Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 131

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
छोटे छोटे प्रजातंत्र कहा था वजन्हें अपनी जरूरत की सब चीजें अपने ही भीतर से प्राप्त हो जाती थीं और िे बाहरी संबंधों से लगभग मुि थे । प्रत्येक ग्राम समाज अपने में एक छोटा सा राज्य था । मेटकाफ के अनुसार तमाम पररितानों और क्ांवतयों से भारतीय जनता को गुजरना पड़ा । उन में िह अपना अवस्तत्ि बनाए रही, तो इसके वलए सबसे अवधक श्रेय इन ग्राम समाजों के अवस्तत्ि को है । बहुत कु छ इन्हीं की बदौलत िह स्िच्छंद और स्ितंत्र जीिन सुखपूिाक वबताते है ।
आगे बाबासाहेब अंबेडकर कहते हैं,“ जहााँ सब कु छ अवनत्य है, िहााँ ये ग्राम समाज वनत्य हैं, इसमें कोई संदेह नहीं । लेवकन जो लोग इन ग्राम समाजों पर गिा करते हैं, िे यह नहीं सोचते वक देश की गवतविवध और उसके भाग्य- वनम ाण में इनकी भूवमका वकतनी कम है । देश के भाग्य वनमााण में उनकी भूवमका का बहुत अच्छा िणान स्ियं मेटकाफ ने वकया है । एक राजिंश के बाद दूसरा राजिंश वगरता है । एक क्ांवत के बाद दूसरी क्ांवत होती है । वहंदू, पिान, मुगल, मरािा, वसख, अंग्रेज, सब बारी बारी से मावलक बनते हैं, परंतु ग्राम समाज जैसे के तैसे रहते हैं । विपवत्त में िे हवथयार उिाते हैं और वकलेबंदी करते हैं । शत्रु सेना देश से गुजर जाती है, ग्राम समाज अपने थोड़े से पशु परकोटे के भीतर कर लेते हैं और शत्रुदल को छेड़े वबना गुजर जाने देते हैं ।” 11
इस तरह हम पाते हैं वक बाबासाहेब अंबेडकर वििेकिादी थे, िैज्ञावनक दृवष्टकोण के समथाक थे । उन्होंने पुनजान्म और कमाकांण जैसे अंधविश्वासों का खंडन वकया । इन्हीं अंधविश्वासों के बल पर लोग सामंती समाज के ऊं च- नीच के भेद को उवचत िहराते थे । उन्होंने नैवतकता का समथान वकया । धमा को विज्ञान-सम्मत बनाने पर जोर वदया । विज्ञान-सम्मत बनाने में यवद धमा का स्िरूप बदल जाए, तो इसकी उन्हीं वचंता नहीं थी । यह स्िाभाविक था वक उन्होंने बौद् धमा का जो वििेचन वकया, उससे परंपरािादी बौद् सहमत नहीं थे । उन्होंने कु छ िैवदक ऋवषयों का उ्लेख वकया जो संसार के उद्भि के बारे में वचंतन करते थे । उस वदशा में आगे बढ़ते हुए प्राचीन दाशावनक स्थापनाओं को आधार बना कर विज्ञान में नया काम वकया जा सकता है । सांख्य दशान के संस्थापक कवपल को उन्होंने बहुत बड़ा दाशावनक बताया, वजनके अनुसार ईश्वर का अवस्तत्ि नहीं है और सत्य िही है जो प्रमाणों से वसद् वकया जा सके ।
3 िही. पृ. 56 4 िही. 5 अंबेडकर, बी. आर. राइवटंग्स एंड स्पीचेज; ख 6 खण्ड 3, पृ. 418 7 िही. 8 अंबेडकर, बी. आर.( 1995 / 2013). बाबा स
अवधकाररता मंत्रालय. खण्ड 14, पृ. 10
9
िही. खण्ड 9, पृ. 37 10 अंबेडकर, बी. आर. राइवटंग्स एंड स्पीचेज; 11 िही. खण्ड 13 पृ. 61-62
संदर्ष ग्रंथ सूची:-
1 अंबेडकर, बी. आर.( 1995 / 2013). बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर सम्पूणा िांग्मय, नई वद्ली: सामावजक न्याय और
अवधकाररता मंत्रालय. खण्ड 1, पृ. 55 2 िही.
Vol. 2, issue 14, April 2016. व ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.