Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 340

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
हुआ , इस सम्प्रदाय ने अमृतसर में अकाल तख्त को सव ामधक प्रमतष्ठा प्रदान की है । 6 इन मवमवध मसख सम्प्रदायों के अमतररक्त गुलाब दास द्वारा संचामलत गुलाबदासी7 भाई देयाल दास द्वारा प्रवृत्त मनरंकारी8 सम्प्रदाय , एवं पृथीचन्द द्वारा ‘ मीना पन्थी पंथ ‘, ‘ हन्दल ‘ नामक जाट द्वारा ‘ हन्दल-मत ‘ गुरु हरराय के पुत्र रामराय द्वारा रामैया पंथ एवं भगतपन्थी सम्प्रदाय के नाम उल्लेखनीय हैं । 9
दादू पन्थ :
िह्मचारी एवं सद्गृहस्थ होते हैं : 1- ‘ खालसा ‘ मजसमें अनेक साधु उपासना अध्यापन और मशक्षि में मनरत रहते थे । 2- ‘ नाग साधु ‘ साधु सैमनकों का काया करते थे । 3- उत्तराड़ी साधु मंडली में मवद्वान होते थे जो साधुओं को पढ़ाते तथा वैद्य का काया करते थे । उपरोक्त तीनों साधुओं को जीमवका ग्रहि करने का अमधकार था । 4- चौथे प्रकार के साधु मवरक्त थे वे न जीमवकोपाजिंन न मशक्षि का काया करते थे । 5- पाँचवें प्रकार के साधु मनरन्तर भस्म लपेटे तपस्या में मनरत रहते थे । 13- इस पंथ में , दादू द्वारों में , के वल दादू पंथी साधुओं द्वारा हाथ की मलखी बानी की अचाना की जाती है ।
दादू पन्थ के प्रवताक दादूदयाल का जन्म सं० 1601 तथा देहावसान ज्येष्ठ कृ ष्ट्ि 8 , सं० 1660 में हुआ । 10 इनके पन्थ मनम ाि का उद्देश्य था मक प्रत्येक सामामजक व्यमक्त आध्यामत्मक भाव रखे तथा सामत्त्वक जीवन व्यतीत करे , सब में सेवा , समहष्ट्िुता , बावरी पंथ : आत्मत्याग , परमाथा आमद लोक कल्यािकारी भाव
बावरी पंथ का प्रवतान मकसने मकया इसका जागृत हों , मजसके आधार पर व्यमक्त इहलौमकक एवं
उत्तर मनमित रूप से नहीं मदया जा सकता । इस पंथ के पारलौमकक भमवष्ट्य सुधार सके । यह पंथ ‘ िह्म
आमद प्रवताक के रूप में रामानंद का नाम मलया जाता सम्प्रदाय ‘ के नाम से भी जाना जाता था जो आगे
है , परन्तु इन्हें प्रवताक नहीं माना जा सकता , क्योंमक चलकर ‘ परिह्म ‘ सम्प्रदाय भी कहलाया । 11 परन्तु
स्वामी रामानंद के मसद्धांतों एवं उपदेशों को दयानंद इस का प्रमसद्ध नाम ‘ दादू पंथ ‘ ही है , दादूदयाल ने
तथा मायानन्द ने ग्रहि मकया और उत्तरामधकार में अपने जीवनकाल में कई यात्राएं की-सीकरी , आमेर ,
यही उपदेश प्राप्त कर ‘ बावरी सामहबा ‘ नामक सुयोनय द्यौंसा , मारवाड़ , बीकानेर , कल्यािपुर आमद । इन
ममहला ने ‘ बावरी पंथ ‘ का प्रवतान मकया । बावरी स्थानों पर इनके अनुयामययों की मगनती बढ़ती रही ,
सामहबा अकबर के समकालीन थीं अनुमानधार से इसीमलए , इनके मशष्ट्यों की वास्तमवक संख्या मकतनी
इनका समय संवत् 1566-1662 के लगभग बताया थी यह मनमित रूप में नहीं कहा जा सकता , परन्तु
गया है और इन्हें दादूदयाल वा हररदास मनरंजनी के इनके 52 मशष्ट्य प्रमसद्ध हुए , हैं मजनमें भी रज्जब ,
समकालीन ठहराया गया है । 14 इनकी मशष्ट्य परम्परा छोटेसुन्दरदास , गरीबदास , रैदास मनरंजनी प्रािदास ,
में अत्यंत प्रमसद्धी प्राप्त करने वाले बीरु साहब का नाम जगजीवनदास , बमजंदजी , बनवारीलाल , मोहनदास ,
आता है , इस पंथ की आचाया गद्धी गाजीपुर मज़ला के जनगोपाल , सन्तदास , जगन्नाथदास , खेमदास ,
अंतगात मुड़कु ड़ा नामक ग्राम में मस्थत है । इसकी अन्य चम्पाराम , बड़े सुन्दरदास , बकना माधोदास आमद
शाखाओं में चीट बड़ा गाँव , अयोध्या के उटला , अत्यंत प्रमसद्ध हुए , इनमें भी रज्जब एवं छोटे सुन्दर
अमहरौला तथा मोकलपुर एवं बरौली प्रमुख हैं । 15
दास दादू के आदशा मशष्ट्य कहे जा सकते हैं । 12 दादू
पंथ के अंतगात पाँच प्रकार के साधु कहे गये हैं जो Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017