Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
राजभार्षा घोमर्षत मकया गया है । महंदी को राजभार्षा इसमलए बनाया गया क्योंमक यह भारत की अमधकांश जनता द्वारा बोली तथा समझी जाने वाली भार्षा थी । महंदी भार्षी क्षेत्र के अमधकांश व्यमक्त सीममत एवं व्यापक तथा औपचाररक संदभों के मलए महंदी का प्रयोग करते हैं । जबमक अन्य भार्षाओँके बोलने वालों के मलए देश से खुद को जोड़ने के मलए महंदी एक संपका भार्षा का काया करती है । मिमटश काल में अंतर- भार्षाई संपका के मलए अंग्रेजी को संपका भार्षा के रूप में मवकमसत मकया गया था । यह दामयत्व अंग्रेजी मनभाती तो रही लेमकन अत्यंत सीममत क्षेत्र में । अंग्रेजी की अपेक्षा महंदी संपका भार्षा के रूप में कहीं अमधक सक्षम है । लोकतांमत्रक शासन व्यवस्था में कोई भी भार्षा मकसी पर अनचाहे रूप से थोपी नहीं जा सकती ।
भारतीय भार्षा मनयोजन की यह मवशेर्षता रही है मक महंदी को मकसी अन्य भारतीय भार्षा या अंग्रेजी के प्रमतस्पधी के रूप में नहीं रखा गया है । यह सवामवमदत है मक कोई भी भार्षा अमभव्यमक्त-माध्यम के रूप में अक्षम या कम क्षमता रखने वाली नहीं होती , मवमभन्न क्षेत्रों में प्रयोग के अवसर ममलने पर ही भार्षा सक्षम बनती चली जाती है । महंदी को वो अवसर प्राप्त होता चला गया मजसे वो अन्य मकसी भारतीय भार्षा की अपेक्षा अमधक सक्षम रूप में सामने आई । महंदी भारत में ही नहीं भारत के बहार भी मवश्व के अनेक देशों में बोली , समझी और पढाई जाती है । आज मवश्व के लगभग 150 मवश्वमवद्यालयों में महंदी के पठन – पाठन की व्यवस्था है । मवदेशों में बसे करोड़ों की संख्या में प्रवासी भारतीयों औरर भारतीय मूल के लोगों के बीच आत्मीयता के संबंध सूत्र स्थामपत करने और उन्हें भारत , भारतीयता , और भारतीय संस्कृ मत से मनरंतर जोड़े रखने में महंदी एक सशक्त माध्यम का काम कर रही है और इसी में वे अपनी अमस्मता की पहचान भी देख रहे हैं ।
भारत के प्रथम लोकसभा स्पीकर अनंतशयनम आयंगार के अनुसार – “ अमहंदी भार्षा-भार्षी प्रांतों के लोग भी सरलता से टूटी – फू टी महंदी बोलकर अपना काम चला लेते हैं ”।
पंमडत नेहरु ने महंदी की सशक्तता का विान करते हुए कहा था मक “ महंदी स्वयं अपनी ताकत से बढ़ेगी ”।
महंदी में रोज़गार के बढ़ते अवसर भी महंदी के प्रसार में महत्वपूिा मसद्ध हुआ है । बढ़ते रोज़गार अवसरों ने भी महंदी सीखने के प्रमत लोगों की रुमच को बढ़ाया है । महंदी का क्षेत्र मकसी अन्य भारतीय भार्षा की तुलना में अमधक व्यापक है । इस प्रकार भारत में एक राज्य को दुसरे राज्य से यमद कोई भार्षा जोड़ सकती है तो वो मात्र महंदी ही है । अंग्रेजी जैसी मवदेशी भार्षा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भले ही देशों को जोड़ने वाली भार्षा हो मकं तु भारत में संपका भार्षा के रूप में महंदी अमधक सशक्त सामबत हुई है । यहां तक मक मवदेशी कं पमनयों को भी भारत में अपनी पहचान बनाने के मलए अंग्रेजी से अमधत महंदी का सहारा लेना पड़ता है । संचार माध्यम भी महंदी के द्वारा सूचनाओं को प्रसाररत करना अमधक उपयोगी समझते हैं । यही कारि है मक अंग्रेजी समाचार चैनलों द्वारा अपने महंदी चैनल भी शुरू मकए जा रहे हैं । इस प्रकार महंदी मकतनी सशक्त और मवकास की ओर अग्रसर है इसका अनुमान संपूिा भारत में महंदी की लोकमप्रयता और मौजूदगी देखकर लगाया जा सकता है । अंग्रेजी के मायाजाल से मनकलना हमारे मलए आवश्यक है ।
मनम्नमलमखत मवद्वानों की के ये महंदी के संपका भार्षा रूप की भूममका को स्पसे करने के मलए पयााप्त है -
देवव्रत शास्त्री के अनुसार “ महंदी जानने वाला व्यमक्त देश के मकसी भी कोने में जाकर अपना काम चला लेता
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017
है ।”