Jan 2024_DA | Page 7

हुए प्रभु राम ्की धैर्य ्के साथ प्रतीक्ा ्की थी । मतांधता का शिकार हु आ था श्ीराम मंदिर
21 मार्च 1528 ्का दिन सनातन हिन्दू धर्मावलम्बियों ्के लिए ए्क ्कलं्क वाला दिन था । यह वह समय था , जबि विदेशी मुषसलम आकांताओं ने भारत में घुस्कर अपना ्क््ा जमा लिया था और भारत ्की मदूल सनातन हिन्दू जनता पर अतयाचार ्कर्के उन्का जबिरन धर्म परिवर्तन ्कराया जा रहा था । हिन्दू जनता ्का अवैध ढंग से धर्म परिवर्तन ्कराने ्के लिए मंदिरों-मठों ्को तोडा जा रहा था और भगवान ्की मदूदतमायों ्को अनादर ्करते हुए न्ट द्कया जा रहा था । यह वह समय भी था , जबि भारत ्के अदध्कतर हिससों में हिन्दू जनता ्के बिीच आतं्क पैदा ्करने ्के साथ ही धादममा्क भावनाओं ्को चोट पहुंचाई जा रही थी । इसी ्कड़ी में मुग़ल आकांता बिाबिर ्की दृष्ट अयोधया षस्त भगवान श्रीराम ्के मंदिर पर दट्की हुई थी और हिन्दू जनता ्की आस्ा , विश्ास और प्रेरणा ्को खंडित ्करने ्के लिए बिाबिर ने अपने सेनापति मीर बिा्की ्को ए्क बिड़ी सेना ्के साथ अयोधया भेज दिया । इसी मीर बिा्की ने अयोधया पर हमला द्कया और 21 मार्च 1528 ्को भीषण रकतपात ्के बिाद भगवान श्रीराम ्के मंदिर ्को न्ट ्कर दिया । मीर बिा्की बिाबिर ्के साथ भारत आया था ।
वीर नारी ने मार गिराया मीर बाकी को
अयोधया में भगवान श्रीराम ्के मंदिर ्को न्ट ्करने वाला मीर बिा्की मदूल रूप से ताश्कंद ्का रहने वाला था जो अबि उजबिेद्कसतान में है । आकांता बिाबिर ने उसे अवध प्रानत ्का गवर्नर बिनाया था । आकांता बिाबिर ्के आदेश पर अयोधया पर हमला ्करने वाले मीर बिा्की ्को रो्कने ्के लिए हंसवर सटेट ्के राजा रणविजय सिंह प्रयास द्कया था । उत्तर प्रदेश ्के अम्बेड्कर नगर जिले में षस्त हंसवर सटेट ्को मीर बिा्की ्के अमानुदर्क अतयाचार ्का मदू्क गवाह ्के रूप
पारंपरिक और स्वदेशी तकनीक से हु आ
अयोध्ा में भव्य मंदिर का गनममाण भगवान श्रीराम ्की जनमभदूदम पर भवय मंदिर ्का निर्माण पारंपरर्क नागर शैली में द्कया
गया है । इस्की लंबिाई ( पदू्मा-पषशचम ) 380 फीट , चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है और यह ्कुल 392 सतंभों और 44 दरवाजों द्ारा समर्थित है । मंदिर ्के सतंभों और दीवारों पर हिंिदू देवी-देवताओं और देवियों ्की मदूदतमायों ्का गदूढ़ दचत्ण है । भदूतल पर मुखय गर्भगृह में भगवान श्रीराम ्के बिचपन ्के स्रूप ( श्रीरामलला ्की मदूदतमा ) ्को रखा गया है ।
मंदिर ्का मुखय प्रवेश द्ार पूर्वी दिशा में षस्त है , जहां सिंह द्ार ्के माधयम से 32 सीदढ़यां चढ़्कर पहुंचा जा स्कता है । मंदिर में ्कुल पांच मंडप ( हॉल ) हैं - नृतय मंडप , रंग मंडप , सभा मंडप , प्रार्थना मंडप और ्कीर्तन मंडप । मंदिर ्के पास ए्क ऐतिहादस्क ्कुआं ( सीता ्कूप ) है , जो प्राचीन ्काल ्का है । मंदिर परिसर ्के िदक्ण-पषशचमी भाग में , ्कुबिेर टीला में , भगवान शिव ्के प्राचीन मंदिर ्का जीणणोद्ार द्कया गया है , साथ ही जटायु ्की ए्क मदूदतमा भी स्ादपत ्की गई है ।
मंदिर ्की नींव ्का निर्माण रोलर-्कॉ्पैकट ्कंकीट ( आरसीसी ) ्की 14 मीटर मोटी परत से द्कया गया है , जो इसे ्ककृदत्म चट्ान ्का रूप देता है । मंदिर में ्कहीं भी लोहे ्का प्रयोग नहीं द्कया गया है । जमीन ्की नमी से सुरक्ा ्के लिए ग्ेनाइट ्का उपयोग ्कर्के 21 फीट ऊंचे चबिदूतरे ्का निर्माण द्कया गया है । मंदिर परिसर में ए्क सीवेज उपचार संयंत् , जल उपचार संयंत् , अदनि सुरक्ा ्के लिए जल आपदूदतमा और ए्क स्तंत् दबिजली सटेशन है । मंदिर ्का निर्माण देश ्की पारंपरर्क और स्िेशी त्कनी्क से द्कया गया है ।
में आज भी देखा जा स्कता है । तत्कालीन समय में जबि मीर बिा्की अपने हजारों सैदन्कों ्के साथ अयोधया जा रहा था , उस समय हंसवर सटेट ्के तत्कालीन राजा रणविजय सिंह ने उस्का सामना हुआ । अपनी छोटी सी सेना ्के साथ राजा रणविजय सिंह ने बिाबिर ्की सेना से युद् द्कया और अपने अि्य शौर्य ्का प्रदर्शन ्करते हुए वह वीरगति ्को प्रापत हुए थे । इस्के बिाद मीर बिा्की ने अयोधया में भगवान श्रीराम ्के मंदिर ्को न्ट तो ्कर दिया , लेद्कन वीरगति प्रापत ्करने वाले राजा रणविजय सिंह ्की पत्ी
महारानी जयराज ्कुमारी ने आकांता बिाबिर ्की सेना ्के विरुद् मोर्चा खोल दिया । महिला वीरांगना ने लगभग तीन वर्ष त्क साथ युद् द्कया और फिर महारानी ने मीर बिा्की ्को मार गिराया । इस्के बिाद मुग़ल सेना ने महारानी पर हमला द्कया और फिर हुए युद् में महारानी जयराज ्कुमारी भी वीरगति ्को प्रापत हुई । हंसवर सटेट ्के महाराज ्के इसी योगदान ्के ्कारण महाराज ्के वंशज नरेंद्र मोहन सिंह उर्फ संजय सिंह भी प्राण प्रतिष्ा समारोह में मौजदूि रहे । इस्के साथ ही मीर बिा्की ्को मार गिराने वाली
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