15 ्करोड़ लोग एमपीआई मान्क से जुड़ी सुविधाओं से वंचित रह गए हैं । मोदी सर्कार ्के अबि त्क ्के ्कायमा्काल में उत्तर प्रदेश में पिछले नौ ्रषों में 5.94 ्करोड़ , दबिहार में 3.77 ्करोड़ , मधय प्रदेश में 2.30 ्करोड़ तो राजस्ान में 1.87 ्करोड़ लोग एमपीआई मान्कों ्के हिसाबि से गरीबिी से मुकत हुए । नीति आयोग ्के सीईओ बिी . वी . सुब्रहणयम ्कहते हैं द्क गत चार-पांच ्रषों में एमपीआई ्के अनुसार गरीबिी घटने ्की दर दहाई अं्क ्की हो गई है , जबिद्क उससे पहले यह ररतार ्कम थी । ्केंद्र सर्कार ने 2030 त्क देश ्के सभी नागरर्कों ्को इन 12 मान्कों ्की सुविधा देने ्का लक्य रखा है , लेद्कन इन दिशा में चल रहे ्काम ्की तेज गति ्को देखते हुए वर्ष 2030 से ्काफी पहले यह लक्य हासिल ्कर लिया जाएगा ।
नीति आयोग ्की रिपोर्ट बिताती है द्क ्केंद्र सर्कार ्की तरफ से चलाए जाने वाले पोषण अभियान एवं एनीमिया मुकत भारत अभियान से स्ासरय सुविधा ्को बिढ़ाने में मदद मिली । प्रधानमंत्ी गरीबि ्कलयाण अन्न योजना , स्चछ
ईंधन ्के लिए उज््ला योजना , सभी घरों में दबिजली ्के लिए सौभागय योजना , पेयजल सुविधा ्के लिए जल जीवन मिशन एवं जन-धन खाते ्की सुविधा जैसी योजनाओं से 25 ्करोड़ लोगों ्को गरीबिी से ऊपर लाने में खासी मदद मिली ।
नीति आयोग ्के सदसय रमेश चंद ्के अनुसार आय बिढ़ने ्का यह मतलबि नहीं है द्क उस आय ्को ्कलयाण्कारी चीजों पर खर्च द्कया जा रहा हो । बिहुआयामी सुविधाओं ्की जगह वह वयषकत अपनी निजी सुविधाओं पर या गलत आदतों पर उस आय ्को खर्च ्कर स्कता है । इसलिए आय ्की जगह बिहुआयामी सुविधाओं ्के आधार पर गरीबिी मापने ्का ्काम द्कया जाता है ।
नीति आयोग ्के इस रिपोर्ट ्के अनुसार पिछले नौ वर्ष में गरीबिी 29 प्रतिशत से घट्कर लगभग 11 प्रतिशत रह गई है । 2005 ्के आसपास देश
में 50 प्रतिशत से अदध्क लोग गरीबिी ्की समसया से जदूझ रहे थे । नीति आयोग ्के मुखय ्कायमा्कारी अदध्कारी बिी . वी . आर . सुब्रमण्यम ्के अनुसार लगभग 9 ्रषों में गरीबिी में 50 प्रतिशत ्की ्कमी लाना ए्क उललेखनीय उपलब्ध है । इस्का
प्रभाव भारत ्के सतत द््कास ्के लक्ष्यों में भी दिखेगा । ्केंद्र सर्कार ने हर प्र्कार ्की गरीबिी ्को ्कम ्करने ्के लक्य ्के साथ लोगों ्के जीवन ्को बिेहतर बिनाने में उललेखनीय प्रगति ्की है । पोषण अभियान और एनीमिया मुकत भारत जैसी उललेखनीय पहलों ने स्ासरय सुविधाओं त्क पहुंच में उललेखनीय वृदद् ्की है , जिससे वंचित रहने में ्काफी ्कमी आई है । दुनिया ्के सबिसे बड़े खाद् सुरक्ा ्कायमाकमों में से ए्क ्का संचालन ्करते हुए , रा्ट्रीय खाद् सुरक्ा ्कानदून ्के तहत लदक्त सार्वजदन्क वितरण प्रणाली 81.35 ्करोड़ लाभार्थियों ्को ्क्र ्करती है , जो ग्ामीण और शहरी आबिादी ्को खाद्ान्न प्रदान ्करती है ।
हाल ्के फैसले , जैसे द्क प्रधानमंत्ी गरीबि ्कलयाण अन्न योजना ्के तहत मुरत खाद्ान्न वितरण ्को अगले पांच ्रषों ्के लिए बिढ़ाना , सर्कार ्की प्रतिबद्धता ्का उदाहरण है । मातृ स्ासरय ्का समाधान ्करने वाले विभिन्न ्कायमाकम , उज््ला योजना ्के माधयम से स्चछ खाना प्काने ्के ईंधन वितरण , सौभागय ्के माधयम से दबिजली ्क्रेज में सुधार , और स्चछ भारत मिशन और जल जीवन मिशन जैसे परिवर्तन्कारी अभियानों ने सामदूदह्क रूप से लोगों ्की रहने ्की षस्दत और समग् ्कलयाण ्की षस्दत में सुधार द्कया है । इस्के अतिरिकत , प्रधानमंत्ी जन धन योजना और पीएम आवास योजना जैसे प्रमुख ्कायमाकमों ने वित्तीय समावेशन और वंचितों ्के लिए सुरदक्त आवास प्रदान ्करने में महत्पदूणमा भदूदम्का निभाई है । हालांद्क राजयों ्का प्रदर्शन अलग-अलग है , ्कुछ राजयों में जहां परंपरागत रूप से अत्यदध्क गरीबिी थी , उनहोंने लोगों ्को गरीबिी से बिाहर दन्कलने में मदद ्करने में उललेखनीय प्रगति ्की है , जिससे दो राज्यों ्के बिीच बिहुआयामी गरीबिी में असमानता ्कम हुई है । इससे बिुनियादी सेवाओं त्क पहुंच में आने वाली मदूलभदूत समसयाओं ्का तेजी से समाधान हो रहा है ताद्क देश ए्क द््कदसत रा्ट्र यानी द््कदसत भारत @ 2047 बिनने ्की ओर अग्सर हो स्के । �
tuojh 2024 41