Jankriti International Magazine Jankriti Issue 27-29, july-spetember 2017 | Page 167

Jankriti International Magazine / जनकृ सत अंतरराष्ट्रीय पसिका ISSN : 2454-2725
में तनावपूिा माहौल पैदा हो जाता है । शौनक मकसी भी तरह अब इस बहस को बंद करना चाहता वह नीना को दबाना चाहता है । हाथ उठा कर वह ‘ प्लीज शटअप ’ बोलता इस पर नीना और ज्यादा तेज हो जाती है और कहती है- “ यू शटअप ! यहाँ तक मक शौनक का उठा हुआ हाथ नीना ने दांत पीसते हुए बीच में ही रोकर मरोड़ मदया ।” 9
उर्षा महाजन की कहानी ‘ कस्तूरी ’ स्त्री शोर्षि तथा स्त्री चेतना को प्रस्तुत करती एक सशक्त कहानी है । कस्तूरी मजसका बाल मववाह हो गया था । उसे अपने ससुराल में मवमभन्न प्रकार की यातनाओं को झेलना पड़ता था । पमत नशे में धुत्त होकर कस्तूरी को मारता- पीटता है- “ दुलमहन बनकर आई थी उस घर में तो मनरी बच्ची ही थी । महेसी ने उसे औरत बनाया , सीने में खरोंचे दीं , दारू की बू के साथ , कभी जबरदस्ती , कभी मार-पीट कर और कभी उसकी रजामंदी से भी ।” 10 ऐसे में कोई स्त्री क्या कर सकती है ? उसके पास के वल दो ही रास्ते बचते हैं , या तो वह पूरी उम्र यह सब झेलती रहे या मफर सब छोड़ कर मवद्रोह करे । कस्तूरी मजसे अब ठेके दारनी कहा जाता है वह मनिय कर लेती है मक वह महेसी का घर छोड़ देगी । एक मदन वह भाग जाती है- “ महेसी के तो साए से भी नफरत हो गई थी उसे । वही तो था उसके सभी क्लेशों का कारि । महेसी क्या , अब तो मरद जात के नाम से ही मघन होने लगी थी उसे ।” 11
नामसरा शम ा की कहानी ‘ खुदा की वापसी ’ नारी शोर्षि तथा नारी चेतना की एक महत्तवपूिा कहानी है । जो मुसलमान समाज के पुरुर्षों का मुखौटा खोलता है , मुसलमान पुरुर्ष मकस प्रकार नारी को ठग रहे हैं , धोखा दे रहे हैं । इसका बखूबी मचत्रि इस कहानी में मकया गया है । यह के वल मुसलमान समाज में ही नहीं है अमपतु पूरे भारतीय समाज में यह मवद्यमान है । जब स्त्री , पुरुर्ष के धोखे को समझने लगती है तब संबंधों में
दरार आने लगती है । पमत-पत्नी में दूररयाँ बढ़ने लगती हैं , उनमें अलगाव आने लगता है । कहानी के शुरू में ही इश ाद का यह कहना मक- “ मदा-औरत के ररश्ते में मुहब्बत के आलावा अब हजार तरह की गुमत्थयाँ उलझ चुकी हैं , वरना ये सब उलझन हमें परेशान क्यों करें ।” 12 यह वाक्य वतामान समय में स्त्री-पुरुर्ष के सम्बन्ध को व्यक्त कर देता है । ‘ खुदा की वापसी ’ कहानी फरजाना से शौहर के द्वारा पहली ही रात को मेहर की रकम माफ करवा लेने की कहानी है । फरजाना से वह पहली रात को शता रखता है मक जब तक वह मेहर की रकम माँफ नहीं करेगी तब तक वह उसे छु एगा भी नहीं , फरजाना को यह बात खटकती है लेमकन उस के पास और कोई चारा भी नहीं होता है । वह जुबैर से मन ही मन मखंची- मखंची रहने लगती है । वह मेहर की रकम की तह में जाना चाहती है मक मेहर की रकम क्यों दी या ली जाती है । जब वह मौलवी से सारी बात बताती है तब वह कहते हैं- “ लाहौल ... क्या मजहालत है ... यह तो सरासर मदा समाज में मदा की एक चाल है , तामक वह औरत का हर हमथयार छीन ले , कहीं प्यार से , कहीं कानून से , कहीं जुल्म से ... पता नहीं पैसे की लालच में और औरत की आजादी से खौफजदा मदों ने जामहल मौलमवयों को अपना रहबर क्यों मान मलया है ।” 13 फरजाना जब भी जुबैर के आस-पास जाती है , तो उसके मन में घृिा का भाव उठने लगता है , वह एक पल भी जुबैर के साथ नहीं रहना चाहती है , वह जुबैर से अपने अमधकार को छीन लेने के एवज में काफी लड़ती-झगड़ती है और वह जुबैर को छोड़ना चाहती है । जुबैर अंदर से महल जाता है वह फरजाना से कहता है मक- “ बस करो फरजाना ... मैंने ये सब जानकर , इतना कु छ समझकर यह नहीं मकया था । एक मद ाना नशा था , ताकत का , घमंड का अपने बरतर समझने का । उसी नशे में मुझसे यह गलती हो गयी । तुम जो चाहो , सजा दे सकती हो , मगर मुझे छोड़ कर मत जाना ।” 14 जुबैर की इन बातों का
Vol . 3 , issue 27-29 , July-September 2017 . वर्ष 3 , अंक 27-29 जुलाई-सितंबर 2017