Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
िरकार की गैर बराबरी बढ़ाने िाली सिक्षा
नीसतः अतीत िे ितकमान तक
मशक्षा के महत्व को फ्रांसीसी क्रांमत के संदभा में भली
प्रकार समझा जा सकता है। मशक्षा के अभाव में शायद
फ्रांस की क्रांमत कभी न होती मकन्तु उस समय
फ्रा स ं ीसी समाज में मा त ं ेस्क्यू ] वोल्तेयर तथा रुसों
आमद मवचारकों की मशक्षा के कारि तका वाद का
प्रसार आरंभ हुआ। इन मवचारकों ने अपने सामहत्य
द्वारा पादररयों , चचा की सत्ता तथा साम त ं ी व्यवस्था
की जड़ों को महला मदया। 1
य र ू ोप के द स ू रे देशों में मस्थमत फ्रांस से कहीं अमधक
बदतर थी मकन्तु वहाँ क्रांमत नहीं हुई , सबसे पहले गैर
बराबरी के मखलाफ क्रांमत फ्रांस में ही हुई। इन सबका
एक ही महत्वप ि ू ा कारि था फ्रा स ं की उत्तम मशक्षा
व्यवस्था व ज्ञान का प्रसार। क्रांमत के संदभा में डॉ
अम्बेडकर 2 का भी यही मवचार है उन्होनें कहा है मक
भारत में दमलतों ने क्रांमत क्यू नहीं मक क्योंमक उन्ह
मशक्षा का अमधकार ही नहीं था जबमक य र ू ोप में दासों
को भले ही स प ं मत्त और हमथयार रखने का अमधकार
न रहा हो मकन्तु उन्हें मशक्षा का अमधकार अवश्य था।
मुख्य िलदः सिक्षा व्यिस्था, िमाज,
अिमानता, िरकारी नीसतयां , सनम्न िग
समाज मे