Jan 2024_DA | Page 8

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महारानी ्की ए्क तस्ीर भी अयोधया में लगाई गई है ।
भगवान श्ीराम के पुत्र कु श ने बनवाया था अयोध्ा में मंदिर
हिन्दू धर्मग्ं्ों ्के अनुसार भगवान श्रीराम ्के स्धाम गमन ्के बिाद सरयदू नदी में आई बिाढ़ ्के ्कारण अयोधया ्के वैभव ्को ्काफी क्दत पहुंची थी । इस्के बिाद भगवान श्रीराम ्के पुत् ्कुश ने अयोधया ्की विरासत ्को नए सिरे से सहेजा और भगवान श्रीराम ्की जनमभदूदम पर विशाल मंदिर ्का निर्माण ्कराया । सदियों त्क यह मंदिर अपने भवय स्रूप में हिन्दू समाज ्के लिए आस्ा-श्रद्ा ्का ्केंद्र बिना रहा । जबि मंदिर जीर्ण-शीर्ण होने लगा तो 57 ईसा पदू्मा राजा द्कमादितय ने पुनः भवय मंदिर ्का निर्माण ्कराया । उस्के बिाद ्कई सदियों त्क अयोधया षस्त भगवान श्रीराम ्का मंदिर आस्ा , विश्ास और प्रेरणा ्का ्केंद्र बिना रहा । लेद्कन आकांता बिाबिर ने अपनी धर्मानधता ्का परिचय दिया और हिनिुओं ्की भावनाओं ्को खंडित ्करने ्के लिए भगवान श्रीराम ्के मंदिर ्को न्ट तो ्करा दिया ,
लेद्कन वह भारत ्की जनता ्के मन-मष्त््क से भगवान श्रीराम ्को नहीं दन्काल पाया । हिन्दू समाज अपनी आस्ा और जनमभदूदम पर बिने मंदिर ्को भदूल नहीं स्का और जनमभदूदम ्को पुनः हासिल ्करने ्के लिए संघर्ष जारी रहा ।
लगातार जारी रहा संघर्ष
इतिहास बिताता है द्क भगवान श्रीराम ्की जनमभदूदम ्को हासिल ्करने ्के लिए लगभग 76 युद् लड़े गए । ्कई बिार ऐसा भी हुआ , जबि हिन्दू राजाओं ने मुग़ल सेना ्को पराजित ्कर्के अयोधया पर अपना ्क््ा तो ्कर लिया पर यह ्क््ा स्ायी नहीं रह स्का । 1530 से 1556 ्के मधय हुमांयदू और शेरशाह ्के शासन्काल में हुए दस युद्ों में ्कई राजाओं ने वीरगति प्रापत ्की । 1556 से 1605 ्के मधय अ्कबिर ्के शासन्काल में बिीस युद् हुए । इन युद्ों में अयोधया ्के संत बिलरामचार्य सेनापति ्के रूप में लड़ते रहे और फिर वह भी वीरगति ्को प्रापत हुए । इन युद्ों ्के ्कारण अ्कबिर ्को जबि ्काफी नु्कसान हुआ तो उसने अयोधया में ध्सत द्कए गए मंदिर ्के सामने चबिदूतरे पर भगवान श्रीराम
्के मंदिर ्को बिनाने ्की इजाजत तो दे दी , लेद्कन हिन्दू जनता अपने रामलला ्की जनमभदूदम ्को भुला नहीं पाया । इतिहास गवाह है द्क 1658 से ले्कर 1707 त्क भगवान श्रीराम ्के मंदिर ्के लिए तीस युद् लड़े गए । इन युद्ों ्का नेतृत् बिाबिा वै्ण् दास , ्कुंवर गोपाल सिंह , ठा्कुर जगदम्बा सिंह आदि ने द्कया । इन युद्ों में दशम गुरु गोविनि सिंह ने निहंगों ्को भी मंदिर ्के लिए हुए संघर्ष ्के लिए भेजा था । अठारहवीं शता्िी ्के मधय त्क मुग़ल सत्ता ्का पतन तो हो गया , लेद्कन मंदिर ्के लिए संघर्ष जारी रहा ।
मंदिर के लिए बनाया गया था कमीशन
1528 से जारी हुआ संघर्ष 1857 त्क जारी रहा । अबि देश में अंग्ेजों ्का प्रभुत् बिढ़ता जा रहा था । अयोधया में लगातार जारी संघर्ष ्के बिीच ईसट इंडिया ्कंपनी ्के िबिाव में अवध ्के नवाबि वाजिद अली शाह ने ए्क ्कमीशन ्का गठन द्कया था । ्कमीशन ्के सदसयों में ए्क हिन्दू , ए्क मुषसलम और ए्क ईसट इंडिया ्कंपनी ्का प्रतिनिधि शामिल थाI यह ्कमीशन मुषसलम
8 tuojh 2024