जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
ईनके दपता, भारतीय सेना की मउ छावनी में सेवा में थे और यहां काम करते हुये वो सूबेदार के पद तक पहुूँचे थे ईन्होंने मराठी और ऄंग्रेजी में औपचाररक दिक्षा की दडग्री प्राप्त की थी ईन्होंने ऄपने बच्चों को स्कू ल में पढ़ने और कडी मेहनत करने के दलये हमेिा प्रोत्सादहत दकया ।
कबीर पंथ से संबंदधत आस पररवार में, रामजी सकपाल, ऄपने बच्चों को दहंदू ग्रंथों को पढ़ने के दलए, दविेर् रूप से महाभारत और रामायण प्रोत्सादहत दकया करते थे ईन्होने सेना मे ऄपनी हैदसयत का ईपयोग ऄपने बच्चों को सरकारी स्कू ल से दिक्षा ददलाने मे दकया, क्योंदक ऄपनी जादत के कारण ईन्हें आसके दलये सामादजक प्रदतरोध का सामना करना पड रहा था स्कू ली पढ़ाइ में सक्षम होने के बावजूद अंबेडकर और ऄन्य ऄस्पृश्य बच्चों को दवद्यालय मे ऄलग दबठाया जाता था और ऄध्यापकों द्वारा न तो ध्यान ही ददया जाता था, न ही कोइ सहायता दी जाती थी ईनको कक्षा के ऄन्दर बैठने की ऄनुमदत नहीं थी, साथ ही प्यास लगने प र कोइ उूँ ची जादत का व्यदक्त उूँ चाइ से पानी ईनके हाथों पर पानी डालता था, क्योंदक ईनको न तो पानी, न ही पानी के पाि को स्पिम करने की ऄनुमदत थी लोगों के मुतादबक ऐसा करने से पाि और पानी दोनों ऄपदवि हो जाते थे अमतौर पर यह काम स्कू ल के चपरासी द्वारा दकया जाता था दजसकी ऄनुपदस्थदत में बालक अंबेडकर को दबना पानी के ही रहना पडता था १८९४ मे रामजी सकपाल सेवादनवृत्त हो जाने के बाद सपररवार सतारा चले गए और आसके दो साल बाद, ऄ्बेडकर की मां की मृत्यु हो गइ बच्चों की देखभाल ईनकी चाची ने कदठन पररदस्थदतयों में रहते हुये की रामजी सकपाल के के वल तीन बेटे, बलराम, अनंदराव और भीमराव और दो बेदटयाूँ मंजुला और तुलासा ही आन कदठन हालातों मे जीदवत बच पाये ऄपने भाआयों और बहनों मे के वल ऄ्बेडकर ही स्कू ल की परीक्षा में सफल हुए और आसके बाद बडे स्कू ल मे जाने में सफल हुये ऄपने एक देिस्त ब्राह्मण दिक्षक महादेव ऄ्बेडकर जो ईनसे दविेर् स्नेह रखते थे के कहने पर ऄ्बेडकर ने ऄपने नाम से सकपाल हटाकर ऄ्बेडकर जोड दलया जो ईनके गांव के नाम " ऄंबावडे " पर अधाररत था ।
रामजी सकपाल ने १८९८ मे पुनदवमवाह कर दलया और पररवार के साथ मु ंबइ( तब बंबइ) चले अये । यहाूँ ऄ्बेडकर एदल्फं स्टोन रोड पर दस्थत गवन्मेंट हाइ स्कू ल के पहले ऄछू त छाि बने पढाइ ऺ में ऄपने ईत्कृ ष्ट प्रदिमन के बावजूद, ऄ्बेडकर लगातार ऄपने दवरुद्ध हो रहे आस ऄलगाव और, भेदभाव से व्यदथत रहे । १९०७ में मैदरक परीक्षा पास करने के बाद ऄ्बेडकर ने बंबइ दवश्वदवद्यालय में प्रवेि दलया और आस तरह वो भारत में कॉलेज में प्रवेि लेने वाले पहले ऄस्पृश्य बन गये ईनकी आस सफलता से ईनके पूरे समाज मे एक खुिी की लहर दौड गयी और बाद में एक सावमजदनक समारोह ईनका स्मान दकया गया आसी समारोह में ईनके एक दिक्षक कृ र्णजी ऄजु मन के लूसकर ने ईन्हें महात्मा बुद्ध की जीवनी भेंट की, ्ी के लूसकर, एक मराठा जादत के दवद्वान थे ऄ्बेडकर की सगाइ एक साल पहले दहंदू रीदत के ऄनुसार दापोली की, एक नौ वर्ीय लडकी, रमाबाइ से तय की गयी थी १९०८ में, ईन्होंने एदलदफं स्टोन कॉलेज में प्रवेि दलया और बडौदा के गायकवाड िासक सहयाजी राव तृतीय से संयुक्त राज्य ऄमेररका मे ईच्च ऄध्धयन के दलये एक पच्चीस रुपये प्रदत माह का वजीफा ऺ प्राप्त दकया १९१२ में ईन्होंनेराजनीदत दवज्ञान और ऄथमिास्त्र में ऄपनी दडग्री प्राप्त की और बडौदा राज्य सरकार की नौकरी को तैयार हो गये ईनकी पत्नी ने
ऄपने पहले बेटे यिवंत को आसी वर्म जन्म ददय ऄपने दपता की बीमारी के चलते बंबइ वापस ल
दिक्षा- 1922 में एक वकील के रूप में ऄ दवश्वदवद्यालय मे जाकर ऄध्ययन के दलये ऄ् मास की छािवृदत्त भी प्रदान की, न्यूयॉकम िहर ऄध्ययन कायमक्रम में प्रवेि दे ददया गया ियन एक अवास क्लब मे रहने चले गए और ईन्ह १९१६ में, ईन्हे ईनके एक िोध के दलए पी. " आवोल्युिन ओफ प्रोदवदन्िऄल दफनान्स आन प्रकादित काम, एक लेख दजसका िीर्मक, भा दडग्री लेकर ऄ्बेडकर लंदन चले गये जहा ऄध्ययन और ऄथमिास्त्र में डॉक्टरेट िोध क समादप्त के चलते मजबूरन ईन्हें ऄपना ऄध्यय युद्ध प्रथम का काल था बडौदा राज्य के सेना भेदभाव से ऄ्बेडकर ईदास हो गये और ऄप लगे यहाूँ तक दक ऄपनी परामिम व्यवसाय भी एक ऄंग्रेज जानकार बंबइ के पूवम राज्यपाल ल आकोनोदमक्स मे राजनीदतक ऄथमव्यवस्था के ऄपने पारसी दमि के सहयोग और ऄपनी ब गये । १९२३ में ईन्होंने ऄपना िोध प्रोब्ले्स दवश्वदवद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ साइ ंस की ई ही साथ ईन्हें दब्रदटि बार मे बैररस्टर के रूप में रुके, जहाूँ ईन्होने ऄपना ऄथमिास्त्र का ऄध्य १९२७ को कोलंदबया दवश्वदवद्यालय द्वारा पी ए
छु अछू त के दवरुद्ध संघर्म- भारत सरकार ऄद एक प्रमुख दवद्वान के तौर पर ऄ्बेडकर क ऄ्बेडकर ने ददलतों और ऄन्य धादममक स की १९२० में, बंबइ में, ईन्होंने साप्तादहक मूक लोकदप्रय हो गया, तब्, ऄ्बेडकर ने आसका आ
Vol. 2, issue 14, April 2016. व ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.