Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 341

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
इस पंथ का वंश वृक्ष अत्यंत समृद्ध है और इस पंथ का महन्दी संत सामहत्य में अमूल्य योगदान है । इसमें यारीसाहब , उनके पाँच मशष्ट्य , के सोदास , हस्तमुहम्मद , सूफी शाह , शेखनशाह , बूलासामहब के नाम उल्लेखनीय हैं । इनके पिात् बूला सामहब के दो मशष्ट्य जगजीवन साहब तथा गुलाल सामहब का नाम आता है । गुलाल सामहब के प्रमसद्ध मशष्ट्यों में भीखा सामहब , , वं हरलाल सामहब प्रमुख हैं । इसके पिात भीखा सामहब के मशष्ट्य गोमवन्द सामहब तथा गोमवन्द सामहब के मशष्ट्य पलटू सामहब अत्यंत प्रमसद्ध रहे ।
मलूक पंथ :
इस पंथ के प्रवताक मलूकदास कहे जाते हैं , मलूक दास नाम से , एकामधक संतों का उल्लेख मवद्वानों ने मकया है , डॉ ॰ श्यामसुन्दर दास ने कबीर ग्रंथावली की भूममका में कबीरपंथी मलूकदास का विान मकया है । 16 मथुरादास की ‘ मलूक पररचई ‘ के
मशष्ट्यों में रामसनेही , गोमतीदास , सुथरादास , पूरनदास , दयालदास , मीरमाधव मोहन दास , हृदयराम आमद उल्लेखनीय हैं । इनके पिात् मशष्ट्य वंशावली में कृ ष्ट्िस्नेही , कान्हनवाल , ठाकु रदास , गोपालदास , कु ं जमबहारीदास , रामसेवक , मशवप्रसाद , गंगाप्रसाद , अयोध्याप्रसाद18 आमद के नाम उल्लेखनीय हैं । इनके अनंतर गद्दी समाप्त हो गई ।
सत्तनामी सम्प्रदाय :
सत्तनामी सम्प्रदाय , भाव सत्यनाम या ईश्वर से पररचय कराने वाला सम्प्रदाय है । इस सम्प्रदाय के मूल प्रवताक के मवर्षय में मनमित मववरि का अब तक अभाव है , मवद्वानो द्वारा इनका सम्बंध ‘ साध- सम्प्रदाय ‘ से जोड़ा गया है तो कहीं इसके प्रवताक के रूप में दादू पंथी जगजीवन दास का नाम मलया जाता है । मवद्वानो द्वारा सत्तनामी मवद्रोह की चच ा की गई है , मजसमें भाग लेने वाले अमधकतर ग्रामीि कृ र्षक थे , ये सत्तनामी लोग थे , इन लोगों का स्वभाव उत्तम था । मवद्रोह के समय ये सत्तनामी नारनौल के समीप क्षेत्र में थे , औरंगजेब ने इनका समूल मवनाश करने का प्रयत्न मकया । नारनौल क्षेत्र को सत्तनाममयों की नारनौल वाली शाखा माना जाता है । इस सम्प्रदाय का पुनःसंगठन उत्तर प्रदेश में जगजीवन साहब द्वारा हुआ , इनका बावरी पंथ के बुला सामहब तथा गोमवन्द सामहब से प्रभामवत होना चमचात रहा है लोगों की ईष्ट्य ा भावना को देखते हुए जगजीवन साहब कोटावा गए । यहीं उनका देहावसान हुआ । 19 जगजीवन साहब के चार प्रधान मशष्ट्य दूलनदास , गोसाईदास , देवीदास , एवं
अनुसार प्रयाग
के मनकट कड़ा नामक कस्बे में
मलूकदास का आमवभााव वैशाख कृ ष्ट्ि पंचमी सं०
1631 में और मतरोभाव सं० 1739 में हुआ । 17 इनके
मपता सुन्दरदास खत्री थे । बाल्यकाल से ही मलूक
भगवद् भजनी थे , परमहत मचन्तन की उदार मचत्तवृमत्त
के स्वामी थे । इनका मववाह भी हुआ था और एक पुत्री
भी हुई थी , परन्तु पत्नी और पुत्री दोनों की मृत्यु हो गई
थी । मलूकदास सांसाररक अनुभव से युक्त प्रमसद्ध
महात्मा थे , आपकी प्रमसद्धी से प्रभामवत होकर ही गुरु
तेगबहादुर एवं औरंगजेब ने इनसे भेंटकर इन्हें
सम्मामनत मकया । आपके अनुयामययों की संख्या भी
कम नहीं थी , पूवा में पुरी तथा पटना से लेकर पमिम
खेमदास , चारपावा नाम से प्रमसद्ध हुए । दूलनदास के
की ओर काबुल तथा मुल्तान तक इनके अनुयायी
मशष्ट्य मसद्धदास हुए
इनके पिात् इनके मशष्ट्य
देखे जा सकते हैं । इनकी गद्दी एवं मत , प्रयाग ,
पहलवान दास हुए हैं , तीसरी शाखा , छत्तीसगढ़ी के
लखनऊ , मुल्तान , आंध्र , काबुल , जयपुर , गुजरात ,
प्रवताक घासीदास कहे जाते हैं , इनके उत्तरामधकारी के
वृ
ंदावन , पटना , नेपाल आमद क्षेत्रों में मस्थत हैं । इनके
रूप में उन्हीं का बेटा बालकदास सामने आता है और
मशष्ट्यों की सही संख्या तो ज्ञात नहीं है परन्तु प्रमुख
इनके बाद अज्जबदास का नाम आता है । 20
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 .
वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017