Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
1855 के बीच की मिमटश सरकार की मशक्षा नीमत पर नज़र डालने से ममल जायेगा । पेशवा सरकार के दौरान दमलत जामतयॉ मशक्षा से पूरी तरह वंमचत थी । राज्य मशक्षा के मकसी भी मवचार में वे शाममल नहीं थे । इसका कारि यह था मक पेश्वा राव मनु के मसद्धांतों पर आधाररत धमा-तंत्र राज्य था । उसके अनुसार शूद्रों और अमतशूद्रों को जीवन स्वतंत्रता और संपमत्त का अमधकार भले ही रहा हो मकन्तु मशक्षा का कोई अमधकार नहीं था । इतनी मववशताओं में जी रहीं दमलत जामतयों ने इस घृमित धमातंत्र के पतन पर राहत की सांस ली । मिमटश शासन की स्थापना से दमलत जामतयों में उच्च आकांक्षाएं जगी । 5 उन्हें लगा अब कोई ऊं च नीच का व्यवहार नहीं होगा और सभी इंसान बराबर होंगे , उन्हें मवश्वास था मक अंग्रेज मवशेर्ष रुप में तो नहीa तो कम से कम अन्य वगो के समान तो उनकी सहायता करेंगे ही ।
परन्तु जब स्थानीय लोगों में मशक्षा को एक सु्टढ़ और सुसंगमठत आधार प्रदान करने हेतु संगत प्रयास मकए गए तो दमलत जामतयों को मनराशा ही हाथ लगी । क्योंमक अंग्रेजी सरकार ने अपनी नीमत के तहत् मशक्षा को के वल उच्च जामतयों तक ही सीममत रखा । 6
इसके अलावा यह भी देखा गया मक वनााक्यूलर स्कू ल में दी जाने वाली मशक्षा अच्छे स्तर से कोसों दूर है । श्री मवलोबी के मववरि का अमधकांश भाग इन स्कू लों के घमटया स्वरुप और घमटया पररिामों की तीखी आलोचना से भरा पड़ा है । 7
वास्तव में अंग्रेजों ने देश में मसमवल प्रशासन को चलाने के मलए उच्च जामतयों को चुना और इसके मलए उनमें ही मशक्षा को बढ़ावा मदया । उच्च जामतयों के तो मनधान बच्चों को भी मशक्षा की सुमवधा उपलब्ध
कराई गई । सच्चाई यह है मक इस अवमध में सरकार ने दमलत जामतयों को मशक्षा के लाभ से वंमचत रखा ।
II- 1854 से 1882 तक
कोटा ऑफ डायरेक्टसा ने अपने 19 जुलाई 1954 के पत्र संख्या 49 में मटप्पिी की मक अब हमारा ध्यान संभवतः एक बात की ओर जाना चामहए जोमक अभी भी अमधक महत्वपूिा है मजसकों हमें स्वीकार करना होगा । अभी तक बहुत उपेक्षा की गई अथ ात जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के मलए आवश्यक उपयोगी और व्यवहाररक ज्ञान मकस प्रकार उन लोगों तक पहुचाया जाए जो अपने प्रयत्नों से मशक्षा प्राप्त करने में सवाधा असक्षम है और हम चाहेंगे मक इस उदेश्य की पूमता हेतु मवशेर्ष प्रयास करें मजसके मलए हम भारी रामश मंजूर करने के मलए तैयार है । 8 यह सही है मक इस पत्र ने इस देश में जन मशक्षा की नींव डाली मकन्तु इसके पररिाम भी संतोर्षजनक नहीं रहे कारि वही मिमटश सरकार की नीमत । भारत सरकार की मान्यता के मवपरीत बंगाल के अमधकाररयों ने यह भार मशक्षा संबंधी मजला समममतयों पर छोड़ मदया । उन्हें इस बात की स्वतंत्रता दी गई मक वे हर मामले में स्थानीय लोगों की भावनाओं को देखते हुए छोटी जामतयों के छात्रों को प्रवेश दे या न दे । इसका पररिाम यह हुआ मक दमलत जामतयां उपेमक्षत ही रही । स्पृश्य जामतयां नें उन्हें मवद्यामंमदरों में घुसने नहीं मदया , मजनकी स्थापना सरकार ने अपने समस्त प्रयजनों के मलए की थी । 9 1854 में दमलत जामतयों की मशक्षा पर से प्रमतबंध तो हटाया गया मकन्तु य के वल नाममात्र का प्रयास था । अतः यह कहा जा सकता है मक यह प्रमतबंध पहले के समान ही बना रहा । इन नीमतयों के पररिामों को मनम्न आंकड़ो द्वारा समझा जा सकता gS 10 &
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017