पांच सौ िरषों बाद वापस अयोध्ा आए रामलला : डा . मोहन भागवत
अयोधया में भगवान श्रीराम ्की प्राण प्रतिष्ा समारोह ्के बिाद रा्ट्रीय स्यं से््क संघ ्के सरसंघचाल्क डा . मोहन भागवत ने अपने सम्बोधन में ्कहा द्क आज अयोधया में रामलला ्के साथ भारत ्का स् लौट्कर आया है । संपदूणमा विश् ्को त्ासदी से राहत देने वाला भारत खड़ा होगा । उनहोंने ्कहा द्क अयोधया में रामलला आए । अयोधया से बिाहर कयों गए थे ? रामायण्काल में ऐसा कयों हुआ था । अयोधया में ्कलह हुआ था । अयोधया उस पुरी ्का नाम है , जिसमें ्कोई द्ंद् , ्कलह और दुविधा नहीं । फिर भी भगवान राम चौदह वर्ष वनवास में गए । दुनिया ्के ्कलह ्को मिटा्कर वापस आए ।
प्राण प्रतिष्ा समारोह में मौजदूि संतों एवं अनय गणमानय लोगों ्को सम्बोधित ्करते हुए संघ प्रमुख डा . मोहन भागवत ने ्कहा द्क आज रामलला वापस फिर से आए हैं , पांच सौ वर्ष ्के बिाद । जिन्के तयाग , तपसया , प्रयासों से आज हम यह स्णमा दिवस देख रहे हैं , उन्का समरण प्राण-प्रतिष्ा ्के सं्कलप में हमने द्कया । उन्के प्रयासों ्को ्कोटि बिार नमन है । इस युग में आज ्के दिन रामलला ्के फिर वापस आने ्का इतिहास जो-जो समरण ्करेगा , वह रा्ट्र ्के लिए होगा । रा्ट्र ्का सबि दुख हरण होगा , ऐसा इस इतिहास ्का सामरयमा है । हमारे लिए ्कतमावय ्का आदेश भी है ।
प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी ्की प्रशंसा ्करते हुए उनहोंने ्कहा द्क मोदी जी ने तप द्कया , जितना ्क्ोर तप रखा जाना चाहिए था , उससे जयािा ्कद्न तप रखा । अबि हमें भी तप ्करना है । राम राज ्कैसा था , यह याद रखना है । हम भी भारत वर्ष ्की संतानें हैं । ्कोटि-्कोटि ्कंठ हमारे हैं जो जयगान ्करते हैं । आज ्का आनंद श्िों में वर्णनातीत हैं । सम्पूर्ण विश् ्को त्ासदी से राहत देने वाला ए्क नया भारत खड़ा हो्कर रहेगा और उस्का प्रती्क यह ्कायमाकम बिन गया है । आज पांच सौ ्रषों बिाद रामलला वापस आए हैं , जिन्के तयाग एवं तपसया से हम यह स्णमा दिवस देख रहे हैं । उन्का समरण प्राण प्रतिष्ा ्के सं्कलप में हम लोगों ने द्कयाI उन्के तयाग , तपसया एवं परिश्रम ्को शत बिार , सहसत् बिार , ्कोटि बिार नमन हैं । इस युग में रामलला ्के वापस आने ्का इतिहास
जो-जो श्रवण ्करेगा , वह रा्ट्र ्के लिए ्कममा प्रबिल होगा । उस्के रा्ट्र ्का सबि दुःख हरण होगा । ऐसा इस इतिहास ्का सामरयमा है , परनतु उसमें हमारे लिए ्कतमावय ्का आदेश भी है ।
उनहोंने ्कहा द्क पांच सौ ्रषों त्क अने्क पीदढ़यों ने लग्कर परिश्रम द्कया , प्राणों ्का बिदलिान दे्कर , खदून-पसीना बिह्कर आज आनंद ्का दिन रा्ट्र ्को उपल्ध ्करा दिया । उन सबि्के प्रति मन में ्ककृतज्ञता है । उनहोंने जो द्कया , उस्का प्रतिनिधि मुझे बिनाया गया है । उस्के नाते मैं यह अवदान स्वीकार ्करता हदूं और उनहीं ्को अर्पण ्करता हदूं । उन्का यह व्रत हम्को आगे ले्कर जाना है । जिस धर्म ्की स्ापना विश् में ्करने ्के लिए राम ्का अवतार हुआ था , उस धर्म ्की स्ापना हेतु अनु्कूल षस्दत आचरण में , देश में उतपन्न ्करना होगा । यह अपना ्कतमावय बिनता है । रामलला आए हैं , मन आह्ादित-उतसादहत ्करने और प्रेरणा देने ्के लिए । साथ-साथ ्कतमावय ्की याद दिला्कर उसमें घृति प्रवण ्करने ्के लिए उन्का आदेश सिर पर ले्कर हम जाएं । सबि लोग तो यहां आ नहीं स्के , लेद्कन वह सुन रहे हैं , देख रहे हैं । अभी इसी क्ण से इस व्रत ्का पालन हम ्करेंगे तो मंदिर निर्माण पदूरा होते-होते विश् गुरु भारत ्का निर्माण भी पदूरा हो जाएगा ।
संघ प्रमुख डा . भागवत ने देशवासियों ्को सनिेश दिया द्क हमें अचछा वय्हार रखने ्का तप-आचरण ्करना होगा । हमें भी सारे ्कलह ्को विदाई देनी होगी । छोटे-छोटे परसपर मत रहते हैं , छोटे-छोटे विवाद रहते हैं । उसे ले्कर लड़ाई ्करने ्की आदत छोड़नी पड़ेगी । सतय ्कहता है द्क सभी घट्कों में राम हैं । हमें समन्य से चलना होगा । हम सबि्के लिए चलते हैं , सबि हमारे हैं , इसलिए हम चल पाते हैं । आपस में समन्य रख्कर वय्हार रखना ही सतय ्का आचरण है । ्करुणा िदूसरा ्किम है , जिस्का मतलबि है सेवा और परोप्कार । इस युग में आज ्के दिन रामलला ्के फिर वापस आने ्का इतिहास जो-जो समरण ्करेगा , वह रा्ट्र ्के लिए होगा । रा्ट्र ्का सबि दुख हरण होगा , ऐसा इस इतिहास ्का सामरयमा है । हमारे लिए ्कतमावय ्का आदेश भी है ।
tuojh 2024 9