Jan 2025_DA | Page 21

की गहराई से प्ायोजित जाति-धर्म की सीमाएं भी बिखरती चली गई । 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्धानमंत्री बने तो उनहोंने पूरे देश में जाति-धर्म के बंधन को राजनीति से बिलकुल किनारे रखकर केवल विकासवाद को जिस तरह से लागू किया , उसे देश की जनता से लेकर विदेश के लोगों ने भी देखा । अपने विकासवादी एजेंडे को पूरे देश की जनता के बीच एक सफल नायक के रूप में काम कर रहे प्धानमंत्री मोदी की सफलता से आज
मुकसिम नेताओं और विदेशी ताक़तों के गठजोड़ से तैयार हुई एक नई रणनीति का नमूना , जिसके चलते कांग्ेस नेता कभी डा . आंबेडकर की दीक्षा भूमि पर जा रहे हैं या फिर लनिन में उनके पुराने आवास आंबेडकर हलॉउस में जाकर उनहें श्द्धांजलि दे रहे हैं । जाति जनगणना की मांग करके संगठित हिनिू समाज को फिर से जातिगत आधार पर आरक्षण दिलाने के नाम पर एकजुट किया जा रहा है । इसके लिए , कांग्ेस ने उसी हिंदुतव के चोले को धारण कर
विकासवादी राजनीति को धवसत करने के प्यास फिर से करेंगे ।
समझना यह भी होगा कि अब देश 21वीं सदी के उस समय में जी रहा है , जब इंटरनेट और आधुनिक संचार साधनों ने नगर से लेकर गांव तक , देश से लेकर विदेश तक की दूरी को खतम कर दिया है । अब हिनिू जनता को बरगलाना और अपने हितों को साधना इतना आसान नहीं रह गया है , जितना दस वर्ष पहले था । साथ ही कांग्ेस एंड कंपनी को यह भी समझना होगा कि देश को
घबराई हुई कांग्ेस और उसके मुकसिम एवं वामपंथी सहयोगियों को यह रास नहीं आ रहा है । यही कारण है कि कांग्ेस एवं अनय भाजपा विरोधी दल अब डा . आंबेडकर , संविधान और आरक्षण के मुद्े को लेकर जनता को पुनः जातियों में बांटकर सत्ा हासिल करने की दौड़ लगा रहे हैं ।
जिस कांग्ेस ने कभी डा . आंबेडकर को अपमानित करने का काम किया था , उसी कांग्ेस के नेता डा . आंबेडकर का चित्र और संविधान की प्लत हाथ में लेकर चल रहे हैं । इसे एक सोच-समझ कर प्ायोजित षड्ंत्र कहा जाए या फिर कांग्ेस , वामपंथियों , कट्टर
लिए है , जिस भगवा चोले को कांग्ेस ने आंतकवादी साबित करने की पूरी एक सुनियोजित मुहिम चलाई थी । अभ्रद और असंसदीय भाषा के साथ ही ऐसे तमाम हथकंडों को अपनाने का उद्ेशय केवल और केवल यह है कि किस तरह से विकासवाद के उस राजनीतिक एजेंडे को धवसत करके जाति- पाति , पंथ-संप्िाय एवं वंशवाद को पुनसरा्षलपत किया जाए , जिससे कांग्ेस एंड कंपनी फिर से सत्ा तक पहुंच सके । आने वाले समय में डा . आंबेडकर , संविधान एवं आरक्षण की आड़ में यह सभी फिर एकजुट होकर भाजपा द्ारा भारतीय राजनीति में बड़ी कठिनाई से सरालपत
कट्टर मुकसिम की नहीं , बकलक डा . कलाम जैसे मुकसिम वयककत की जरुरत होती है , जो समाज और देश के समग् विकास के लिए जाति-धर्म के बंधन से ऊपर उठ कर काम कर सके । अब आवशयकता नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं , ऐसे वैज्ञानिकों , ऐसे समाजशाकसत्रयों , ऐसे प्शासकों , ऐसे उद्ोगपतियों , ऐसे प्शासनिक अधिकारियों और ऐसी जनता की है , जो विकासवाद और देश की समग् प्गति को समझे और एकजुट होकर ऐसे भारत का निर्माण करे , जिसके परम वैभव का पूरा विशव नतमसतक होकर सराहना करे और जिसकी एकजुटता को भंग करने की कोई सोच भी न सके । �
tuojh 2025 21