Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 108

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
तथाकदथत ईच्च तबके के ब्राह्मण राजपूत थे. िे सामंतों की तरह जनता का शोषण करते थे. धमि, कला, संथकृ दत, लोक सबपर यही िणिाद हािी था. डॉ. अंबेडकर जानते थे दक जब तक आस ब्राह्मणिाद से मुदि नहीं दमलती दकसी भी तरह की अजादी झूठी होगी. और यह दनतांत सच है दक यदद भारत में डॉ. अंबेडकर जैसा व्यदित्ि न हुअ होता तो भारत अज भी मध्यकाल में गोते लगा रहा होता.
हर दकसी का एक नायक होता है. हर कोइ ईसी नायक-नादयका में ऄपनी पहचान ढूंढ़ता है. जो िह बनना चाहता है जो ईसका थथायी प्रेरणाश्रोत होता है. क्या हम बालीबुड के नायक के बारे में जानते हैं? जो दकसी बड़े समूह का साििजादनक नायक हो? अंबेडकर यह कभी नहीं चाहते थे दक ईनके दिचारों की समालोचना न करके ईन्हें नायक बना दकसी मंददर में देिता की तरह पूजा जाय. िे नायकों की दकसी भी रूप में अराधना करने के दिरुद्ध थे तथादप िे यह मानते थे दक देश में ऐसे नायक होने चादहए दजनके बताये राथते पर लोग चल सकें. मैं दपछले कइ िषों से सोचती रही ह ाँ दक अंबेडकर का नायक कौन था? मैंने बहुत सारे लोगों से यह प्रश्न पूछा और ढेर सारी दकताबें पढ़ी परन्तु मुझे आस प्रश्न का समाधानकारक ईिर नहीं दमल सका. मेरे नायक बड़े परदे के नायक नहीं थे. दुदनया में दसफि मनुष्य है दजसके पास बुराइ से ऄच्छाइ की जंग लड़ने के दलए शानदार यंत्र हैं. एक अम भारतीय के तौर पर कहने की अिश्यकता नहीं है दक जैसे जैसे मैं बड़ी हुअ हमारे नायक बदलते गए. मेरे नायक ने ऄपने बारे में सन १९४१ में एक ऄखबार के दलए एक अलेख दलखा था, दजसे भुला ददया गया है. एक ऄमेररकी प्राध्यापक 7 जान ड्यूए ने ईन्हें बहुत हद तक प्रभादित दकया था. यदद िे ईनके जीिन में न अये होते तो शायद ईनका ऐसा दिराट व्यदित्ि न बन पाता. १९३२ में गांधी जी के ऄनशन के कारण ईन्हें पूना पैक्ट पर हथताक्षर भी करना पड़ा. डॉ. ऄम्बेडकर कहते रहे दक मनुष्यमात्र को एक तकि शील जमात बनाना होगा. मनुष्य को मनुष्य बनना होगा दजसमें प्रेम, सदहष्णुता, करुणा और मेहनत करने का माद्दा हो. दजसमें अत्मसम्मान हो और दूसरों को सम्मान देने की अदत हो, जो छद्म से दूर एक खुली दकताब हो. ईन्होंने सत्यं, दशिं, सुन्दरम का भंडाफोड़ ही नहीं दकया ऄदपतु भारतीय दमथकों को ईन्होंने ऄपने तकों के अधार पर नाकारा भी. ईन्होंने ईस दहन्दू संथकृ दत का दिरोध दकया जो ददलत मनुष्य के थपशि, छाया और िाणी को ऄथपृश्य मानता है. ईन्होंने सििप्रथम यह प्रश्न ईठाया दक ईसके दलए ऄलग बदथतयां, घाट, शमशान अदद दक व्यिथथा क्यों? शूद्र तीनों िणों दक सेिा करे? क्या ईसे ज्ञान का ऄदधकार नहीं?
दवलत स्त्री आवदवासी उनके सबसे बड़े नायक:
ईनके ह्रदय की पीड़ा को ईनके एक संथमरण से जाना जा सकता है. बाबा साहब भीमराि अंबेडकर के दनजी सदचि रहे श्री नानक चंद रिू ३१ ददसंबर १९५६ का एक संथमरण दलखते हैं- हमेशा दक तरह जब िे पत्रों का एक बड़ा गट्ठर लेकर ईनके पास पहुंचे और जल्दी जल्दी कु छ पत्रों के ईिर दलखिाया और कु छ को छोड़ ददया तो नानक ने पूछा – अज कल अपको बहुत दुखी और ईदास देखता ह ाँ िे रुं िासे हो गए. बोले – तुम लोग नहीं समझ पाओगे’‘ मुझे
दुःख है मैं ऄपने जीिन के लक्ष्य को पूरा नहीं पास समय कम है. मैं चाहता था मेरे समय में ददलत लोगों में से मेरे जीिन में ही कोइ अगे मेरे लोगों को बता देना दक जो कु छ मैंने दक तकलीफों और कभी न ख़त्म होने िाली बाधा की दस्त्रयााँ जहााँ तैंतीस प्रदतशत अरक्षण की म को पुरुषों के समान ऄदधकार और समानता अदथिक समानता के कोइ भी कौम ईन्नदत नह तादक हर कौम का दिकास ठीक क्रम में हो‘ आनदहलेशन अफ काथट’ में िे दलखते हैं दक रोटी बेटी सम्बन्ध के यह जादत टूटना संभि नह की थथापना आसी ईद्देश्य से दकया था. िे सचम जादत के एक होने की कल्पना की जहााँ सबको को यह दशक्षा अजीिन देते रहे दक दशदक्षत ब
क्या गांधी महात्मा हैं?
गांधी का व्यदित्ि भले ही महान रह भी जानते थे दक के िल राजनीदतक मुदि से जरूरत है. अंबेडकर दलखते हैं दक‘ आस सिाल से नफरत करता ह ाँ. और मेरी यह मान्यता है दक राष्ि के दलए कलंक है. क्योंदक िे लोग बुदद्ध बात यह है दक लोग महात्मा शधद का ऄथि क् देना मेरे दलए ऄसंभि है. अम दहन्दू अदमी कपड़े, ईसका शील और ईसकी दशक्षा. 8 यह का ऄन्यतम हदथयार भी बना.
सरदार पटेल झूठ बोल रहे हैं:
तत्कालीन भारत के राजो-रजिाड़ो म बना चुके थे. गांधी के िैचाररक ध्रुओं से ऄल
7 पायवडष प्रेस, द्रदसंफय 2010
8 औय फाफा साहेफ आंफेडकय ने कहा.... खंड-3, डॉ.
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016. Vol. 2, issue 14, April 2016.