भारतीय गणतंत् की हीरक जयंती
संविधान सभा में डा . आंबेडकर का समापन भाषण
भारतीय संविधान के निर्माता डा . भीमराव आंबेडकर ने यह भाषण नवंबर 1949 में नई दिलली में दिया था । 300 से जयादा सदसयों वाली संविधान सभा की प्ारूप निर्माण समिति के अधयक् डा . आंबेडकर ने यह भाषण औपचारिक रूप से अपना कार्य समापत करने से एक दिन पहले दिया था । उनिोंने जो चेतावनियां दीं- एक प्जातंत् में जन आंदोलनों का स्ान , करिशमाई नेताओं का अंधानुकरण और मात् राजनीतिक प्जातंत् की सीमाएं- वह आज भी प्ासंगिक हैं ।
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होदय , संविधान सभा के कार्य पर नजर डालते हुए 9 दिसंबर1946 को हुई उसकी पहली बैठक के बाद अब दो वर्ष , गयारह महीने और सत्रह दिन हो जाएंगे । इस अवधि के दौरान संविधान सभा की कुल मिलाकर 11 बैठकें हुई हैं । इन 11 सत्रों में से छह उद्ेशय प्सताव पास करने तथा मूलभूत अधिकारों पर , संघीय संविधान पर , संघ की शककतयों पर , राजयों के संविधान पर , अलपसंखयकों पर , अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों पर बनी समितियों की रिपोटषों पर विचार करने में वयतीत हुए । सातवें , आठवें , नौवें , दसवें और गयारहवें सत्र प्ारूप संविधान पर विचार करने के लिए उपयोग किए गए । संविधान सभा के इन 11 सत्रों में 165 दिन कार्य हुआ । इनमें से 114 दिन प्ारूप संविधान के विचारार्थ लगाए गए ।
प्ारूप समिति की बात करें तो वह 29 अगसत , 1947 को संविधान सभा द्ारा चुनी गई थी । उसकी पहली बैठक 30 अगसत को हुई थी । 30 अगसत से 141 दिनों तक वह प्ारूप
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