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अयोध्ा में पुनः विराजे
प्रभु श्ीराम
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रत ्के इतिहास में द्कम स््त 2080 , पौष शुकल द्ािशी तिथि अर्थात 22 जनवरी 2024 ्का दिन स्दणमाम अक्रों में दर्ज हो गया है । यह वह दिन भी है , जबि सरयदू तट पर बिसी नगरी अयोधया में भगवान श्रीराम ्की पुनस्ामापना हुई है । लगभग पांच सौ ्रषों ्का वनवास ्काटने ्के बिाद भगवान श्रीराम ्की अयोधया षस्त भवय मंदिर में पुनस्ामापना युग परिवर्तन ्का सं्केत भी है । यह वह पल था , जिस्की प्रतीक्ा भारत ही नहीं , विश् ्के विभिन्न देशों में रहने वाले हिन्दू धर्म ्के अनुयायियों ्के साथ ही भगवान श्रीराम ्के प्रति आस्ा और विश्ास रखने वाले लोग सदियों से ्कर रहे थे । मंदिर में भगवान श्रीराम ्की प्राण प्रतिष्ा ्के साथ वह ्कलं्क भी समापत हो गया , जो विदेशी आकांता बिाबिर ने भगवान श्रीराम ्के मंदिर ्को तोड़्कर लगाया था । यह वह क्ण भी था , जिस्के लिए दलित , पिछड़े , वनवासी सहित अनय ्गषों ने सै्कड़ों ्रषों त्क हुए संघर्ष में अपनी भागीदारी सुदनषशचत ्करते
6 tuojh 2024