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भारत की पहली महिला शिक्षाविद : सावित्रीबाई फु ले

समाजसुधार्क सावित्रीबाई फुले भारत ्की प्रथम महिला शिक्षिका ही नहीं , बिषल्क ए्क अचछी ्कद्दयत्ी , अध्यापिका , समाजसेद््का और पहली शिक्ाद्ि भी थी । उनहें महिलाओं ्की मुषकतिाता भी ्कहा जाता है । दलित वर्ग में जनम लेने वाली सावित्रीबाई ने अपना पदूरा जीवन में महिलाओं ्को दशदक्त ्करने और उन्का ह्क दिलाने में लगा दिया । महिलाओं ्को शिक्ा ्के लिए उनहें ्काफी संघरषों ्का भी सामना ्करना पड़ा , लेद्कन उनहोंने हार नहीं मानी और आतमद्श्ास ्के साथ सफलता हासिल ्की । उनहोंने 1848 में देश ्के पहले महिला स्कूल ्की स्ापना पुणे में ्की । उनहें अपने पति जयोदतराव फुले ्के सहयो़ग से ही आगे बिढ़ने ्की प्रेरणा मिली और ज्योतिबा उनहें ए्क अचछे गुरु और संरक्षक ्की तरह प्रेरणा देते रहे ।

देश ्की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले ्का जनम महारा्ट्र ्के सातारा जिले ्के नायगांव में 3 जनवरी 1831 ्को ए्क द्कसान परिवार में हुआ था । उन्के पिता ्का नाम खणडोजी नेवसे और माता ्का नाम लक्मीबिाई था । तत्कालीन समय में बिाल विवाह ्की पर्परा थी , जिस्का दश्कार वह भी हुईं और उन्का विवाह 1840 में नौ वर्ष ्की आयु में जयोदतराव फुले ्के साथ हो गया , जो समय बिारह वर्ष ्के थे । विवाह ्के समय सावित्रीबाई पढ़ी-लिखी नहीं थी । लेद्कन बिाद में ज्योतिबा ने ही उनहें पढ़ना-लिखना सिखाया । उन दिनों लड़कियों ्को दशा बिेहद दयनीय थी यहां त्क द्क उनहें शिक्ा ग्हण ्करने ्की अनुमति नहीं थी ।
सावित्रीबाई ्को दशदक्त ्करने ्के दौरान ज्योतिबा ्को ्काफी विरोध ्का सामना ्करना
पड़ा । उनहें उन्के पिता ने रुढ़िवादिता और समाज ्के डर से घर से बिाहर दन्काल दिया लेद्कन फिर भी ज्योतिबा ने सावित्रीबाई ्को पढ़ाना नहीं छोड़ा और उनहें ए्क प्रदशक्ण स्कूल में भतवी ्करा दिया । विरोध होने ्के बिाद भी उनहोंने अपनी शिक्ा पदूरी ्की । शिक्ा पदूरी ्करने ्के बिाद सावित्रीबाई ने अनय महिलाओं ्को दशदक्त ्करने ्के लिए सोचा । लेद्कन यह ्कार्य आसान नहीं था कयोंद्क उस समय समाज में लड़कियों ्को दशदक्त ्करने ्की अनुमति नहीं
थी । इस्के लिए संघर्ष द्कया और समाज में वयापत न्कारात्मक परंपरा ्को तोड़ने ्के लिए अपने पति ज्योतिबा ्के साथ मिल्कर 1848 में लड़द्कयों ्के लिए ए्क स्कूल ्की स्ापना ्की । यह भारत में लड़द्कयों ्के लिए खुलने वाला पहला महिला विद्ालय था , जिसमें ्कुल नौ लड़द्कयों ने प्रवेश लिया । सावित्रीबाई फुले इस स्कूल ्की प्रधानाचार्य बिनी । और इस तरह वह देश ्की पहली शिक्षिका बिन गई ।
महिला-शिक्ा ्की मुहिम चलाने वाली
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