Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 122

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
में सफलता जरूर पाई । आम्बेडकर अगर आज लगातार प्रासिंवगक होते जा रहे हैं तो इस कारण वक उन्होंने अपने राजनीवतज्ञ पर अपने समाज सुधारक रूप को तरजीह दी थी । रानाडे पर ववचार करते हुए वे उनकी तुलना में मात्र एक व्यवि ज्योवतबा फु ले को देख पाते हैं । फु ले भी एक महान समाजसुधारक थे । अपने भाषण में आम्बेडकर समाजसुधारक और राजनीवतज्ञ की सामावजक भूवमका की पडताल करते हैं । आम्बेडकर राजनीवतज्ञों के जेल जाने के तमाशे पर भी सवाल खडा करते हैं । वे वलखते हैं-‘‘ जेल में जाना भारत में शहादत का काम हो गया है ।‘‘ वे देखते हैं वक बदमाश और दुष्ट भी जेल जाकर शहीद का तमगा पा रहे हैं । वे देखते हैं वक आज जब राजनीवतज्ञ कै वदयों को अपराधी नहीं माना जा रहा, जेल जीवन की यातनाएिं वैसी नहीं हैं जैसी वक वे वतलक के काल में थीं । यू िं वकसी भी रूप में एक राजनीवतक बिंदी को अम्बेडकर एक समाजसुधारक के मुकाबले साहसी नहीं मानते । इसकी व्याख्या करते अम्बेडकर पाते हैं वक एक राजनीवत बिंदी जहािं सरकार को चुनौती देता है वहीं एक सुधारक समाज को चुनौती देता है । जबवक राजनीवतज्ञ कु छ महीने जेल काटकर नायक बन बाहर आता है और जन समथवन पा पूजा जाने लगता है । जबवक समाज सुधारक अके ला लडता वदखता है । यहािं अम्बेडकर सवाल उठाते हैं वक-‘‘ कौन अवधक साहस वदखाता है... वह समाज सुधारक जो अके ला लडता है, या वह राजनीवतज्ञ देशभि जो बहुत बडी सिंख्या में अपने समथवकों के सहयोग से लडता है ।‘‘ वे रानाडे को इन अथों में बडा समाजसुधारक मानते हैं और फू ले से उनकी वावजब तुलना करते हैं । अपने समाज सुधारक वाले रवैये के चलते अााम्बेडकर और लोवहया को ज्यादा कवठनाइयों का सामना करना पडा । लोवहया को मारवाडी, सूदखोर का बच्चा जैसी गावलयािं दी गयीं । जबवक नेहरू के वलए अपना खजाना खोले रखने वाले मारवाडी समुदाय ने लोवहया को हमेशा दुत्कारा । गािंधी के वलए भी पू िंजीपवत समुदाय अपना धमवखाता खोले रखता था पर आम्बेडकर को चोटें सहनी पडीं । लोवहया यह कहते मरे वक शायद मरने पर उन्हें सही समझा जाए । समझा भी गया ओर मरकर वे और प्रासिंवगक हुए । उनके नाम पर लोग सत्तसीन हुए । अम्बेडकर के पीछे चलने वाले भी सत्तासीन हुए । पर आज उनके समाज सुधारक छवव की बवल चढा कर कै से उनके ववचारों की दुगवत कर उनके वपछलग्गू उन्हें बेच रहे हैं यह सामने आता जा रहा है । वहन्दू धमव और जावत प्रथा पर अम्बेडकर और लोवहया का हमला एक सा तीखा है । दोनों ही जावत-प्रथा और वणव- व्यवस्था को देश की गुलामी का कारक मानते हैं । अम्बेडकर वलखते हैं-‘‘ नब्बे प्रवतशत वहन्दु-ब्राह्मण, वैश्य तथा शूद्र वहन्दू सामावजक व्यवस्था के अिंतरगत शस्त्र धारण नही कर सकते थे । यवद देश की सैन्य सिंख्या में खतरे के समय वृवि नहीं की जा सकती तो देशकी रक्षा वकस प्रकार की जा सकती है, जैसा वक प्रायः आरोप लगाया जाता है, बुि ने वहन्दू समाज को अपने अवहिंसा के वसिािंत द्वारा कमजोर बनाया था । वहन्दू समाज को कमजोर बनाने वाले बुि नहीं, बवकक चातुवर्ण यव का वह ब्राह्मणवादी वसिािंत है जो न के वल वहन्दू, अवपतु वहन्दू समाज के अपकषव के वलए भी उत्तरदायी है ।‘‘ इस मुद्दे पर लोवहया का मत भी आम्बेडकर के समान है ।‘ जावत-प्रथा नाशः क्यों ओर कै से‘ शीषवक लेख में लोवहया वलखते हैं-‘‘ ववदेशी हमले के दुखदायी वसलवसले को वजसके सामने वहन्दुस्तानी जनता पसर गई, अिंदरूनी झगडे और छप-कपट के माथे थोपा जाता है । यह बात वावहयात है । उसका तो सबे बडा एकमात्र कारण है जावत । वह नब्बे प्रवतशत आबादी को दशवक बनाकर छोड देती है...।‘‘ आम्बेडकर रानाडे के इस तकव को महत्व देते हैं वक वहन्दू समाज में व्यवि के पास ऐसा कोई अवधकार नहीं वजसे मनुष्य नैवतक तौर पर मान्यता दे सके । वहािं सारी सुववधाएिं मुट्ठी भर लोगों के वलए हैं ।
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
डॉ ॰ भीमराव रामजी ऄंबेडकर( १४ ऄप्रैल, बहुजन राजनीदतक नेता और एकबौद्ध पुनरुत्थ वे ऄपने दपता की चौदहवी सन्तान थे, वे बाबा हुअ था एक ऄस्पृश्य पररवार में जन्म लेने अंबेडकर ने ऄपना सारा जीवन दहंदू धमम की दवरुद्ध संघर्म में दबता ददया दहंदू धमम में मानव क्षदिय, वैश्य और िूद्र, िूद्रों को ईनसे ईच्च बदलने के दलए सारा जीवन संघर्म दकया । आस समाज में समानता स्थादपत कराइ ईन्हें बौद्ध को भारत रत्न से भी स्मादनत दकया गया है, बहुत बडी अबादी के प्रेरणा स्रोत हैं, आस दलए
कइ सामादजक और दवत्तीय बाधाएं पार कर, कॉलेज की दिक्षा प्राप्त की ऄंबेडकर ने कानून ऄपने ऄध्ययन और ऄनुसंधान के कारण क डॉक्टरेट दडदग्रयां भी ऄदजमत कीं अंबेडकर वा कु छ साल तक ईन्होंने वकालत का ऄभ्यास द ईन्होंने भारतीय ऄस्पृश्यों के राजनैदतक ऄदध भारतीय बौद्ध दभक्षुओं ने बोदधसत्व की ईपादध
प्रारंदभक जीवन- भीमराव रामजी अंबेडकर नगर व सैन्य छावनी मउ में हुअ था वे रामज पररवार मराठी था और वो ऄंबावडे नगर वे दहंदूमहार जादत से संबंध रखते थे, जो ऄछ भेदभाव दकया जाता था ऄ्बेडकर के पूवमज
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
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