Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
मभड़ का कोई चेहरा नही होता ।
इसका कोई अपना नही होता ।।
कसिता -2
सकिान
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अपना पेट काट-काट कर ,
त म् ु हारा पेट भरता हूं ।
मफर भी एक -एक रोटी के मलये तड़पता हूँ ।
जब ममलते नही अमधकार मेरें
सड़कों पर ननन नृत्य करता हूं ।
त म ु हँस रहें हो
तो हँसते रहों
मेरी बेबसी पर
त म् ु हारी हर हँसी स्वीकार करता हूँ ।
अपना पेट काट-काट कर
त म् ु हारा पेट भरता हूँ ।
तेज ध प ू , आ ध ं ी , त फ
ानों म
धरती का सीना चीर कर
अनाज उत्पन्न क