Jan 2024_DA | Page 10

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पक् ्के उस दावे ्की जांच-पड़ताल ्के लिए बिनाया गया था , जिसमें अयोधया षस्त श्रीराम ्की जनमभदूदम पर मुषसलम अपने इबिादत स्ल होने ्का दावा ्कर रहे थे । ्कमीशन में अपनी जांच-पड़ताल ्के बिाद यह सप्ट ्कर दिया था द्क अयोधया षस्त जनमभदूदम पर भगवान श्रीराम ्का मंदिर था , जिसे मीर बिा्की ने तुड़वा्कर ए्क ढांचे ्का निर्माण ्कराया था । हालांद्क ऐसा बिताया जाता है द्क इस्के बिाद अयोधया-फ़ैजाबिाद ्के स्ानीय मुषसलमों ने मंदिर स्ान पर द्कए जाने वाले दावे ्को छोड़ने ्का निर्णय लिया था , लेद्कन अंग्ेजों ्को इस्की भन्क लग गई , जिस्के बिाद अमर अली एवं बिड़ा रामशरणदास ्को विवादित स्ल ्के पास ए्क पेड़ पर लट्का ्कर फांसी ्की सजा दे दी गई । अंग्ेजों ने ऐसा कयों द्कया ? इस्का उत्तर सप्ट रूप से समझा जा स्कता है । अंग्ेज नहीं चाहते थे द्क अयोधया ्का मसला सुलझे कयोंद्क इस्के पीछे उन्के हित छुपे हुए थे I
अंग्ेजों ने कराई जन्मभूमि पर बाड़बंदी
अयोधया में भगवान श्रीराम ्की जनमभदूदम पर मंदिर ्के लगातार जारी संघर्ष ्के बिीच अंग्ेजों ने भी इस मुद्े ्का पदूरा लाभ उठाया । हिन्दू और मुषसलम जनता ्के बिीच अयोधया ्को ले्कर जो सहमति बिन रही थी , उसे रो्कने ्के लिए अंग्ेजों ने बिाबिा रामशरण दास और अमर अली ्की हतया ्करा दी और फिर 1859 में जनमभदूदम स्ल ्को विवादित घोषित ्कर्के बिाड़बिंदी ्करा दी गई । इतना ही नहीं , अंग्ेजी सत्ता ने विवादित स्ल ्के अंदरूनी हिससे पर मुषसलम और बिाह्य क्ेत् में हिनिुओं ्को पदूजा ्करने ्का आदेश सुना दिया । इस निर्णय ्का हिनिुओं ने प्रबिल विरोध द्कया । ्कई ्रषों त्क विरोध जारी रहा तो 1885 में पहली बिार जनमभदूदम ्का विवाद नयायालय त्क पहुंच गया I1885 में फ़ैजाबिाद नयायालय में महंत रघुवीर दास ने राम चबिदूतरे पर मंदिर बिनाने ्के लिए यादच्का दायर ्की , लेद्कन इस यादच्का ्को नयायालय ने रद् ्कर दिया था । इस्के बिावजदूि रामभकतों ने दह्मत नहीं हारी I
जन्मभूमि में प्रगट हुए भगवान श्ीराम
अयोधया षस्त भगवान श्रीराम ्के जनमस्ल ्को ले्कर अंग्ेजी नयायाधीशों ने हिन्दू पक् ्की दावेदारी ्को ख़ारिज तो ्कर दिया था , लेद्कन यह मसला समापत नहीं हुआ था । 1947 में भारत अंग्ेजी सत्ता ्के चंगुल से जबि मुकत हो गया , उस्के बिाद भी अयोधया में भगवान श्रीराम ्के मंदिर ्के निर्माण ्को ले्कर हिन्दू ए्कजुट रहे । लेद्कन देश बििल चु्का था । धर्म ्के नाम पर भारत ्के दो टु्कड़े ्कर दिए गए । ऐसा सिर्फ और सिर्फ मुषसलम जनता ्को खुश ्करने ्के लिए द्कया गया था । अबि हिन्दू महासभा भी खुल्कर सामने आ चु्की थी । अयोधया षस्त जनमभदूदम पर मंदिर निर्माण ्को ले्कर ्कांग्ेस ने राजनीति भी शुरू ्कर दी थी और राम मंदिर निर्माण ्के मुद्े ्को भुना्कर ्कांग्ेस ने फैजाबिाद में चुनाव भी जीत लिया । परनतु मंदिर निर्माण
्के लिए ्कोई प्रयास ्कांग्ेस ने नहीं द्कया । 1949 में अयोधया षस्त जनमभदूदम पर प्रभु श्रीराम ्की ए्क मदूदतमा प्र्कट हुई । इस्का मुषसलमों ने विरोध द्कया और ्कहा द्क मदूदतमा ्को रात ्के अंधेरे में रखा गया था , जबिद्क वास्तविकता में मदूदतमा उस ्कमरे में प्र्कट हुई थी जिसे अंग्ेजी सत्ता ने बिंद ्करवा रखा था । मदूदतमा प्र्कट होने ्के बिाद ्कई स्ानों पर भीषण दंगे हुए , जिसमें हिन्दू पक् ्को गंभीर नु्कसान उठाना पड़ा । इस्के बिावजदूि भगवान श्रीराम ्के प्रति आस्ा और बिढ़ती गई । तत्कालीन प्रधानमंत्ी जवाहरलाल नेहरू ने हिनिुओं ्के तमाम दावों ्को ख़ारिज ्कर दिया और विवादित स्ल ्को सील ्करवा दिया I
न्ायालय में जारी रही लड़ाई
1950 में ए्क बिार फिर हिनिुओं ने जनमभदूदम पर अपना दावा ्करते हुए फ़ैजाबिाद नयायालय में दो यादच्काएं दाखिल ्कर भगवान श्रीराम ्की
10 tuojh 2024