संविधान तैयार करने में जुटी रही । प्ारूप समिति द्ारा आधार रूप में इसतेमाल किए जाने के लिए संवैधानिक सलाहकार द्ारा बनाए गए प्ारूप संविधान में 243 अनुच्ेि और 13 अनुसूचियां थीं । प्ारूप समिति द्ारा संविधान सभा को पेश किए गए पहले प्ारूप संविधान में 315 अनुच्ेि और आठ अनुसूचियां थीं । उस पर विचार किए जाने की अवधि के अंत तक प्ारूप संविधान में अनुच्ेिों की संखया बढ़कर 386 हो गई थी । अपने अंतिम सवरूप में प्ारूप संविधान में 395 अनुच्ेि और आठ अनुसूचियां हैं । प्ारूप संविधान में कुल मिलाकर लगभग 7,635 संशोधन प्सतालवत किए गए थे । इनमें से कुल मिलाकर 2,473 संशोधन वासतव में सदन के विचारार्थ प्सतुत किए गए ।
मैं इन तथयों का उलिेख इसलिए कर रहा हूं कि एक समय यह कहा जा रहा था कि अपना काम पूरा करने के लिए सभा ने बहुत लंबा समय लिया है और यह कि वह आराम से कार्य करते
हुए सार्वजनिक धन का अपवयय कर रही है । उसकी तुलना नीरो से की जा रही थी , जो रोम के जलने के समय वंशी बजा रहा था । कया इस शिकायत का कोई औचितय है ? जरा देखें कि अनय देशों की संविधान सभाओं ने , जिनहें उनका संविधान बनाने के लिए नियुकत किया गया था , कितना समय लिया ।
कुछ उदाहरण लें तो अमेरिकन कनवेंशन ने 25 मई , 1787 को पहली बैठक की और अपना कार्य 17 सितंबर , 1787 अर्थात चार महीनों के भीतर पूरा कर लिया । कनाडा की संविधान सभा की पहली बैठक 10 अक्टूबर , 1864 को हुई और दो वर्ष पांच महीने का समय लेकर मार्च 1867 में संविधान कानून बनकर तैयार हो गया । ऑसट्रेलिया की संविधान सभा मार्च 1891 में बैठी और नौ वर्ष लगाने के बाद नौ जुलाई , 1900 को संविधान कानून बन गया । दक्षिण अफ्ीका की सभा की बैठक अक्टूबर 1908 में हुई और एक वर्ष के श्म के बाद 20 सितंबर , 1909 को संविधान कानून बन गया ।
यह सच है कि हमने अमेरिकन या दक्षिण अफ्ीकी सभाओं की तुलना में अधिक समय लिया । परंतु हमने कनाडियन सभा से अधिक समय नहीं लिया और ऑसट्रेलियन सभा से तो बहुत ही कम । संविधान-निर्माण में समयावधियों की तुलना करते समय दो बातों का धयान रखना आवशयक है । एक तो यह कि अमेरिका , कनाडा , दक्षिण अफ्ीका और ऑसट्रेलिया के संविधान हमारे संविधान के मुकाबले बहुत छोटे आकार के हैं । जैसा मैंने बताया , हमारे संविधान में 395 अनुच्ेि हैं , जबकि अमेरिकी संविधान में केवल 7 अनुच्ेि हैं , जिनमें से पहले चार सब मिलकर 21 धाराओं में विभाजित हैं । कनाडा के संविधान में 147 , आसट्रेलियाई में 128 और दक्षिण अफ्ीकी में 153 धाराएं हैं ।
याद रखने लायक दूसरी बात यह है कि अमेरिका , कनाडा , ऑसट्रेलिया और दक्षिण अफ्ीका के संविधान निर्माताओं को संशोधनों की समसया का सामना नहीं करना पड़ा । वे जिस रूप में प्सतुत किए गए , वैसे ही पास हो गए । इसकी तुलना में इस संविधान सभा को
2,473 संशोधनों का निपटारा करना पड़ा । इन तथयों को धयान में रखते हुए विलंब के आरोप मुझे बिलकुल निराधार लगते हैं और इतने दुर्गम कार्य को इतने कम समय में पूरा करने के लिए यह सभा सवयं को बधाई तक दे सकती है ।
प्ारूप समिति द्ारा किए गए कार्य की गुणवत्ा की बात करें तो नजीरुद्ीन अहमद ने उसकी निंदा करने को अपना फर्ज समझा । उनकी राय में प्ारूप समिति द्ारा किया गया कार्य न तो तारीफ के काबिल है , बकलक लनकशचत रूप से औसत से कम िजवे का है । प्ारूप समिति के कार्य पर सभी को अपनी राय रखने का अधिकार है और अपनी राय वयकत करने के लिए नजीरुद्ीन अहमद का खयाि है कि प्ारूप समिति के किसी भी सदसय के मुकाबले उनमें जयािा प्लतभा है । प्ारूप समिति उनके इस दावे की चुनौती नहीं देना चाहती ।
इस बात का दूसरा पहलू यह है कि यदि सभा ने उनहें इस समिति में नियुकत करने के काबिल समझा होता तो समिति अपने बीच उनकी उपकसरलत का सवागत करती । यदि संविधान-निर्माण में उनकी कोई भूमिका नहीं थी तो लनकशचत रूप से इसमें प्ारूप समिति का कोई दोष नहीं है । प्ारूप समिति के प्लत अपनी नफरत जताने के लिए नजीरुद्ीन ने उसे एक नया नाम दिया । वह उसे ' लरिलिंग कमेटी ' कहते हैं । निससंिेह नजीरुद्ीन अपने वयंगय पर खुश होंगे । परंतु यह साफ है कि वह नहीं जानते कि बिना कुशलता के बहने और कुशलता के साथ बहने में अंतर है । यदि प्ारूप समिति लरिल कर रही थी तो ऐसा कभी नहीं था कि कसरलत पर उसकी पकड़ मजबूत न हो । वह केवल यह सोचकर पानी में कांटा नहीं डाल रही थी कि संयोग से मछली फंस जाए । उसे जाने-पहचाने पानी में लक्षित मछली की तलाश थी । किसी बेहतर चीज की तलाश में रहना प्वाह में बहना नहीं है ।
यद्लप नजीरुद्ीन ऐसा कहकर प्ारूप समिति की तारीफ करना नहीं चाहते थे , मैं इसे तारीफ के रूप में ही लेता हूं । समिति को जो संशोधन दोषपूर्ण लगे , उनहें वापस लेने और उनके सरान
tuojh 2025 45