Jankriti International Magazine/ जनकृसत अंतरराष्ट्रीय पसिका
त त्र ं खासतौर से नौकरशाही वगा ने इसकी तीखी
आलोचना की। न्यायालय का यह मनिाय प्राथममक
मशक्षा व्यवस्था को स ध ु ारने के मलए अमवस्मरिीय
कदम था क्योंमक मशक्षा नीमतयां बनाने एवं मक्रयांमवत
कराने वालों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते ही नहीं।
जब इनके बच्चे इन स्कूलों में नहीं पढ़ते तो स ध ु ार की
बात सोंचेगे ही क्यों? 5 शैमक्षक योजनाएँ मक्रयांमवत
कराने के नाम पर मदखावा मात्र बनकर रह जाती हैं।
इन लोगों को अपने बच्चों की मचंता तो मनरंतर रहती
है। उन गरीबों एवं मकसानों के बच्चों को भ ल
जाते हैं ,
जो सरकारी प्राथममक स्कूलों में अध्ययन कर रहे होत
हैं। अगर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस मनिाय
को ईमानदारी प व ू क
लागू कर मदया जाय तो जल्द ही
सरकारी स्कूलों की शक्ल बदल जाएगी।
सनष्ट्कषक :
प्राथममक मशक्षा बच्चों के मवकास के मलए
बहुत ही महत्वप ि ू ा एवम् मशक्षा की आधारमशला है ,
म