Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 124

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
भारतीय राजनैदतक समुदाय की ऄदनच्छा की अलोचना करने के दलये दकया ईनके ददलत वगम के एक स्मेलन के दौरान ददये गये भार्ण ने कोल्हापुर राज्य के स्थानीय िासक िाहू चतुथम को बहुत प्रभादवत दकया, दजनका ऄ्बेडकर के साथ भोजन करना रूदढ़वादी समाज मे हलचल मचा गया ऄ्बेडकर ने ऄपनी वकालत ऄच्छी तरह जमा ली और बदहष्ट्कृ त दहतकाररणी सभा की स्थापना भी की, दजसका ईद्देश्य ददलत वगों में दिक्षा का प्रसार और ईनके सामादजक अदथमक ईत्थान के दलये काम करना था सन् १९२६ में, वो बंबइ दवधान पररर्द के एक मनोनीत सदस्य बन गये सन १९२७ में डॉ ॰ ऄ्बेडकर ने छु अछू त के दखलाफ एक व्यापक अंदोलन िुरू करने का फै सला दकया ईन्होंने सावमजदनक अंदोलनों और जुलूसों के द्वारा, पेयजल के सावमजदनक संसाधन समाज के सभी लोगों के दलये खुलवाने के साथ ही ईन्होनें ऄछू तों को भी दहंदू मंददरों में प्रवेि करने का ऄदधकार ददलाने के दलये भी संघर्म दकया ईन्होंने महड में ऄस्पृश्य समुदाय को भी िहर की पानी की मुख्य टंकी से पानी लेने का ऄदधकार ददलाने दक दलये सत्याग्रह चलाया ।
१ जनवरी १९२७ को डॉ ऄ्बेडकर ने दद्वतीय अंग्ल- मराठा युद्ध, की कोरेगाूँव की लडाइ ऺ के दौरान मारे गये भारतीय सैदनकों के स्मान में कोरेगाूँव दवजय स्मारक मे एक समारोह अयोदजत दकया । यहाूँ महार समुदाय से संबंदधत सैदनकों के नाम संगमरमर के एक दिलालेख पर खुदवाये १९२७ में, ईन्होंने ऄपना दूसरी पदिका बदहष्ट्कृ त भारत िुरू की और ईसके बाद रीदक्रश्टेन्ड जनता की ईन्हें बाूँबे प्रेसीडेंसी सदमदत मे सभी यूरोपीय सदस्यों वाले साआमन कमीिन १९२८ में काम करने के दलए दनयुक्त दकया गया आस अयोग के दवरोध मे भारत भर में दवरोध प्रदिमन हुये और जबदक आसकी ररपोटम को ज्यादातर भारतीयों द्वारा नजरऄंदाज कर ददया गया, डॉ ऄ्बेडकर ने ऄलग से भदवष्ट्य के संवैधादनक सुधारों के दलये दसफाररिों दलखीं ।
पूना संदध- दूसरा गोलमेज स्मेलन ऄब तक डॉ ऄ्बेडकर अज तक की सबसे बडी ऺऄछू त राजनीदतक हस्ती बन चुके थे ईन्होंने मुख्यधारा के महत्वपूणम राजनीदतक दलों की जादत व्यवस्था के ईन्मूलन के प्रदत ईनकी कदथत ईदासीनता की कटु अलोचना की ऄ्बेडकर ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और ईसके नेता मोहनदास गांधी की अलोचना की, ईन्होने ईन पर ऄस्पृश्य समुदाय को एक करुणा की वस्तु के रूप मे प्रस्तुत करने का अरोप लगाया ऄ्बेडकर दब्रदटि िासन की दवफलताओं से भी ऄसंतुष्ट थे, ईन्होने ऄस्पृश्य समुदाय के दलये एक ऐसी ऄलग राजनैदतक पहचान की वकालत की दजसमे कांग्रेस और दब्रदटि दोनों का ही कोइ दखल ना हो 8 ऄगस्त, 1930 को एक िोदर्त वगम के स्मेलन के दौरान ऄ्बेडकर ने ऄपनी राजनीदतक दृदष्ट को दुदनया के सामने रखा, दजसके ऄनुसार िोदर्त वगम की सुरक्षा ईसके सरकार और कांग्रेस दोनों से स्वतंि होने मे है ।
हमें ऄपना रास्ता स्वयूँ बनाना होगा और स्वयं राजनीदतक िदक्त िोदर्तो की समस्याओं का दनवारण नहीं हो सकती, ईनका ईद्धार समाज मे ईनका ईदचत स्थान पाने मे दनदहत है ईनको ऄपना रहने का बुरा तरीका बदलना होगा ईनको दिदक्षत होना चादहए एक बडी अवश्यकता ईनकी हीनता की भावना को झकझोरने और ईनके ऄंदर ईस दैवीय ऄसंतोर् की स्थापना करने की है जो सभी ईूँचाआयों का स्रोत है ।
Vol. 2, issue 14, April 2016. व ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
आस भार्ण में ऄ्बेडकर ने कांग्रेस और गांध ऄ्बेडकर की अलोचनाओं और ईनके राज नेताओं मे भी बहुत ऄलोकदप्रय बना ददया, य के दलये दजन्होने देि भर में काम दकया था आस समानता देने का मुद्दा पूरी तरह नहीं ईठाते थे । के चलते ईनको 1931 मे लंदन में दूसरे गोल ऄछू तों को पृथक दनवामदचका देने के मुद्दे पर त प्रबल दवरोधी गांधी ने अिंका जताइ, दक ऄ हमेिा के दलये दवभादजत कर देगी ।
1932 मे जब दब्रदटिों ने ऄ्बेडकर के साथ स तब गांधी ने आसके दवरोध मे पुणे की यरवदा समाज से सामादजक भेदभाव और ऄस्पृश्यता बात की गांधी के ऄनिन को देि भर की जन और कायमकतामओं जैसे पवलंकर बालू और मद संयुक्त बैठकें की, ऄनिन के कारण गांधी की वाली ऄछू तों की हत्याओं के डर से और गा दनवामदचका की माूँग वापस ले ली आसके एवज छू अ-छू त ख़तम करने की बात स्वीकार कर अदर कर, सभी िते मान लेंगे ऄपना ऄनिन
अरक्षण प्रणाली में पहले ददलत ऄपने दलए ईमीदवार चुनते आन चार ई्मीदवारों में से दफर अधार पर दसफम एक बार सन 1937 में चुनाव ऄडे रहने के कारण यह अरक्षण माि 5 साल
पृथक दनवामदचका में ददलत दो वोट देता एक स ऐसी दस्थदत में ददलतों द्वारा चुना गया ददलत दकन्तु गैर ई्मीदवार के दलए यह जरूरी नह ऄ्बेडकर ने गाूँधी जी की अलोचना करते वंदचत करने और ईन्हें ईनकी माूँग से पीछे हट ददया ईनके ऄनुसार ऄसली महात्मा तो ज्योदत
Vol. 2, issue 14, April 2016.