक बन अपने ही संघषग को कमजोर कर रहा है । अथागत दक्षलतो का राजनीक्षत में प्रवेश क्षजस ब्राह्मणवाद के क्षवरोध में होना था, वह स्वयं ही उस ब्राह्मण्वाद को पोष रहा है और क्षस्थक्षत यह है क्षक आज दक्षलत राजनीक्षत से दक्षलत ही गायब हो गए है, अगर कु छ है तो क्षसफग पू ंजी ।
दक्षलत राजनीक्षत के तीन स्वरुप रहे, एक स्वतंत्रता के पूवग दक्षलत को’ हररजन’ मानकर उनके प्रक्षत सहानुभूक्षत की राजनीक्षत, क्षजसमें गांधी, नेहरु जैसे राष्ट्रवादी नेताओं ने दक्षलतो के क्षलये सुक्षवधाओं की व्यवस्था तो की, परंतु उनके अक्षधकारों के हनन की राजनीक्षत हुई । दूसरी अम्बेडकर की दक्षलतों की, दक्षलतों के द्वारा, दक्षलतों के क्षलए राजनीक्षत और
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
तीसरी वतगमान समय में व्याप्त दक्षलतों की, दक्षल है, दक्षलतों के द्वारा भी है परंतु दक्षलत ही गायब
क्षशवमूक्षतग की’ बनाना ररपक्षल वतगमान समय में व्याप्त दक्षलतों की स्वयं की रा सता में पररवक्षतगत होना सत्ता की क्षनयक्षत बन च के कोटे में जाता है तो ठाकु र साहब और पदा कर देते हैं, ताक्षक चुनाव में क्षवजय चाहे कोई भ दक्षलत को ही मोहरा बनाया जाता है--- ‚ म जाए ।‚ दक्षलत आरिण के तहत ठाकु र – वाभ तो नहीं कर सकते है परंतु अपनी पुरखों की स जो‘ सरनेम’ से दक्षलत हो, पर क्षदल और क्षदम करती रहे वहां बैठकर ररजरवेश्न । यहां उनकी क्षस्थक्षत में सुधार कै से सम्भव है । जब आदम आगमन को अम्बेडकर इसक्षलए स्वीकार करा सके । लेक्षकन जब आदमी जाक्षत से दक्षलत औ क्षसफग चेहरा बदलेगा । जैसा की धूक्षमल ने कहा
Vol. 2, issue 14, April 2016.
‚ हां यह सहीं है क्षक क क्षसफग टोक्षपयां बदल
जग्गु घर आकर अपने ‚ कहा नहीं क्षक मुझे पागल कु त्ते ने कांटा है, ज कांटा बनना है क्या?‛ अथागत भारतीय ग्राक्षमण धताग रहे है । गांव में दक्षलतो की क्षस्थक्षत गुलाम लरना तो दूर इसकी कल्पना भी दक्षलतों के मन उसका आदमी ही और अगर तीसरा कोई ख भारतीय गांव व्यवस्था को शोषण का धारदार
राजक्षनक्षत क्षवकास एवं क और उस पर बने रहने की स्रेटजी मात्र बन गई जैसे नेता ने दक्षलतो के अक्षधकार हनन के क्षलए