Jankriti International Magazine vol1, issue 14, April 2016 | Page 107

जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिका / Jankriti International Magazine( बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 125वीं जयंिी पर समतपिि अंक)
ISSN 2454-2725
जनकृ ति अंिरराष्ट्रीय पतिक
( बाबा साहब डॉ. भीमराव अ
ऄपनी सुप्रदसद्ध पुथतक’ ह िर दी शुद्राज’ ईनको समदपित की. ऄपने समपिण में 10 ऄिू बर १९४६ को अंबेडकर ने दलखा‘ दजन्होंने दहन्दू समाज की छोटी जादतयों से ईच्च िणों के प्रदत ईनकी गुलामी की भािना के सम्बन्ध में जागृत दकया और ईन्होंने दिदेशी शासन से मुदि पाने में भी सामादजक लोकतंत्र की थथापना ऄदधक महत्िपूणि है, आस दसद्धांत की थथापना की, ईस अधुदनक भारत के महान‘ राष्िदपता’ ज्योदतराि फु ले की थमृदत को सादर समदपित. 4 डॉ अंबेडकर यह मानते थे दक फु ले के जीिन दशिन से प्रेरणा लेकर ही िंदचत समाज की मुदि दे सकती है.. देश के मंत्री देश का ईद्धार नहीं कर सकते. दकन्तु दजसे धमि का ईिम ज्ञान है, िही व्यदि देश का ईद्हर कर सकते हैं. राष्िदपता ज्योदतराि फु ले ऐसे हीएक महान धमिसुधारक थे. 5 ऄन्यत्र एक जगह दलखते हैं दक ऄब्राह्मण समाज के ऄसली मागिदशिक ज्योदतबा फु ले ही हैं. ईन्होंने ही दरजी, नाइ, महार, मातंग, चमार अदद ददलत एिं दपछड़ों को आंसादनयत का पाठ पढाया है. 6
यह दकतना प्रासंदगक होगा की बहुमुखी प्रदतभा के धनी अंबेडकर के सपनों के बारे में, भारत के दनमािण के बारे में, ईनके योगदानों के बारे में दिथतार से सोचें दजनके बारे में लोगों को बहुत जानकारी नहीं है. अज समय की जरुरत है दक िह बाबा साहेब अंबेडकर को एक रादष्िय नेता के रूप में थिीकार करे. आसका एक ऄथि यह भी है दक डॉ. अंबेडकर को दसफि ददलत नेता के तौर पर मानने की प्रिृदि से हमें मुि होना होगा. अज यह प्रश्न ईतना महत्िपूणि नहीं है दक क्या ब्राह्मणों ने ईन्हें ऄपने दामाद के रूप में थिीकार दकया? ऄदपतु िह कौन का कारण है दजसके कारण लगातार अंबेडकर की महिा को दिदेशी भी थिीकार करते जा रहे हैं. ऄदतरंदजत राष्ििाद नए हदथयार के रूप में हमारे सामने है. सरकारों के दहसाब से नायकों को पहचान दी जा रही है. हर कोइ ऄपने अपको सच्चा राष्ििादी दसद्ध करने पर लगा हुअ है. जो कु छ दींन-हीन दुदनया में खोये थे ईन्हें नायकों की एक दिशाल पंदि में शादमल दकया जा रहा है. जो कभी खलनायक थे ईन्हें भी नायक बनने का मौका ददया गया है. दकसी के दलए गांधी पूज्य हैं तो दकसी के दलए सािरकर. ऄिसरों के ऄनुकू ल दकसी के चररत्र को ढाल लेने की कला के जादूगर संघों में पररणत हो चुके हैं. िे चाहते हैं दिरोधी दिचार आस देश से ख़त्म हो जाएाँ. सब एक बोली बोलें, एक साथ चलें, सबके मन एक जैसे हों. तब भारत जो दिदिधताओं का देश है‘ संघ’ के रूप में ऄनेकता में ऄपनी एकता कै से बनाये रख सकता है? यह एक सिाल है.
हमारी दचंता ये नहीं है दक दकसे और क्यों नायक बनाकर पूजा जा रहा है. ईसके दनदहताथि तो अप भी जानते हैं. क्यों दकसी को हदथयाने की जोरदार कोदशश हो रही है? कब दकसे देिता बनाना है और कब ईसे राक्षस कहकर दतरथकृ त कर देना है यह ऄिसरिादी सरकारें बखूबी जानती हैं. देश राजनीदत के पयांदों के भरोसे चल रहा है. भारत में अम्बेडकर की मूदतियााँ( दजसे ददलत-बहुजनों ने ऄपने खून से बनाया है) गांधी( दजन्हें ऄदधकांशतः सरकार ने बनाया है) की मूदतियााँ संख्या में ऄदधक हैं. तथाकदथत देदियों देिताओं के बारे में कहना ही क्या जबदक िे िाथतदिक नहीं है.
4 ह ू वय दी सुिाज, आंफेडकय, सभऩषण
5 ६ फ़यवयी १९५४ को पु रे के जीवन ऩय फनी एक फपल्भ के उद्घाटन सभायोह भें( सन्दबष साभाजजक न्माम, सुधांशु शेखय)
6 औय फाफा साहेफ आंफेडकय ने कहा.... खंड-५, डॉ. बीभयाव याभजी अम्फेडकय, ऩृष्ठ ५
Vol. 2, issue 14, April 2016. वर्ष 2, अंक 14, अप्रैल 2016.
राम जैसे चररत्र तो अधुदनक भारत में टीिी क शंकराचायों की परम्परा बहुत पुरानी नहीं है. प कभी क्षेत्र के नाम पर हजारों लोगों का कत्लेअ के कारण सूली का मु ंह देखने पर मजबूर होना कु छ है. देशद्रोह के मुकदमें ईनके समय में भी लेना चादहए. मेरा ईिर दनदित ही न होगा. पर व्यि की जा सकती. दिश्वदिद्यालयों में ददलत दलखे युिक अज ऄपना अआकान तलाश दिश्वदिद्यालय, िधाि या ऄन्य ऐसे ही कइ दिश्व बहुत बड़े तबके के हीरो हैं. क्या दकसी को संद का नायक कौन है? क्या देश द्रोह के अरोपों है? क्या कोइ‘ कबीर कला मंच’ के बारे में ई अंबेडकर थटूडेंट यूदनयन, ऄन्तराष्िीय ददलत नारायण, नारायणा गुरु, पेररयार, कांचा आलैया मूल में कौन है? अपका ईिर थपष्ट होगा- डॉ करते हैं. बुद्ध के बाद िे प्रथम नागररक हैं दजन्ह
ब्राह्मणवादी नायक कै से हो सकत
िे भारत के ऐसे दिरल व्यदित्ि थे दज थी. िे एक बहुजन राजनीदतक नेता और एक दशल्पकार भी थे. िे अजीिन बाबासाहेब के था. एक ऄथपृश्य पररिार में जन्म लेने के कार के रूप में जन्म लेना पशु होने से भी नीच कमि एक ददलत नहीं. बाबासाहेब अंबेडकर ने ऄ सििव्यादपत जादत व्यिथथा के दिरुद्ध संघषि में जो ब्राह्मण, क्षदत्रय, िैश्य और शूद्र के रूप में बाबा साहब ने आस व्यिथथा को बदलने के दल आसके समतािादी दिचारों से समाज में समानत नेताओं से ईनके मतभेद भी रहे. िणािश्रम क ब्राह्मणिाद और ईससे पोदषत िणिाद के द
Vol. 2, issue 14, April 2016.